“जल जीवन मिशन” चंद महीनों में जवाब दे गए “वासबेसिन” बने दिखावा
करोड़ों रुपए की योजना बन चुकी तमाशा
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 20 जुलाई 2022, शासन की अभिनव जल जीवन मिशन योजनान्तर्गत जिले भर में करोड़ों रुपयों की लागत से निर्मित होने वाले “वासबेसिन” समय से पहले दम तोड़ने लगे है। आंगनवाड़ी, स्कूल सहित अन्य संस्थाओं में लगभग एक लाख रुपए की लागत से बनाए जा रहे “वास बेसिन” पीएचई विभाग के अधिकारियों की अनदेखी और ठेकेदारों के गुणवत्ताहीन कार्यों के चलते अनुपयोगी साबित हो रहे है। वहीं अधिकतर वास बेसिन तमाशा बने दिखाई दे रहे है। जबकि इन कार्यों का भुगतान करोड़ों रुपए शासन के खाते से किया जा चुका है।
छपरी प्राइमरी स्कूल :
अमरपुर जनपद अन्तर्गत ग्राम छपरी के प्राइमरी स्कूल में बने वाश बेसिन, टंकी स्थापना का कार्य पूरा होने के बाद भी स्कूल के बच्चे खुद हैंड पम्प पर हाथ मुंह और बर्तन धोते दिखाई देते है। वास बेसिन की टाईल्स से लेकर नल तक गायब हो चुके है, जिन्हें न तो कोई देखने वाला है और न किसी की जिम्मेदारी तय है।
आंगनबाड़ी केंद्र इमलई हवा में लटक रही टंकी
जिला मुख्यालय के करीबी ग्राम इमलई के आंगन बाड़ी भवन में बनाए गए वाश बेसिन का उपयोग शुरू होने के पहले ही घटिया निर्माण कार्य नमूना बन चुका है। अब तक उक्त कार्य में विद्युत कनेक्शन नहीं होने से इसका उपयोग भी शुरू नहीं हो सका है और इसके पहले ही छत पर लगी पानी की टंकी हवा में लटक गई है और लगाए गए नल गायब हो चुके है। पीएचई अधिकारियों की अनदेखी से ठेकेदार घटिया निर्माण अंजाम दे रहे है जिन्हे विभाग आंख बंद कर भुगतान भी कर रहा है। लाखों रुपए की शासकीय राशि खर्च की बाद भी इनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
इमलई प्राइमरी स्कूल, टूटा पड़ा वाश बेसिन, नल गायब:
इसी तरह का नमूना बना दिखाई देता है प्राइमरी स्कूल इमलई में बना बाश बेसिन टूट चुका है और नल गायब हो गए है। इस तरह मात्र दिखावा बने वाश बेसिन पर शासन के करोड़ों रुपए बर्बाद हो रहे है। पीएचई के ठेकेदार पर घटिया और मनमाने निर्माण किए जाने के आरोप है वहीं संबंधित संस्थाएं इनकी देखरेख को लेकर निष्क्रिय है जिससे शासन के द्वारा व्यय की जा रही रही का अपव्यय हो रहा है।
जिले भर में बनाए जा रहे वाश बेसिन का लगभग यही हाल है। जिस पर पीएचई और संबंधित संस्था की जिम्मेदारी तय की जाना जरूरी है। वहीं ठेकेदारों द्वारा किए गए घटिया निर्माण कार्यों के विरूद्ध भी विभाग और ठेकेदारों पर कठोर कार्यवाही की जाना आवश्यक है। अन्यथा कुछ ही समय में अनुपयोगी बने ये वाश बेसिन अपना अस्तित्व भी शायद की कायम रख पाए।