
गोगापा आदिवासी समाज के अधिकारों, भ्रष्टाचार और जनसमस्याओं के खिलाफ संघर्ष करेगी : प्रदेश अध्यक्ष कमलेश तेकाम
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष ने की प्रेस वार्ता
जनपथ टुडे, 6 मार्च 2025, भोपाल -गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष इंजी. कमलेश तेकाम ने स्थानीय राजधानी के 9 मसाला रेस्टोरेंट में प्रेस वार्ता का आयोजन किया। प्रेस वार्ता में श्री तेकाम ने कहा कि प्रदेश में आदिवासियों की स्थिति को देखते हुए पार्टी संघर्ष करेगी और पेसा कानून, इवीएम, जल जंगल जमीन महिलाओ पर हो रहे अन्याय अत्याचर एवं सरकारी खजाने को लूट रहे कर्मचारी अधिकारियों और भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। गांव शहर और राजधानी में जनसमस्याओं को लेकर जन आंदोलन कर जनता के पैसों का एक एक पाई का हिसाब मांगेगी, गरीब मजदूर, किसान, मातृशक्तियों के मान सम्मान के लिये संघर्ष करेंगी।
आदिवासियों की अन्य सभी तरह की समस्याओं को लेकर आंदोलन किए जाएंगे। हम सरकार से चाहते हैं कि वह आदिवासियों की जो भी मांग है उनको संवैधानिक तौर पर पूरा करें तथा आदिवासियों के प्रति प्रदेश में हो रहे अत्याचारों को गंभीरता से ले, उचित कानूनी कार्यवाही दोषियों के खिलाफ की जावे।
आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम साहित प्रदेश महासचिव बलवीर सिंह तोमर, जन क्रांतिकारी गोंडवाना नेता राधेश्याम काकोडिया, जिला पंचायत सदस्य व जिला अध्यक्ष मंडला ललिता धुर्वे, प्रदेश सचिव सुरेश झारिया, प्रदेश संगठन सचिव एवं प्रदेश सदस्यता प्रभारी सचिव तेज प्रताप उइके, जिला अध्यक्ष सिवनी गंगा मरावी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सुक्कु बरकडे, जिला अध्यक्ष शहडोल छत्रपाल सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे।
इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने राष्ट्रीय संगठन का आभार व्यक्त करते हुए। प्रदेश में पार्टी की आगामी रणनीति को लेकर प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमे आदिवासियों से जुड़े सभी मुद्दों और पार्टी की आगामी रणनीति को बताया गया है।
पार्टी के प्रति आभार
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तिरुमाल दादा तुलेश्वर सिंह मरकाम ने मुझे प्रदेशाध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा हैं। मैं पार्टी का एक साधारण सा कार्यकर्ता हूं, पेनवासी दादा हीरा सिंह मरकाम के महान आंदोलन का समर्पित सिपाही हूं। जो जिम्मेदारी मुझे दी गई हैं वो आप सब के आशीर्वाद और सहयोग से पूरा करने में अपना सब कुछ समर्पित कर दूंगा। किसी भी पार्टी का कार्यकर्ता ही उसकी असल पूंजी हैं, मैं नेता नहीं पार्टी एक सिपाही हूं और मैं पार्टी को सामूहिक नेतृत्व देने का वादा करता हूं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की रीति, नीति,विचार और सिद्धातों को आप सब के साथ मिलकर और अधिक मजबूत करने का भरकस प्रयास करूंगा। मध्यप्रदेश में रहने वाले आदिवासी समाज के साथ ही साथ इस अंचल में रहने वाले सभी वर्गों के लोगों को सरकार की उपेक्षाओं, भ्रष्टाचार और शोषण से निजाद दिलाने के लिए हम सब एक मंच पर मिलकर संघर्ष करेंगे और आदिवासी अंचल के विकास के लिए कार्य करेंगे।
समाज को मजबूती से संगठित किया जाएगा
आदिवासी समाज को जागरूक और एकजुट करने की दिशा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रदेश संगठन पूरी ताकत से काम करेगा। जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पूरी ताकत से लड़ेगी। प्रदेश में दिखावे के तौर पर लागू पेसा एक्ट को पूरी तरह से लागू करने की मांग की जाएगी।
मैं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मुखिया के तौर पर पार्टी और आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए कृत संकल्पित होकर कार्य करूंगा। आदिवासी समाज को जागरूक और एकजुट करने की दिशा में प्रदेश संगठन पूरी ताकत से काम करेगा। जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पूरी ताकत से लड़ेगी। आदिवासी क्षेत्रों में उपलब्ध खनिजों पर आदिवासियों को हक दिलाने। वनोपज पर आदिवासियों का अधिकार सुनिश्चित किए जाने हेतु प्रयास करेंगे।
