अवैध रेत परिवहन करने वालों के विरुद्ध जुर्माने के साथ चोरी का मामला भी दर्ज किया जावे

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 10 अगस्त 2020, जिले में रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन खुलेआम हो रहा है और इस पर तमाम प्रयासों के बाद भी रोक नहीं लग पा रही है। खनिज विभाग की कार्यवाही न काफी प्रतीत हो रही है तथा अवैध परिवहनकर्ताओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही नहीं होने से उनके हौसले बुलंद हैं। इस संदर्भ में खनिज विभाग के अधिकारियों से चर्चा भी की गई किंतु उनके द्वारा जुर्माना लगाकर अवैध खनिज परिवहन के प्रकरण न्यायालय अपर कलेक्टर को प्रस्तुत किए जाते है। जबकि रॉयल्टी न चुकाने वाले परिवहनकर्ता शासन के खनिज की चोरी कर रहे है और स्टेट माइनिंग कारपोरेशन द्वारा निविदा कर खनिज के खनन का अधिकार केवल ठेकेदारों को दिया जाता है। तब किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अवैध खनन के साथ ही साथ शासन की संपत्ति की चोरी भी है। अतः ऐसे प्रकरणों में वाहन मालिकों पर चोरी के प्रकरण भी दर्ज किए जा सकते है। इसी तरह अवैध उत्खनन और परिवहन में अधिकांशतः ऐसे वाहनों का उपयोग किया जाता है जिनपर नम्बर अंकित नहीं होते, उनका बीमा और टैक्स आदि बकाया होता है जो कि परिवहन विभाग की शेष वसूली और नियम विरूद्ध परिवहन के मामले है जिन्हें भी संज्ञान में नहीं लिया जा रहा है केवल रॉयल्टी न चुकाने का जुर्माना वसूलने की औपचारिक कार्यवाही की जा रही है, जिससे जिले में खुलेआम कई सैकड़ा वाहन मालिक खुलेआम रेत, मुरम और पत्थर आदि खनिजों का अवैध परिवहन कर रहे है और पकड़े जाने पर मामूली जुर्माना चुका कर वाहनों को छुड़ा कर पुनः उसी अवैध कारोबार में जुट जाते है।

इस संदर्भ में जिले के वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने आज अपर कलेक्टर के समक्ष लिखित आपत्ति दर्ज करवाते हुए ऐसे प्रकरणों में इन अवैध रेत परिवहनकर्ताओं के विरुद्ध चोरी के प्रकरण भी दर्ज करवाए जाने के साथ अवैध परिवहन करने वालों वाहनों के वाहन बीमा और रोड टैक्स की वसूली हेतु भी कार्यवाही करते हुए ऐसे प्रकरणों का निराकरण करने की मांग की गई है।

जानकारों का कहना है कि जिले में अवैध परिवहन करते पकड़े जाने वाले वाहनों पर मामूली जुर्माना कर उन्हें छोड़ दिया जाता है। जबकि मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के नियम 53(5) एवं मध्यप्रदेश खनिज नियम की धारा 18 (5) के तहत कार्यवाही का प्रावधान है, जिसमें बाजार मूल्य से दस गुना अधिक जुर्माना एवम नियमानुसार रुपए 50 हजार तक का अर्थ दंड व 3 माह से लेकर 2 वर्ष तक का साधारण कारावास दिया जा सकता है, और दोनों से दंडित भी किया जा सकता है।

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