
प्रा. शाला भाजीटोला हुआ जर्जर पालक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने हेड मास्टर पर लगाए आरोप
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 21 सितंबर 2021, कोरोना के चलते लगातार बंद पड़े स्कूल अब खुलने लगे हैं। जिसके बाद बदतर हो चुकी स्कूल भवनों की व्यवस्था को लेकर अभिभावकों और जनता में आक्रोश देखा जा रहा है।
प्रदेश सरकार के द्वारा कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाएं विगत दिनों प्रारंभ कर दी गई है। जिसके बाद जिले के भी सभी शासकीय प्राथमिक स्कूल बच्चों के लिए खोल दिए गए हैं और शिक्षण कार्य प्रारंभ हो गया है। किंतु स्कूल भवनों की दुर्दशा को देखकर अभिभावक और पालक शिक्षक संघ द्वारा नाराजगी जताई जा रही है। वही जिम्मेदार शिक्षक अब स्कूल भवन की मरम्मत की बात कह रहे हैं। जबकि शिक्षण कार्य प्रारंभ होने के पूर्व अब तक स्कूलों की मरम्मत करवा ली जाना चाहिए। जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं होता। किन्तु इसकी परवाह न तो शिक्षा विभाग के आला अफसरों ने की न मैदानी अमले ने कोई सुध ली, संस्था प्रमुख तो पिछले लंबे समय से केवल कागजी घोड़े दौड़ने में व्यस्त थे ही।
इसी तरह का मामला समनापुर विकास खंड के प्राथमिक शाला भाजी टोला का सामने आया है। जहां भवन बहुत बुरी स्थिति में है और लगभग जर्जर हो चुका है। अभिभावकों के अनुसार छत टपक रही है फर्श खुदा पड़ा है। दीवारों पर काई लग गई है। बच्चों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है और शासन के आदेश अनुसार स्कूल खोल दिए गए हैं। इसके पहले प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूलों की स्थिति का मुआयना करना तक जरूरी नहीं समझा। ऐसी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई कतई संभव नहीं है।
प्राथमिक शाला भाजी टोला के पालक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने हेड मास्टर दामोदर सिंह चंदेल पर शाला विकास निधि की राशि लगभग 1.50 लाख रुपए आने के बाद ही मरम्मत न कराए जाने पर नाराजगी जताते हुए, शासकीय राशि हजम कर लिए जाने की भी बात कही। उनका आरोप है कि वर्ष 2019 से शाला में न तो कोई मरम्मत हुई है और न ही रुधाई आदि कार्य करवाया गया है। वहीं हेड मास्टर दामोदर सिंह चंदेल का कहना है कि उनके द्वारा मरम्मत का कार्य करवाया जा रहा है। छत ठीक करवाई जा रही है कुछ दिन में प्लास्टर करवा दिया जावेगा। किंतु यहां अभिभावक और पालक शिक्षक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि जब समुचित राशि उपलब्ध थी तो स्कूल खुलने के पहले मरम्मत का कार्य क्यों नहीं करवाया गया?
कभी-कभी दौरा भी कर लिया करें बी ई ओ साहब
जिले के ग्रामीण अंचलों में स्कूल भवनों की स्थिति जर्जर है। जबकि शासन द्वारा इन भवनों की मरम्मत हेतु आकस्मिक निधि की राशि का उपयोग करने की अनुमति बताई जाती है, साथ ही शाला विकास निधि के अतिरिक्त भी मरम्मत और पुताई आदि कार्यों के लिए राशि प्रदान की जाती रही है। किंतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते कागजों पर मरम्मत कार्यों की मांग, स्वीकृति, उपयोग सब चलता रहता है पर वास्तव में स्कूल भवनों की स्थिति जर्जर होती जा रही है इस राशि के उपयोग का असर भवनों पर तो नहीं दिखता। जनता का अनुरोध है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी, ऑफिस में बैठ कर अफसरी कर रहे बी ई ओ साहब को कम से कम साल में एकाध बार भवनों का निरीक्षण तो कर लेना चाहिए। अधिकारी यदि कभी कभी घूम आए तो उन्हें स्कूल भवनों की स्थिति और खर्च की जाने वाली कागजी राशि की जानकारी मिल जाएगी, कार्यवाही करना न करना तो उनका विशेषाधिकार है जिसकी बहुत उम्मीद जनता को है भी नहीं।
आगनबाड़ी भवन में भी नहीं व्यवस्थाएं
इसी तरह आंगनबाड़ी में भी कोई सामग्री उपलब्ध नहीं होने और बच्चों के बैठने तक की व्यवस्था का आभाव बताया जाता है। आंगनबाड़ी खुलना न खुलना बच्चो को सामग्री का वितरण किया जाना सब कार्यकर्ता और सहायिका की मर्जी पर निर्भर बताया जाता है। लोगों का कहना है कि आंगनबाड़ी गांव में केवल शो पीस है।