
शासकीय शिक्षिका को बीपीएल कोटे का सस्ती दर का दिया जा रहा राशन
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्यवाही

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 22 नवम्बर 2021, करंजिया जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भुसंडा में पदस्थ सहायक शिक्षक श्रीमती कमलवती बनवाल पर शासन की योजनान्तर्गत बीपीएल को दिए जाने वाले एक रुपए किलो की दर का राशन लेने का आरोप लग रहा है। इस तरह एक शासकीय कर्मचारी द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले गरीबों के हक़ को प्रभावित किया जा रहा है। जबकि उन्हें योजनान्तर्गत जारी नियमों की जानकारी है फिर भी नियम विरूद्ध वे शासन से जानकारी छुपाकर गलत तरीके से सस्ते राशन का लाभ ले रही है।

इस पूरे मामले की शिकायत ग्राम पंचायत भुसंडा की सरपंच प्रेमी बाई ने जिला कलेक्टर से कर मामले में जांच करवा कर दोषी कर्मचारी के विरूद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने की मांग की है। सरपंच द्वारा 18 नवम्बर को जिला कलेक्ट्रेट में उक्त मामले की लिखित शिकायत करते हुए कहा है कि ग्राम भुसंडा माल की निवासी कमलवती बनवाल पति मणिभूषण सूर्यवंशी, प्राथमिक शाला में सहायक अध्यापिका के रूप में पदस्थ है। जो कि गरीब वर्ग के हितों का हनन करते हुए बीपीएल राशन कार्ड जो की समग्र आईडी क्रमांक 37926343 में दर्ज करवाकर सस्ते राशन का लाभ उचित मूल्य की दुकान से ले रही है। जिसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से करने पर शिक्षिका का पति राजनैतिक दबाव बनाता है और लोगों के साथ विवाद करने के साथ झूठे मामले में फंसा दिए जाने की धमकी देता है। उक्त शिक्षिका के पति पर भी शिकायत में कई अन्य आरोप लगाए गए है साथ ही उसके द्वारा पंचायत के सचिव व सरपंच पति के साथ मारपीट और धमकी देने के मामले की थाना गाड़ासरई में शिकायत भी की गई थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पति के नाम से जारी बीपीएल वर्ग के राशन कार्ड में उनकी शासकीय सेवारत पत्नी कमलवती का भी नाम दर्ज और उनके हिस्से में शासकीय राशन दुकान से कम दर का खाद्यान्न आबंटित किया जा रहा है जो की नियमानुसार गलत है। जिस पर लोगों द्वारा लगातार आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद भी उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई वहीं बताया जाता है कि उक्त शिक्षिका स्वयं शासकीय उचित मूल्य की दुकान से न केवल राशन लेने जाती है बल्कि उनके द्वारा राशन प्राप्त करने हेतु अपना फिंगर भी लगाया जाता है, उनके द्वारा विगत 7 नवम्बर को खुद अगुठा दस्तखत कर कम दर का राशन शासकीय दुकान ने आबंटित करवाया है। जिसके प्रमाणित दस्तावेज उपलब्ध होने के बाद भी उनके विरूद्ध किसी तरह की कार्यवाही नहीं होने से शिकायतकर्ता और ग्रामीण शासन को पतीला लगाने वालों को संरक्षण दिए जाने वाली व्यवस्थाओं को लेकर कर आश्चर्यचकित है वहीं ग्रामीणों में इस तरह की खुलेआम की जा रही धोखाधड़ी को लेकर आक्रोश भी व्याप्त है। शासकीय कर्मचारी द्वारा जानकारी छुपाकर इस तरह लाभ उठाए जाने के मामले में कठोर कार्यवाही की जनपेक्षा है।
 
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