इटली से एक भारतीय का संदेश :- इटली में लोगों ने पहले चेतावनी को नजरअंदाज किया, फिर आवाजाही ने कोरोना को बढ़ाया

Listen to this article

 

भारत में ऐसा हुआ तो स्थिति भयानक होगी

इटली में 60 साल से कम उम्र के मरीजों को ही वेंटिलेटर दें

 

इटली में लोग घर से नहीं निकल रहे

जनपथ टुडे, 24 मार्च 2020,
(इटली में रह रहे अंकित तिवारी जो कीभारत के है उन्होंने इटली के हालात की जानकारी और इस दौर में अपने अनुभव को शेयर कर चेतावनी दी है जो हम लोगो तक पहुंचा रहे है जिससे समझा जा सके कि लोगों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं )

मिलान. इटली में जो कुछ हो रहा है, वह भारत के लिए सबक है। इटली वह देश है, जहां कोरोनावायरस के अब तक 59 हजार मामले सामने आ चुके हैं और 5,400 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इटली में मौतों का आंकड़ा चीन से भी ज्यादा है। इटली में भी लोगों ने पहले चेतावनी को नजरअंदाज किया। कर्फ्यू लगा तो उसका धड़ल्ले से उल्लंघन किया। लोग अपने-अपने शहरों की तरफ जाने लगे तो कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते गए। भारत में अगर ऐसा हुआ तो स्थिति कहीं ज्यादा भयानक होगी।

 

इटली में रह रहे अंकित तिवारी की आपबीती पढ़े…

मैं अंकित तिवारी। मूल रूप से उत्तराखंड का रहना वाला हूं। कुछ साल पहले मेरी शादी बेनेदेत्ता बियोनि से हुई, जो बीते कई सालों से भारत में रहती हैं, लेकिन वे मूलतः इटली से हैं। बीते साल 12 नवंबर को हमें एक प्यारी-सी बेटी हुई, जिसका नाम हमने अधिरा रखा है।

अधिरा के जन्म से कुछ महीने पहले ही हम लोग इटली आ चुके थे क्योंकि यहां की स्वास्थ्य सुविधाएं भारत की तुलना में कहीं बेहतर हैं। भारत के सुपर स्पेशीऐलिटी अस्पताल मोटी रकम लेकर भी वैसी सुविधाएं नहीं दे पाते, जैसी यहां सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध है।
हमें अधिरा के जन्म के लिए दवाइयों या अस्पताल में एक रुपया भी खर्च नहीं करना पड़ा। यह पूरा खर्च इटली की सरकार ही उठाती है। इसके साथ ही सरकार की ओर से हमें अधिरा के जन्म से पहले और जन्म के बाद दो बार आठ-आठ सौ यूरो मिले और अब भी उसकी देखभाल के लिए करीब 500 यूरो हर महीने मिलते हैं।

इटली में हम लोग अलान्या वलसेसिया में रहते हैं यह उत्तरी इटली का एक छोटा-सा इलाका है जिसकी कुल आबादी मात्र पांच सौ लोगों के करीब है। यह जगह मिलान से 106 किमी दूर है और स्कीइंग के लिए मशहूर है यहां स्थित मोंते-रोसो की ढलानों पर बर्फबारी का आनंद लेने दुनियाभर के पर्यटक पहुंचते हैं। करीब एक महीना पहले तक भी ये जगह पर्यटकों से भरी हुई थी, लेकिन कोरोनावायरस के चलते अब यह एकदम सुनसान और वीरान हो चुकी है। पूरा इलाका बीते कई दिनों से बंद है। गलियां एकदम सुनसान हैं। सारी दुकानें बंद करवा दी गई हैं और लोगों को भी घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है।

इटली अपनी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दुनियाभर में जाना जाता है, लेकिन उसके बावजूद भी यहां जो स्थिति है, वह भयावह है। लोगों में भारी डर पनपने लगा है। इस स्थिति का मुख्य कारण यही है कि यहां लोगों ने शुरुआत में कोरोना से जुड़ी चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया और जब तक लोगों को इसकी गंभीरता का अंदाजा हुआ, बहुत देर हो चुकी थी।

 

इटली में जब लोग शहर छोड़कर भागने लगे:-

सरकार काफी पहले ही लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहने और बेवजह घर से न निकलने के लिए लगातार बोल रही थी, लेकिन शुरुआत में किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। फिर जब लोगों के मरने का आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ने लगा तो लोग घबराकर शहर छोड़ कर दूसरी जगह भागने लगे और इससे भी संक्रमण बेहद तेजी से फैलता चला गया। आखिरकार सरकार को निर्देश जारी करने पड़े कि कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और कुछ महीनों की कैद भी हो सकती है तब जाकर लोगों की आवाजाही में कमी आई।

 

