गेहूं खरीदी केन्द्रों पर किसानों से लिया जा रहा अधिक गेहूं, अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा अन्नदाताओं का शोषण

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शिकायतों पर अधिकारियों का मौन

परिवहनकर्ता की मनमानी पर नहीं हो रही कार्यवाही


जनपथ टुडे, डिंडोरी, 19 मई 2022, प्रदेश की किसान हितैषी सरकार कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के दावे और शासकीय योजनाओं का प्रचार प्रसार जमकर करती है। पर इन्हीं शासन की योजनाओं के माध्यम से खुलेआम किसानों का शोषण किया जा रहा है। जिस पर जिले के आला अधिकारी खामोश है और भ्रष्टाचारियों को खुला संरक्षण दे रहे है। जन प्रतिनिधियो और पार्टी कार्यकर्ताओं को भी किसानों से कोई लेना देना नहीं है। अन्नदाता की मेहनत की कमाई पर शासन द्वारा नियुक्त लुटेरों की नज़र है और जिले में फसलों की खरीदी में जमकर भ्रष्टाचार चल रहा है।

गेहूं खरीदी के दौरान शासन के नियमानुसार किसानों से 50 किलो ग्राम प्रति बोरी गेहूं खरीदी किए जाने के बजाय शासन द्वारा निर्धारित केंद्रों पर किसानों से हर बोरी ने 51 किलो गेहूं लिया जा रहा है। किसानों को बरगलाकर और झूठी जानकारी देकर प्रति बोरी 51 किलो गेहूं की खरीदी की जा रही है, वह भी 50 किलो ग्राम की कीमत का भुगतान दे कर। यह सिलसिला जिले के लगभग हर खरीदी केंद्र पर चल रहा है पर किसी भी केंद्र की न तो संबंधित विभाग निगरानी कर रहा है और न अब तक कहीं भी गड़बड़ी पकड़े जाने या कार्यवाही किए जाने की जानकारी का खुलासा हुआ है, जबकि इस तरह से किसानों के साथ अन्याय एक तरह से प्रचलित परंपरा बन चुका है।

ताज़ा मामला समनापुर अन्तर्गत गेहूं उपार्जन केंद्र मानिकपुर का है जहां लगभग 220 किसानों से गेहूं खरीदी के दौरान हर बोरी में 500 ग्राम अधिक लिए जाने की जानकारी मिल रही है। केंद्र के कर्मी कैमरे के सामने 51 किलो ग्राम प्रति बोरी गेहूं किसानों से खरीदी कर रहे है। जबकि नियम अनुसार 50 किलो गेहूं की खरीदी किए जाने की जानकारी मिल रही है। इस तरह प्रमाणित तौर पर किसानों का शोषण और भ्रष्टाचार मानिकपुर के गेहूं उपार्जन केन्द्र पर किया जा रहा है। वहीं इस हेराफेरी और खरीदे गए गेहूं का हिसाब किताब सही करने के चलते केंद्र पर भारी मात्रा में स्टाक होने के बाद भी उसे परिवहन नहीं करवाया जा रहा है। जबकि साफ तौर पर मौसम बिगड़ता हुआ दिख रहा है। बादल छाए हुए है और कभी भी पानी गिरने के आसार के बाद भी विपणन संघ के जिम्मेदार अधिकारी जहां परिवहन को लेकर आखे बंद किए हुए है वहीं केंद्रों पर गेहूं को ढाक कर रखने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। गड़बड़ी करने वाले खुद बरसात का इंतजार है। ताकि उनके सारे कारनामे पर पानी फिर जाए इसी के चलते जमा गेहूं का परिवहन रोक कर रखा गया मालूम पड़ता है।

किसानों के शोषण पर मुंह नहीं खोल रहे केंद्र प्रभारी

शासन के नियम विरूद्ध किसानों से अधिक गेहूं लिए जाने पर केंद्र प्रभारी पड़वार द्वारा मीडिया को कोई भी जवाब नहीं दिया गया। जबकि पत्रकार एक घंटे तक इंतजार करता रहा, कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को केंद्र प्रभारी तैयार नहीं है। जो साफ करता है कि उनके द्वारा खुलेआम किसानों का शोषण किया जा रहा है। खरीदी केंद्र पर किए जा रहे कारनामे का उनके पास कोई जवाब नहीं है। फोन पर चर्चा करने पर प्रभारी का कहना था कि उनकी अनुपस्थिति में कर्मचारियों ने गलती की होगी। पहला तो इस दौरान प्रभारी केंद्र पर थे किन्तु उपस्थित पत्रकार को जवाब देने के बजाय कैमरे से मुंह छुपा रहे थे, कहीं गुड़ाखू कर रहे थे तो कहीं आराम और गड़बड़ी उनके केंद्र पर होने के दौरान ही की जा रही थी। दूसरा केंद्र पर चोरी और लूट कर कर्मियों को क्या लाभ होगा? केंद्र प्रभारी के निर्देश पर कर्मी कार्य नहीं कर रहे है और किसानों को लूट रहे है इसकी जानकारी के बाद केंद्र प्रभारी उन के ऊपर अपराध दर्ज करवाएंगे? इस सवाल के जवाब पर उन्होने मौन साध लिया। केंद्र की जिम्मेदारी केंद्र प्रभारी की है पर वे इसको लेकर बहानेबाजी भरे जवाब दे रहे है।