वर्तमान समय में प्रदेश में आदिवासी समाज की जनसंख्या कुल आबादी का 25 प्रतिशत है। विधानसभा में आदिवासी जनप्रतिनिधियों के लिए 25% स्थान आरक्षित कराए जाने का प्रयास किया जाएगा।
प्रदेश के 25% आदिवासियों के बिना कोई सरकार नहीं बना सकता
प्रदेश में आदिवासियों की जनसंख्या लगभग 2 करोड़ है। मध्यप्रदेश में आदिवासी मतदाता 21% से अधिक है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पिछले 35 वर्षों से आदिवासी समाज के बीच संघर्ष कर रही है, किंतु पार्टी को राजनीतिक सफलता नहीं मिल पाई, वर्तमान में प्रदेश में एक भी विधायक नहीं है। जबकि उत्तर प्रदेश में मात्र 15% दलित मतदाता है जिनकी एकता के कारण बसपा तीन बार सरकार बनाने में सफल रही। बसपा के उत्तर प्रदेश के मतदाताओं की एकजुटता के कारण आज राष्ट्रीय दल की श्रेणी में है। वही छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की अच्छी खासी आबादी होने के बाद भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को विशेष सफलता नहीं मिल पाई है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस आदिवासी मतदाताओं को भ्रमित करने में सफल हो जाती है। आदिवासी क्षेत्रों की आरक्षित सीटों पर राष्ट्रीय पार्टियों से जितने वाले हमारे समाज के नेता समाज की बात कभी नहीं उठाते वे अपनी पार्टी लाइन पर काम करते है। यदि कारण है कि प्रदेश में आदिवासी समाज की कोई आवाज उठाने वाला नहीं है, कोई सुनने वाला नहीं है। प्रदेश में आदिवासियों का शोषण और उत्पीड़न चरम पर है।
नौकरियों की ठेका प्रथा और पलायन आदिवासियों के खिलाफ साजिश है
आदिवासी समाज दिनों दिन पिछड़ता जा रहा है। सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जन जाति वर्ग के आरक्षण का लाभ समाज को नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि अधिकांश नौकरियों ठेके और आउटसोर्सिंग के हवाले कर दी गई है। जिसका सबसे अधिक खमियाजा आदिवासी समाज के युवाओं को उठाना पड़ रहा है। आजादी के 75 साल बाद आदिवासी अंचल में लोगों अच्छे रोजगार के अवसर तो छोड़िए मजदूरी तक नहीं मिल पा रही है। मध्यप्रदेश के मजदूर अन्य प्रदेशों में जाकर मजदूरी कर रहे है। प्रदेश की सरकार मजदूरों का पलायन रोकने का प्रयास नहीं कर रही है। प्रदेश में मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। दूसरी ओर रोजगार गारंटी योजना में हमारे श्रमिकों के नाम पर करोड़ो रूपये का भ्रष्टाचार हो रहा है। इतने बड़े स्तर पर गांव गांव में भ्रष्टाचार व्याप्त है जिसके बाद भी जिला और प्रदेश प्रशासन दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर किसी तरह की कार्यवाही नहीं कर रहा है। ये सरकारें नहीं चाहती कि आदिवासी मजदूर आर्थिक रूप से मजबूत हो इसलिए इन्हें गांवों में मजदूरी देने का प्रयास बंद कर दिया है, गांव और छोटे परिवारों के काबिल नौकरियों ठेके पर दे दी जिससे आदिवासी समाज को आरक्षण का लाभ न मिल पाए। दूसरे प्रदेशों में मजदूरों के पलायन के पीछे इनकी सोच है आदिवासी समाज को कमजोर करना, बड़ी संख्या में इनके प्रदेश से बाहर रहने से आदिवासियों का संख्या बल कम होता है।
खनिजों की लूट मची है
मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल में ही सबसे अधिक खनिज भंडार है, पर इससे किसी भी तरह का लाभ आदिवासी समाज की नहीं मिलता। इसका लाभ बड़े उद्योगपति और बाहरी व्यापारियों द्वारा उठाया जाता है। इन क्षेत्रों में रहने वाले जनजाति लोगों को इन खनिज भंडारों से कोई लाभ नहीं मिलता दूसरी और इन क्षेत्रों से आदिवासियों को विस्थापित होना पड़ रहा रहा। आदिवासियों का न तो उचित ढंग से पुनर्वास हो रहा है और न ही उन्हें उचित मुआवजा मिलता है और न ही रोजगार दिया जा रहा है। इन खनिज भंडारों से होने वाली अरबों खरबों की आय से उद्योगपति, नेता और सरकार अपनी जेबें भर रही है अधिकारी जमकर भ्रष्टाचार कर रहे है। खनिजों से होने वाली आय से पूरे प्रदेश में विकास कार्य करवाए जाते है और सबसे कम राशि आदिवासी क्षेत्रों पर खर्च किया जाता है जिसके कारण ये क्षेत्र आज भी पिछड़े है।