
पीएचई विभाग में जारी “लेबर घोटाला” और जवाब देने से मुंह छुपाते कार्यपालन यंत्री
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 16 अक्टूबर 2020, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सेवा विभाग महत्वपूर्ण पेयजल आपूर्ति के लिए संचालित प्रदेश शासन का एक महत्वपूर्ण विभाग है और इसका सीधा संबंध आमजन से है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के, हर घर पानी के संकल्प के साथ इस विभाग का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। जिले में पीएचई विभाग की भूमिका पर हमेशा सवाल खड़े होते रहे इसकी मूल वजह है शासन द्वारा नल जल योजना, नलकूप खनन, कुआं निर्माण, आदि कार्यों के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध कराए जाने के बाद भी जिले के ग्रामीण अंचलों में अब भी समुचित पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई है। जिन गांवो में, टोले, मोहल्लों में पीएचई के द्वारा लाखों रुपए खर्च करके जलापूर्ति की व्यवस्था की गई है वहां भी लोग संतुष्ट नहीं हैं। लोगों को पानी नहीं मिल रहा है ऐसी हजारों शिकायतें प्रतिवर्ष जिले में दर्ज होती हैं जो पीएचई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और नकारेपन का उदाहरण मात्र है।
करोड़ों रुपए खर्च कर जहां सरकार प्राथमिकता के साथ आदिवासी, पिछड़े क्षेत्र के गांव – गांव तक पेयजल की व्यवस्था करने प्रयासरत है और जनता की प्राथमिक आवश्यकता के लिए कृत संकल्पित है, वही पीएचई के अधिकारी आमजन की पेयजल संबंधी समस्याओं और शिकायतों पर बहानेबाजी करते दिखाई देते हैं और जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के सामने किन्तु परन्तु करते है, वहीं शासकीय फंड का उपयोग नियमों और निर्देशों को ताक पर रखकर मनमर्जी से करने के प्रयास किए जा रहे हैं जिससे विभाग के निर्णय और अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदिग्ध नज़र आती है। पीएचई विभाग जिले में महत्वपूर्ण जलापूर्ति के लिए कार्यरत है उसकी तो ढेरों शिकायतें और आमजन में इनकी योजनाओं के प्रति असंतोष जग जाहिर है साथ ही विभाग अपने अन्य कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में बना रहता है।
अपने कारनामों के चलते सुर्खियों में है विभाग
पीएचई की शासकीय केसिंग पाइपो का ठेकेदार द्वारा निजी बोरिंग में उपयोग का मामला जांच के नाम पर अब तक फाइलों में दबा है। कोरोना काल के चलते अब तक इस पर की गई किसी कार्यवाही का खुलासा सार्वजनिक नहीं किया गया है। वहीं विगत माह विभाग में निविदा खोलने को लेकर हुई गड़बड़ियों का मामला उजागर हुआ था जिसमें प्रदेश शासन के निर्देशों की अवहेलना कर अपने चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने का आरोप कार्यपालन यंत्री पर लगा था। प्रमाणित आपत्तियों के बाद विभाग अथवा स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने के बाद असंतुष्ट ठेकेदार श्री जी एंटरप्राइजेज ने मध्य प्रदेश शासन के विरुद्ध एक पिटिशन हाईकोर्ट में दायर कर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
कैसे किया गया “लेबर घोटाला”
