
शिक्षा बचाओ यात्रा प्रथम चरण 3 अप्रैल से
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 3 अप्रैल 2021, दुनिया देश समाज के भविष्य बच्चों का भविष्य खतरे में है क्या स्कूल बंदी ही कोरोना का इलाज है। विगत 1 वर्ष से करो ना कॉल के चलते हमारा शिक्षा का ढांचा पूरी तरह से ध्वस्त हुआ उसके परिणाम हमें भविष्य में देखने को मिलेंगे जहां एक और बच्चा का बचपन शिक्षा अनुशासन निरंतरता सामाजिकता समूह भावना तथा सामाजिक मूल्यों का पतन हुआ है वहीं दूसरी ओर समाज के एक अध्यक्ष भय से जकड़ता जा रहा है। इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब शोषित एवं वंचित समूह के बच्चे हुए हैं जिनके अभिभावकों ने चाह कर भी नहीं करा पा रहे और ना ही बच्चे चाह कर भी पढ़ पा रहे हैं एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश के लगभग 70 लाख बच्चे जो ग्रामीण क्षेत्र शहरी क्षेत्र के गरीब बच्चे तथा अशासकीय स्कूलों में पढ़ रहे गरीबी रेखा के नीचे की श्रेणी के बच्चे मुख्य हैं सर्वाधिक प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे जहां संचार का आधारभूत ढांचा नहीं है एवं गरीबी है इसका मुख्य कारण विद्यालयों का बंद होना तथा संचार साधनों जैसे टीवी मोबाइल एवं इंटरनेट के भरोसे पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था का होना है। फलस्वरुप बच्चे विद्यालय के माहौल से वंचित हो गए हैं जहां उनका मानसिक शारीरिक एवं बौद्धिक विकास सुनिश्चित होता था इस दौरान बच्चों का एक नया वर्ग उभर कर सामने आया है जो इंटरनेट के अंधे गलियारों एवं भूल भुलैया में नई दुनिया को पाकर कई मानसिक विकृतियों का शिकार हो रहे हैं तथा मार्गदर्शन के अभाव में सही गलत में अंतर नहीं कर पा रहे हैं क्या स्कूल बंदी ही इस दौर का विकल्प है जहां पूरी दुनिया के हर क्रियाकलाप एक नियम कानून के दायरे में बंधकर संचालित हो रहे हैं क्या हमारे नैनी हालो को शाला का कोई विकल्प शाला के ही रूप में विभिन्न स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों के लागू करते हुए संभव नहीं है।इसका एक सरल हल संभव है कि स्कूल बंदी के निर्णय राज्य स्तर पर न लेकर जिला कलेक्टर के ऊपर छोड़ दिया जाए l वे अपने जिले के कोरोना मुक्त क्षेत्रों में स्वविवेक से शालाएं संचालित करने का निर्णय ले जबकि परीक्षा संबंधी निर्णय राज्य एवं केंद्र सरकारों द्वारा लिए जावे।
आरटीआई के अंतर्गत अध्ययनरत बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर विशेष व्यवस्थाएं कर ध्यान दिया जावे एवं प्रगति पर सतत नजर रखी जावे।
शिक्षा बचाओ यात्रा का मूल उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों से बातचीत एवं मंथन का का ऐसी संभावनाएं तलाशना है जहां हम बच्चों का बचपन वापस लौट आ सके और उनके शैक्षणिक हत्या होने से रोक पाए।
उपरोक्त विचारों को लेकर मध्य प्रदेश शिक्षा बचाओ मंच द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं शिक्षाविदों जीवन रेखा मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से 3 अप्रैल आरंभ होकर प्रदेश के लगभग 34 जिलों से होती हुई प्रदेश की नीति निर्धारक नगरी भोपाल से गुजरेगी।
यह यात्रा अमरकंटक से अनूपपुर, डिंडोरी, शहपुरा, उमरिया, शहडोल, व्यवहारी, सीधी, रीवा, सतना, पन्ना, दमोह, सागर, टीकमगढ़, अशोकनगर, गुना, नरसिंहगढ़, विदिशा, भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, मंडला, कुंडम, दशहरमन होते हुए कटनी में समाप्त होगी।
समाज के सभी वर्गों विभिन्न अभिभावक संगठनों छात्र हितैषी संगठनों सामाजिक संगठनों से इस यात्रा में सहभागिता एवं वैचारिक समर्थन की अपेक्षा शिक्षा बचाओ मंच मध्य प्रदेश करता है।