आदिवासी अंचल से खनिजों से होने वाली आय का उपयोग आदिवासीओ के विकास और हित में नहीं किया जा रहा है जो आदिवासियों के साथ खुला अन्याय है। आदिवासी अंचल में रेत खदानों पर बाहरी माफियाओं का कब्जा करवा दिया गया है गरीब, आदिवासी, किसान खुद की रेत नहीं खरीद पा रहा। खनिज माफिया करोड़ो का कारोबार कर रहे है। पर आदिवासियों के साथ इस तरह के अन्याय के खिलाफ लोकसभा और विधानसभा में कोई आवाज उठाने वाला नहीं है। आरक्षित सीटों से चुने गए राष्ट्रीय पार्टियों के जनप्रतिनिधि अपनी अपनी पार्टियों की गुलामी में लगे रहते है। यह बात हम सबको समझना होगी कि जब तक हमारे जनप्रतिनिधि हमारी पार्टी से नहीं चुने जाएंगे तब तक लोकसभा और विधानसभा में सीटों के आरक्षण के बाद भी आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय और शोषण के खिलाफ कोई आवाज उठाने वाला नहीं है।
प्रदेश के 2 करोड़ आदिवासी जिस दिन अपने हित में एकजुट होकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ खड़े हो जायेगे उस दिन मध्यप्रदेश में अन्य किसी भी पार्टी की सरकार बनाना संभव नहीं है। आदिवासी समाज के हित में इसी एकजुटता और लोगों को जागरूक करने के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी प्रदेश भर में आंदोलन चला कर समाज को एकसाथ लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। गांव गांव में जाकर पार्टी कार्यकर्ता गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सदस्य बनाएंगे, जिससे आदिवासियों की समस्याओं के लिए गांव गांव से आवाज उठे।
जब तक हम सत्ता से बाहर रहेंगे तब तक हम अपने अधिकार के लिए लड़ते रहेंगे पर ये सरकारें कभी नहीं चाहती कि हम मजबूत हो और इनके सामने सत्ता का संकट खड़ा हो। इसलिए ये हमारे अधिकार नहीं देना चाहती है। आजादी के इतने समय बाद अब हमें समझ जाना चाहिए कि जब तक हमारे पास सत्ता नहीं होगी हमारे समाज की स्थिति नहीं सुधरेगी। इसलिए जरूरी है कि प्रदेश का आदिवासी एकजुट होकर सत्ता प्राप्त करे, ताकि समाज का उत्थान हो सके विकास हो सके। आज के युग में जिसके पास सत्ता है वहीं ताकतवर है, हमारी इतनी बड़ी संख्या है प्रदेश में फिर भी हम कमजोर क्योंकि हम हमेशा सत्ता से दूर रहे है। इसलिए जरूरी है कि हम सब एकजुट होकर अपने राजनैतिक वजन को समझे। आजादी से अब तक हमारे समाज के सांसद, विधायक बड़ी पार्टियों में रहकर समाज के हित में कुछ नहीं कर पाए यह बात हमे समझनी होगी। सालों से इस पार्टियों ने हमे बहला फुसला कर जो विश्वासघात किया है उसका बदला लेने का समय आ गया है वह तब ही संभव है जब प्रदेश का एक एक आदिवासी एकजुट हो और अपने राजनैतिक बजूद के प्रति जागरूक होकर एक साथ खड़ा हो।
मैं आज इस मंच से पूरे प्रदेश के आदिवासी समाज से आव्हान करता हूं कि यदि वे आदिवासी समाज को विकास की दौड़ में बराबरी से खड़ा करना चाहते है, अपने हक और अधिकार बचाना चाहते है तो हर परिवार से कम से कम एक सदस्य गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने शामिल हो और पार्टी के विचारों को घर घर तक पहुंचाए। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को बदनाम करने वाले लोग जाति विशेष की पार्टी बताकर हमें कमजोर करने की कोशिश करते है इससे हमें सतर्क रहना है और सभी अनुसूचित जनजाति समाज को आगे आकर पार्टी को मजबूती प्रदान करना चाहिए। कहने को तो बहुत कुछ है पर अब समय कुछ कहने का नहीं करने का है और अब हम सब को एकजुट होकर वो करना था जो अब तक नहीं हुआ है। आदिवासियों को बहला फुसला कर फूट डालो राज करो कि नीति अपना कर प्रदेश की सत्ता हथियाने वालों को जवाब देना है तो एक बार हम सबको एक साथ आना होगा इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है हमारे पास।