अब विभाग में चल रही एक और आर्थिक गड़बड़ी सामने आ रही है जो “लेबर घोटाले” के नाम से चर्चाओं में है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएचई विभाग डिंडोरी में नल जल योजना आदि कार्यों के संधारण हेतु मजदूरी की उपलब्धता हेतु निविदा के आधार पर लेबर प्रोबाएडिंग की निविदा निकाली जाती है,जिसके आधार पर न्यूनतम दर पर ठेकेदार द्वारा विभाग को श्रमिक उपलब्ध कराए जाते हैं। अनुमानित 25 से 30 लाख रुपए की वार्षिक लागत से यह कार्य संपादित होता है। वर्ष 2017 में विभाग द्वारा 1 वर्ष का ठेका दिए जाने के बाद से विभाग द्वारा वर्ष 2020 एक इस कार्य की निविदा निकाले बिना छोटी-छोटी राशि के कोटेशन के आधार पर विभाग के ठेकेदारों के गठजोड़ से भीतर ही भीतर कार्य अंजाम दिया जा रहा है। शासन के निर्देशानुसार पारदर्शी तरीके से निविदा बुलाए बगैर कोटेशन के आधार पर अपने चहेते ठेकेदार को उपकृत किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं इसमें एक ही ठेकेदार को भुगतान किया गया है जिससे अन्य ठेकेदार नाराज हैं और इनके द्वारा विभाग के सामने समय-समय पर आपत्तियां दर्ज कराई जाती रही है। किंतु साठगांठ के खेल में शामिल विभाग के अधिकारियों ने इसके लिए निविदा आमंत्रित नहीं की और कोटेशन के माध्यम से ही कार्य का भुगतान किया जाता रहा। और अपने चहेते ठेकेदारों के नाम पर भुगतान करने का सिलसिला अब भी पीएचई विभाग में जारी है। विभाग के द्वारा विगत दो वर्षो में कई कार्यों की निविदाएं आमंत्रित की गई, पिछले माह भी कुछ कार्यों की निविदा विभाग द्वारा जारी की गई तब भी लेबर प्रोबाईडिंग कार्य की निविदा नहीं लगा ई गई जो कि अपने आप में सवाल खड़े करता है? बिना निविदा प्रक्रिया को अपनाए शासन के नियमों की अनदेखी का बड़ा मामला है। जिला प्रशासन को इसकी जांच कराकर शीघ्र दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए।
जवाब देने से मुंह छुपाते ई ई
इस पूरे मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा विगत वर्षों से निविदा क्यों प्रकाशित नहीं की गई? तथा इस पर कितनी राशि व्यय की जा रही है तथा कोटेशन पर कार्य करवाने से शासन को हानि तो नहीं हो रही है, किन नियमों – निर्देशों और परिस्थितियों में कोटेशन के माध्यम से कार्य करवाया जाना संभव है। इन सब विषय की जानकारी लेने हेतु हमारे प्रतिनिधि द्वारा लगातार कार्यपालन यंत्री श्री डेहरिया से संपर्क करने का और उनका जवाब जानने की कोशिश की जाती रही किंतु वे लगातार सवालों को टालते रहे और जवाब देने से बचते रहे।
13 अक्टूबर को उन्होंने हमारे प्रतिनिधि से कहा कि कि उन्हें विषय की विस्तृत जानकारी नहीं है फाइलों का अवलोकन कर कल वह इस मामले की पूरी जानकारी दे देंगे।
अगले दिन 14 अक्टूबर को वे कार्यालय में उपलब्ध नहीं रहे और फोन पर उन्होंने 15 अक्टूबर को चर्चा करने की बात कही।
कल 15 अक्टूबर को कार्यपालन यंत्री ने हमारे प्रतिनिधि से स्पष्ट कहा कि वे इस मामले पर कोई चर्चा नहीं करना चाहते उनका कहना था कि वह यह जुलाई में पदस्थ हुए है और कोरोना व लॉक डॉउन के चलते निविदा नहीं लगाई गई है।
जबकि कार्यपालन यंत्री जुलाई 2019 में डिंडोरी पदस्थ हुए हैं और उन्हें यहां पदस्थ हुए लगभग 1 साल से अधिक का समय हो चुका है इनके कार्यकाल में अन्य कार्यों की निविदाएं भी निकाली गई। इस कार्य को ही कोटेशन के जरिए कराया जा रहा है वह भी एक ही ठेकेदार के माध्यम से जो कि सवाल खड़े करता है।
कार्यपालन यंत्री द्वारा जवाब देने से लगातार बचने का प्रयास किया जाना, सवालो के जवाब न देने से जाहिर है कि मामला संधिग्ध है और विभाग में लेबर आपूर्ति के नाम पर अपनाई जा रही प्रक्रिया पर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं है ।और सूत्र बताते है कि अपने बचाव में विभाग आनन फानन में अब लेबर प्रोबाईडिंग का टेंडर एक दो दिन के भीतर लगाने की मशक्कत में लगा है ताकि लग रहे आरोपों से बचाव किया जा सके।