सरकारी राशन दुकानों में पहुंच रहा है कीड़ायुक्त गेहूं, तीन दुकान संचालकों ने लेने से किया इनकार

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निगवानी वेयरहाउस से हो रहा वितरण, जिम्मेदार लापरवाह

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 25 अक्टूबर 2021, जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीब परिवारों को निवाला के तौर पर कीड़ा ग्रस्त, घटिया गेंहू वितरित किया जा रहा है। मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन (MPWCL)के अंतर्गत निगवानी गोदाम से संचालित यह वितरण व्यवस्था इतनी बदतर हो गई है कि यहां से सरकारी राशन दुकानों में घटिया गेहूं भेजा जा रहा है।मानव आहार के अयोग्य इस गेहूं में बिलबिलाते कीड़े और फफूंद लगी नजर आने के बाद राशन दुकान संचालक गेहूं लेने से इंकार कर रहे हैं और वापस गोदाम भेज रहे हैं। जिससे स्पष्ट होता है कि जिले में बड़े पैमाने पर घटिया गेहूं वितरण की करतूत को चोरी-छिपे अंजाम दिया जा रहा है। जो गरीबो के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।

 

इतना ही नही सरकार के राशन वितरण योजना पर भी यह ग्रहण लगा रहा है। इसकी बानगी सोमवार को निगवानी स्थित वेयरहाउस गोदाम क्रमांक 17 में नजर आईं। जहां शनिवार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत ट्रक क्रमांक एमपी 20 HA 9888 के माध्यम से 126 क्विंटल 29 किलोग्राम गेंहू अमरपुर विकासखंड अंतर्गत शासकीय उचित मूल्य दुकान अलौनी,झरनाघुघरी और रामगढ़ में वितरण हेतु भेजा गया था, लेकिन दुकान संचालकों ने गेहूं की गुणवत्ता जांच कर गेहूं में कीड़े होने की दशा में गेहूं को दुकान में उतरवाने से इंकार कर दिया। जिसके बाद ट्रक चालक ने सोमवार को पूरा गेहूं गोदाम में वापस किया। मामले के बाद गोदाम की व्यवस्था और सरकारी राशन के रखरखाव पर उंगली उठ रही है।

जानकार बताते हैं कि समर्थन मूल्य पर उपार्जन केंद्र में खरीदे गए उक्त गेहूं को सरकारी गोदामों में भंडारित किया गया है। जहां गेहूं को सुरक्षित एवं मानक स्तर पर रखने की जिम्मेदारी गोदाम शाखा प्रभारी की होती है। इतना ही नहीं गोदाम से केंद्र तक खाद्यान्न पहुंचाने हेतु भी शाखा प्रभारी उत्तरदायी है। बावजूद इसके 1800 मैट्रिक टन भंडारण क्षमता वाली निगवानी गोदाम क्रमांक 17 में बड़े पैमाने पर गेहूं के लाट में कीड़े लगने एवं खाने के अयोग्य घटिया गेहूं के शासकीय उचित मूल्य दुकान तक पहुंचने को मामूली बात बताकर गोदाम प्रभारी राजेश पीपरे मामले पर पर्दा डालने में लगे हुए हैं। जबकि उक्त गोदाम का रखरखाव श्री पीपरे के अधीन है।

सवाल यह भी ???

सड़ने की कगार पर पहुंच चुके गेहूं के वितरण के मामले में विचारणीय पहलु यह भी है कि इस खाद्यान्न को भोजन के तौर पर ग्रहण करने के बाद मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिसका जिम्मेदार कौन होगा? इतना ही नहीं सरकार के द्वारा गुणवत्तापूर्ण राशन के वितरण के दावों के बावजूद इस साजिश को कौन अंजाम दे रहा है? वही कीड़ा युक्त गेहूं से संभावित मानव विकार की दशा में कौन जिम्मेदार होगा? तीन दुकानदारों से गेहूं वापसी के बाद तय होता है कि अन्य दुकानों में भी यही सड़ा गेहूं खपाए जाने की कोशिश की जा रही है। इस पूरे मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम प्रभारी की कार्यप्रणाली भी संदेह के दायरे में है, जब गोदाम में गेहूं सड़ रहा था तो गेहूँ की बगैर जांच वितरण हेतु दुकानों को क्यों आवंटित किया गया?

इनका कहना है :-

“विषय गंभीर है, जिसकी शिकायत प्राप्त हुई है। संबंधित कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी को जांच के निर्देश दिए गए हैं। गड़बड़ी मिलने पर गोदाम प्रभारी के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी।”

महेश मंडलोई,
SDM डिंडोरी

“गोदाम में खाद्यान्न को पूरी तरह सुरक्षित रखा जाता है। बड़े स्तर के कार्यों में कुछ लापरवाही होती रहती है। दुकान से वापस आये गेँहू को गोदाम में रखवा लिया गया है। कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है।”

राजेश पीपरे,
गोदाम प्रभारी
MPWCL

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