डिंडोरी के गौरव हमारे कलाकार, जिन्हें विशिष्ठ सम्मान से नवाजा गया
जिले के कलाकारों को “पद्म भूषण” और “पद्म श्री” से नवाजा गया है
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 26 जनवरी 2022, आदिवासी बहुल डिंडोरी जिले की समृद्ध जनजाति कला और संस्कृति हमेशा से ही देश दुनिया में अपनी पहचान कायम रखे हुए है। इस पिछड़े और आदिवासी जिले के कलाकारों को देश विदेश में हमेशा से सम्मानित किया जाता रहा है। 25 जनवरी मंगलवार को भारत सरकार द्वारा जिले के दो लोक कलाकारों को “पद्म श्री” सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की है। इसके साथ ही जिले से अब तक पांच लोगों को कला के क्षेत्र में देश के विशिष्ठ पुरस्कार और सम्मान से नवाजा जा चुका है जो जिले के लिए गौरव की बात है।
शेख गुलाब :-
सर्वप्रथम वर्ष 1972 में डिंडोरी के निवासी शेख गुलाब को भारत सरकार द्वारा “पद्म श्री” से नवाजा गया। शेख गुलाब जिले के जनजाति कलाकारों और लोक संस्कृति की विरासत को आगे बढ़ाने वाले पहले व्यक्ति थे। जिन्होंने जनजाति कला को दिशा में उत्कृष्ठ कार्य किया था।
डॉ. लक्ष्मी नारायण सिहारे :-
डॉ. लक्ष्मी नारायण सिहारे को कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए वर्ष 1987 में “पद्म भूषण” सम्मान दिया गया। डॉ. लक्ष्मी नारायण सिहारे जिले के प्रतिष्ठित नागरिक एवं समाजसेवी राकेश सिहारे के चाचा थे, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अनुसंशा पर उन्हें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा “पद्म भूषण” से नवाजा गया था।
भज्जू सिंह श्याम :-
डिंडोरी जिले के पाटनगढ़ के निवासी भज्जू सिंह श्याम को गोंडी चित्रकला में उत्कृष्ठ प्रदर्शन के लिए वर्ष 2018 में “पद्म श्री” सम्मान दिया गया। उन्होंने जिले की पारंपरिक चित्रकला को देश विदेश में सतत कार्य करते हुए अलग पहचान दिलाई है। उन्हें देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद द्वारा सम्मान से नवाजा गया था।
अर्जुन धुर्वे, दुर्गा बाई को “पद्म श्री”
वर्ष 2022 के लिए जिले के लोक कलाकार अर्जुन सिंह धुर्वे और दुर्गा बाई के नाम की घोषणा की गई है। अर्जुन सिंह धुर्वे बैगाचक के ग्राम धुरकुटा के निवासी है। आप सेवानिवृत शिक्षक है। उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा अर्जुन और तुलसी सम्मान दिया जा चुका है। आप बैगा नृत्य दलों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करते रहे है और उनके नेतृत्व में जिले के जनजाति कलाकारों ने देश विदेश में कई आयोजनों ने हिस्सा लिया है।
दुर्गा बाई व्याम
दुर्गा बाई मूलतः डिंडोरी जिले के सनपुरी की रहने वाली है। वे 1976 से भोपाल ने रहकर गोंड चित्रकारी का कार्य कर रही है। उन्होंने चित्रकला की बारीकियां अपने जीजा, विख्यात चित्रकार जनगडढ़ सिंह श्याम से सीखी है। दुर्गा बाई ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवन कथा को पेंटिग के माध्यम से दिखाया है, जो कि 11 अलग अलग भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। दुर्गा बाई फिलहाल भोपाल के कोटरा सुल्तानाबाद में रहती है।
अब तक जिले के पांच व्यक्तियों को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया है। जिले की कला संस्कृति और आदिवासी विरासत को विश्व भर में पहचान दिलाने वाले ये कलाकार जिले का गौरव है। इस पिछड़े क्षेत्र और छोटे से जिले के अब तक पांच व्यक्तियों को देश का विशिष्ठ सम्मान प्राप्त होना अपने आप में उपलब्धि है। दुर्गा बाई के नाम की घोषणा से जिले की सशक्त महिला शक्ति को देश में नई पहचान मिली है।