कार बनाने वाली कंपनियां वेंटिलेटर बना रहीं

यूरोप पूरी दुनिया में वेंटिलेटर सप्लाई करता है। यहां के अस्पतालों में वेंटिलेटर की सुविधा सहज ही उपलब्ध है। लेकिन कोरोना इतनी तेजी से फैला कि यहां वेंटिलेटर की भारी कमी हो गई और यही इस मुश्किल दौर में बहुत भारी पड़ी। यहां की सरकार को पड़ोसी देशों से कई वेंटिलेटर मंगवाने पड़े और फिएट और फेरारी जैसी कार बनाने वाली कंपनियों तक से मदद मांगनी पड़ी कि ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेटर बनाए जा सकें। यहां इस वक्त इस महामारी से लड़ रहे डॉक्टरों ने बयान भी दिए कि इस वक्त एक-एक वेंटिलेटर हमारे लिए किसी सोने की खदान जैसा हो गया है।

इटली की सेना सम्हाल रही है अब मोर्चा

यही कारण है कि मुझे भारत के बारे में सोचकर ज्यादा चिंता हो रही है। मेरे घर वाले लगातार मेरे लिए परेशान हो रहे हैं कि मैं इटली में सुरक्षित हूं या नहीं। लेकिन सच कहूं तो मुझे उनकी ज्यादा चिंता है। उत्तराखंड में स्थिति ये है कि वहां पूरे राज्य में सिर्फ दो-तीन सरकारी अस्पताल ही हैं, जहां वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। प्राइवेट अस्पतालों में वेंटिलेटर जरूर हैं, लेकिन हर कोई इन महंगे अस्पतालों का खर्चा नहीं उठा सकता। उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि भारत में लगभग सभी प्रदेशों में यही स्थिति है। इसलिए वहां अगर इटली जैसे हालात बनते हैं तो स्थिति यहां से कई गुना भयानक हो सकती है।

 

60 साल से कम उम्र वालों को ही वेंटिलेटर मिल रहे

इटली में हम लोग अब पूरी तरह से घरों में कैद हैं। हमारे मोहल्ले में कल पहला केस पॉजिटिव पाया गया है। इसके बाद यहां लोगों में पैनिक ज्यादा बढ़ गया। कल से लोग अपनी बालकनियों में भी नहीं निकल रहे हैं। ऊपर से सरकार ने नई एडवाइजरी जारी की, जिसके अनुसार अब 60 साल से कम उम्र वालों को ही वेंटिलेटर दिए जाएंगे। मतलब बीमारों की उम्र देखकर उनकी जान बचाई जाएगी। ये फैसला दिखा रहा है कि सरकार हताश होने लगी है। लोग परेशान हैं और इससे बचने एक मात्र तरीका यही कि घर से किसी भी हाल में न निकला जाए, बीमार हो जाने से किसी भी तरह बचा जाए। अच्छी बात ये है कि हमें राशन या अन्य जरूरी सामान के लिए परेशान नहीं होना पड़ रहा। हमें जो भी चाहिए होता है हम लोग एक लिस्ट बनाकर यहां के मेयर को भेज देते हैं और सारा सामान हर गुरुवार हम तक पहुंच जाता है। यहां सरकार ने सबके घरों में मास्क और जरूरी दिशा-निर्देश लिखे हुए दस्तावेज भी पहुंचा दिए हैं। हमें घर से निकलने की कोई मजबूरी नहीं है इसलिए हम यहां सुरक्षित हैं। साथ ही यहां की सरकार वित्तीय मदद भी कर रही है, इसलिए यहां के नागरिकों के लिए घरों में पूरी तरह बंद रहना इतना मुश्किल भी नहीं है। लेकिन भारत में ऐसा संभव हो पाना बेहद मुश्किल है। भारत में आबादी बहुत ज्यादा है, लोगों में जागरूकता काफी कम है और एक बहुत बड़े वर्ग की आर्थिक स्थिति भी इतनी मज़बूत नहीं है कि बिना किसी मदद के वो ज्यादा दिन घरों में बंद रहकर दो वक्त का खाना खा सकते हों। इसलिए वहां अगर हालात बिगड़ते हैं तो न जाने कितने लोग भुखमरी से ही मर सकते हैं।

इटली समेत कोरोना से प्रभावित सभी देशों का अनुभव बताता है कि यह कितनी तेजी से फैल रहा है और स्थिति बेकाबू हो रही है। इससे निपटने का इकलौता तरीका फिलहाल यही है कि क्वॉरंटीन का बहुत सख्ती से पालन किया जाए। इटली में पहले जो शटडाउन 2 अप्रैल तक किया गया था, उसे अब बढ़ाकर 15 अप्रैल तक कर दिया गया है। भारत को भी अभी से इस दिशा में काम करना चाहिए और पूरी तरह से शटडाउन करना चाहिए। अगर अभी से गंभीरता नहीं दिखाई तो हालात बिगड़ते ज़्यादा समय नहीं लगेगा।

कोरोना कितना भयावह है इसे बेहद करीब से देखने के बाद मैं अपने देश के लोगों से यही अपील करना चाहता हूं कि आप लोग वो गलती न दोहराएं जो इटली में लोगों ने की। इस स्थिति की गंभीरता को समझें और खुद ही घरों से बिलकुल बाहर न निकलें। सरकार जो दिशा-निर्देश जारी कर रही है उसका गंभीरता से पालन करें। हमारे देश में स्वास्थ्य सुविधाएं कैसी हैं ये किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में हमें यही कोशिश करनी चाहिए कि उस नौबत से ही बचा जाए, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की जर्जर स्थिति कई मौतों का कारण बन जाए।

Related Articles

Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809 666000