महाराष्ट्र में बेची जा रही शासकीय धान और उत्तरप्रदेश से आ रहा चावल

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मिलर्स और नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की साठगांठ से चल रहा काला कारोबार

गुणवत्ताहीन और घटिया चावल जनता को बांटा जा रहा

जनपथ टुडे, डिंडोरी, जिले में भ्रष्टाचार और गोरखधंधे चरम पर है। शासकीय अधिकारियों और माफियाओं की खुली साठगांठ के चलते शासन को चूना लगाया जा रहा है वहीं इन सब कारनामों का खमियाजा आखिर में जिले की आमजन को ही उठाना पड़ता है।

राइस मिलर्स कर रहे काला कारनामा

जिले में लगे अधिकतर राइस मिल नागरिक आपूर्ति निगम में पंजीकृत है। जिन्हें शासन द्वारा किसानों से खरीदी गई धान के लाट उपलब्ध करवाए जाते है। नियमानुसार धान मिल मालिक उस धान की मिलिंग कर शासन द्वारा निर्धारित मात्रा में चावल नागरिक आपूर्ति निगम को वापस करता है। इस एवज में उसे निर्धारित मिलिंग चार्ज, धान परिवहन का व्यय शासन द्वारा निर्धारित नीति अनुसार दिया जाता है। इसी प्रक्रिया से अब तक जिले के मिलर्स कार्य करते है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब इस प्रक्रिया में कई कथित राइस मिलर्स ने मोटी कमाई का एक नया जरिया निकाल लिया है। जो नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की साठगांठ से किया जा रहा है। सूत्र बताते है कि शासन द्वारा आबंटित शासकीय धान को प्रदेश के बाहर महाराष्ट्र में बेचा जा रहा है और उत्तरप्रदेश से घटिया चावल खरीदकर लाया जा रहा है। जो नागरिक आपूर्ति निगम में जमा किया जा रहा है। यही घटिया चावल जिले की गरीब जनता को उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है। मिलर्स और अधिकारियों की साठगांठ से जहां सरकार को मिलिंग के नाम से करोड़ों को चूना लगाया जा रहा है वहीं पुराना और खराब चावल जनता को उपलब्ध हो रहा है।

बन्द राइस मिलों में हो रही मिलिंग

कई राइस मिल अपनी क्षमता से अधिक चावल नागरिक आपूर्ति निगम को उपलब्ध करवा रहे है। तो कई बंद मिल जिनका विद्युत कनेक्शन ही कटा हुआ है या कनेक्शन हुआ नहीं तब भी पर्याप्त मिलिंग की गई है। इस पूरे मामले में सूक्ष्म और व्यापक जांच की आवश्यकता है जिससे शासन को लंबा चौड़ा चूना लगाने वाले माफियाओं के विरूद्ध कार्यवाही की जा सके।

शासकीय गोदामों में घटिया चावल हो रहा जमा

सूत्र बताते है कि नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में अधिकारियों की साठगांठ के चलते मिलरो द्वारा बाहर से खरीद कर लाया जा रहा घटिया पुराना चावल जमा किया जा रहा है। वहीं नान के गोदामों में निर्धारित से अधिक ब्रोकन का चावल भी जमा किया जा रहा है।

प्रशासन को गोदाम में जमा चावल और शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर वितरण हेतु भेजे गए चावल की जांच कर जिले में मिलरो द्वारा बाहर से खरीदकर जमा किए जा रहे चावल का खुलासा किया जा सकता है। उचित मूल्य की दुकानों को आबंटित चावल और गोदाम में जमा लाटो की निष्पक्ष जांच और तकनीकी प्रशिक्षण करवाया जावे तो मिलर और अधिकारियों की साठगांठ से जिले में चल रहे एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है। वहीं जिले में पैदा होने वाली धान और जिले की दुकानों से वितरित हो रहे चावल की किस्म अलग अलग है जो जांच से साबित हो सकता है।

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