अधिकारियों के संरक्षण में, केंद्र प्रभारी कर रहे है चोरी

ऑफ कैमरा केंद्र प्रभारी का कहना है न्यूज़ दिखाओ जितनी दिखाना हो, हमारा कोई बाल बांका नहीं कर सकता। केंद्र प्रभारी का दावा बिल्कुल सच है। चुकी जिले भर के खरीदी केंद्र पर इसी तरह निर्धारित से अधिक मात्रा में गेहूं किसानों से लिया जा रहा है और यह सब कुछ जिले के अधिकारियों के संरक्षण में हो रहा है। किसानों से लूट से होने वाली कमाई का बंदरबांट सबको किया जाता है। बढ़त के खाद्यान की खरीदी फर्जी किसानों के नाम दर्शाकर हर केंद्र में लाखों रुपए का घोटाला करके, शासन को चूना लगाया जा रहा है। वहीं खुले आम जिले के गरीब किसानों का शोषण अधिकारियों के संरक्षण ने चल रहा है। इस तरह ही किसानों से व्यापक लूट का मामला पिछले समय धान उपार्जन के दौरान किवटी उपार्जन केन्द्र से आया था जहां किसानों की लिखित शिकायत के बाद भी दोषी केंद्र प्रभारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। जबकि अनियमितता शासकीय जांच दल ने केंद्र पर पाई थी फिर भी खाद्य विभाग के अधिकारियों द्वारा मामले ने लीपापोती कर केंद्र बदले जाने की भर कार्यवाही कर किसानों से सैकड़ों किवंटल धान अधिक लिए जाने के दोषियों से न तो वसूली की गई, न ही किसानों को उनकी फसल का पैसा दिलवाया गया। खुलेतौर पर लूट और अपराध के खुलासे के बाद भी संबंधितों पर अपराधिक मामला दर्ज करवाने की बजाय उन्हें बख्शा जाना साफ करता है जिले भर ने चल रहा गड़बड़झाला और किसानों का शोषण खाद्य अधिकारियों के संरक्षण में जारी है और कितनी भी शिकायते आए या फिर मीडिया खुलासा करे चोरी में लिप्त केंद्र प्रभारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही जिले में नहीं की जाएगी।

परिवहनकर्ता की मनमानी पर कार्यवाही क्यों नहीं

जिले में गेहूं और धान खरीदी पूरी तरह से भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है। जहा नियमों और कायदों का कोई पालन होता है और न गड़बड़ी के जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कभी कोई कार्यवाही अधिकारी करते है। जाहिर तौर पर गड़बड़िया सबकी मिलीभगत से चल रही है। मानिकपुर उपार्जन केन्द्र प्रभारी का कहना है मौसम खराब हो रहा है। विभाग माल का परिवहन नहीं करवा रहा है। लगातार रोज ग्रुप में संदेश भेजने के बाद भी माल का परिवहन नहीं हो रहा है। परिवहनकर्ता ठेकेदार को बार बार फोन करने के बाद भी उसके द्वारा गेहूं का परिवहन नहीं किया जा रहा है, पिछले चार दिनों से कन्हैया रजक परिवहन ठेकेदार ने हमारा फोन ही उठाना बंद कर दिया है। अधिकारी भी इस संबंध ने न कुछ सुन रहे है न कर रहे है। मौसम खराब होने और केंद्रों पर फसल खराब होने पर जिम्मेदार कौन होगा? क्या विभाग के अधिकारी केंद्रों पर बड़ी मात्रा में जमा गेहूं, निर्धारित समय में उठाव नहीं किए जाने, केंद्र प्रभारियों के द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर कथित परिवहनकर्ता ठेकेदार कन्हैया रजक के विरूद्ध कार्यवाही करेंगे। संभवतः इस पूरे गोरखधंधे के पीछे विभाग और अधिकारी भी कहीं न कहीं शामिल है और इसके चलते किसी भी शिकायत और खुलासे पर किसी के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही का हौसला उनमें नहीं है।

जिला कलेक्टर से कार्यवाही की जन अपेक्षा

शासन की मंशा के विरूद्ध किसानों का जिले में जारी खुलेआम शोषण के मामले की जांच करवाकर दोषी केंद्र प्रभारियों पर कठोर कार्यवाही किए जाने व गेहूं खरीदी के दौरान नियमित जांच करवाए जाने की जन अपेक्षा जिला कलेक्टर से है। ताकि जिले के किसानों से शोषण की वर्षों से पुरानी परम्परा पर विराम लगाया जा सके, और अन्नदाता से लूट को रोका जाए।

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