आवास के लिए दर दर भटक रहा बैगा परिवार

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देवसिंह भारती :-

 

 

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 8 अक्टूबर 2020, अमरपुर आवास योजनाओं के अतंर्गत भारी गड़बड़ी आदिवासी बाहुल्य अमरपुर विकासखण्ड में की जा रही हैं। यह योजना पूरी तरह से कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गई हैं। जनपद पंचायत के अनेक ग्रामों में इस योजना के अतंर्गत भारी गड़बड़ी की गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शिक्षा का आभाव हैं अशिक्षा और गरीबी के कारण लोग शोषण का शिकार सदैव होते हैं। चंद लोगों की आवाज ही प्रशासन तक पहुॅच पाती हैं। उसमें से ज्यादातर गोलमाल कर एक तरफ कर दी जाती हैं। पर प्रशासन कार्यवाही कर अपनी पीठ खुद थपथपा लेता है। किन्तु उन गरीब और बेसहारा लोगों की सुने जो असहाय, विधवा और गरीब है। जनपद पंचायत अतंर्गत ग्रामों में व्याप्त भ्रष्टाचार इस कदर हावी हैं कि ग्रामीण लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता वहीं पर योजना से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी मलाई खा जाते हैं और हितग्राहियों को छांछ तक नसीब नहीं होता हैं।

ऐसा ही एक मामला जनपद पंचायत अमरपुर के ग्राम पंचायत बरसिंघा माल के पोषक ग्राम बरसिंघा रैयत का प्रकाश में आया हैं जहाॅ पर रहने वाली एक बैगा महिला गुहिया बाई पति सुखदेव जिसका सात सदस्य का पूरा परिवार एक झोपड़ीनुमा मकान में जीवन यापन करने मजबूर हैं। जबकि शासन का दावा हैं कि ऐसे आवासहीन परिवार को प्राथमिकता के आधार पर प्रधान मंत्री आवास उपलब्ध कराया जाना हैं। वह भी बैगा परिवार जिस विशेष जनजाति के विकास हेतु बैगा विकास प्राधिकरण की स्थापना की गई हैं। फिर भी प्रशासन इस बैगा परिवार को एक झोपड़ी में गुजर बसर करने छोड़ दिया गया हैं। गुहिया बाई के अनुसार वह अनेकों बार ग्राम पंचायत की ग्राम सभा एवं सामान्य बैठकों में भी आवास स्वीकृत करने गुहार लगा चुकी हैं। परन्तु उसे डांट फटकार कर भगा दिया जाता हैं। जबकि इस ग्राम पंचायत की शिकायत में अपात्रों को आवास स्वीकृत करने का आरोप भी लगा हैं। फिर भी जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं, इस महिला के संयुक्त परिवार में पति पत्नी के अलावा एक बूढ़ी माॅ, बेटा, बहू और बेटे की दो बालिकाएं ऐसे सात सदस्यों का परिवार कैसे गुजर कर रहे हैं। जिसे देखने में तरस आता हैं। परन्तु स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस गरीब बैगा महिला की सुध ले पा रहा हैं। जो कि गम्भीर लापरवाही ही कहा जा सकता हैं। इस सम्बंध में ग्राम पंचायत के प्रभारी सचिव बंसत सिंह पिपराहा का कहना हैं कि एफसीसी डाटा में नाम न होने के कारण स्वीकृति नहीं मिल सकी हैं, बैगा विकास में नाम भेजा गया हैं।

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