बरसिंघावासियों ने जनपद में दिया धरना तब नींद से जागे सीईओ 

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देव सिंह भारती:-

जनपथ टुडे, डिंडोरी,अमरपुर जनपद पंचायत क्षेत्रांतर्गत ग्राम पंचायत बरसिंघा के ग्रामवासियों द्वारा ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव द्वारा की जा रह घोर अनियमित्ताओं की शिकायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत के अलावा जिला कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत को 10 बिंदुओं का आवेदन जांच करने हेतू दिया गया था। इस संबंध में ए. एस. कुशराम मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत, अमरपुर द्वारा जांच दल गठित कर जांच कराई गई थी। 15-20 दिन पहले जांच दल द्वारा मौके में पहुंचकर खुली जांच की गई थी,जहां ग्रामवासियों द्वारा मौके में सभी प्रमाण उपलब्ध कराए गए थे जिससे उनके द्वारा की गई शिकायते प्रमाणित होना पाया गया था।

परंतु एक पखवाड़े से अधिक समय के बाद भी जांच दल द्वारा अपना जांच प्रतिवेदन मुख्य कार्य पालन अधिकारी को नहीं सौंपा, ऐसा सीईओ का कहना था, जिससे ग्रामीणों आक्रोशित होकर जनपद कार्यालय परिसर में ही धरने पर बैठ गए और उनका कहना था की जांच प्रतिवेदन बनने के बाद ही हम लोग उठेंगे और अधिकारी कर्मचारियों को बाहर जाने का रास्ता छोड़ेंगे तब ए. एस. कुशराम मुख्य कार्य पालन अधिकारी ने जांच के प्रभारी को फटकार लगाई और अपने निर्देशन में जांच प्रतिवेदन बनवाना शुरू किया, इसी बीच उपस्थित अतिरिक्त तहसीलदार एस. सी. परते द्वारा ग्रामीणों को समझाइश दी गई। देर शाम तक ग्रामीण जनपद कार्यालय में ही बैठे रहे ग्रामीणों के अनुसार बगैर निर्माण कार्य के राशि आहरण करना, बरसिंघा सरपंच का पक्का मकान होने के बावजूद भी उसकी पत्नी के नाम आवास स्वीकृत करना, रोजगार सहायक जो कि प्रभारी सचिव भी हैं द्वारा अपने खुद के नाम से दो बार शौचालय निर्माण की राशि का लिया जाना और यह भी जानकारी दी गई कि ग्रामीण ओमकार सिंह द्वारा मुख्यमंत्री सहायता क्रमांक 181 में शिकायत दर्ज कराई गई थी। पूर्व नियोजित कार्यक्रम अनुसार ओमकार अपना मोबाइल रिकॉर्डिंग चालू कर एक दुकान में रख कर कहीं चला गया तभी रोजगार सहायक बसंत पिपराहा आया और मोबाइल से दर्ज शिकायत को सहमति देकर बंद करवाने को कहा और अपना नाम ओमकार बतलाया इस प्रकार ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। अब देखना यह हैं, कि जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर कितने दिनों में और क्या कार्रवाई करते है सीईओ अमरपुर।

 

जनपद सीईओ की तत्परता पर उठ रहे है सवाल

गौरतलब है कि इस ही तरह ग्राम पंचायत जलेगांव की जांच करवाने के बाद महीनों गुजर चुके है और हमारे प्रतिनिधि को सीईओ जवाब देते है जांचकर्ता एसडीओ का स्वास्थ ठीक नहीं है उनसे प्रतिवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। कमको मोहनिया के सचिव के निलंबन की कार्यवाही में जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद भी देरी किए जाने की चर्चा है। वहीं अन्य कई पंचायतों के निवासियों द्वारा शिकायत के बाद भी दोषियों पर कार्यवाही नहीं होने से भी लोगो में नाराजगी है। जनपद क्षेत्र में लोग ग्राम पंचायतों को खुले संरक्षण के आरोप लगा रहे है किन्तु जनपद के अधिकारियों को किसी की कोई परवाह नहीं है। इस मामले में भी पहले सीईओ एकशन ले सकते थे जो उनका दायित्व भी है। किन्तु जब ग्रामीण कार्यालय ही घेर लेते है, धरना देते है तब अधिकारी अपने प्रभाव का दिखावा करते है। इस तरह की कार्यवाहियों का ही परिणाम है कि जिले की पंचायतें लूट का अड्डा बन चुकी है, शासन को चूना लग रहा है, आमजन हैरान परेशान है और अधिकारी सिर्फ और सिर्फ कुर्सी तोड़ रहे है और कोरोना काल में भी ग्रामीणों को जनपद से लेकर जिले तक में धरना देना पड़ रहा है।

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