गरीब की थाली – रोटी से खाली

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उचित मूल्य दुकानों से गेहूं का वितरण बंद, सर्वे के आधार पर सरकार का फैसला

जिले में गेहूं के आवंटन पर रोक

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 6 अगस्त 2022, सरकार द्वारा रियायती दर पर जरूरतमंद पात्र परिवारों को एक रुपए किलो की दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने की योजना को अब सरकार ने ही सीमित कर दिया है। नये प्रावधानों के तहत अब गरीबों को गेहूं का वितरण बंद कर दिया गया है। इसके लिये तर्क दिया गया है कि आदिवासी जिलों में चावल को ज्यादा पसंद किया जाता है, लिहाजा इस बाबद किये गए सर्वे को आधार मान केंद्र सरकार ने डिंडोरी सहित मंडला, बालाघाट, अनूपपुर, उमरिया जिले में गेंहू की आपूर्ती रोक दी है। स्थिति यह है कि पात्र हितग्राही योजना के तहत गेहूं प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। लिहाजा उनके घरों में रोटी नही पक रही है।

जानकारी के मुताबिक जून माह से डिंडोरी जिले को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत शासकीय उचित मूल्य दुकानों से वितरित होने वाले गेंहूं का आबंटन पूरी तरह बंद कर दिया गया है और गेंहू की बजाय चावल ही प्रदाय किया जा रहा है। खाद्य व आपूर्ति विभाग के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा कराये गये सर्वे की अंतिम रिपोर्ट के बलबूते ही धान उत्पादन वाले जिलों में सस्ती कीमत पर गेंहू वितरण योजना पर रोक लगा दी गई है।

गौरतलब है कि जिले के पात्र हितग्राहियों को PDS सिस्टम के तहत शासकीय उचित मूल्य की राशन दुकानों से एक रुपये किलो की दर पर प्रति हितग्राही दो KG गेहूं व तीन KG चावल का वितरण किया जाता था। जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना अंतर्गत प्रति पात्र परिवार को 15 किलो चावल और 10 किलो गेहूं वितरण का प्रावधान है। लेकिन गेहूं आबंटन बंद होने से योजना के संचालन पर भी असर पड़ रहा है। राशन दुकानों से गेहूं न मिलने पर नाराजगी जताते हुए हितग्राहियों ने बताया उनके परिवारों को रोटी के जुगाड़ के लिए बाजार से महंगे दाम पर गेहूं खरीदना पड़ रहा है।गौरतलब है कि जिले में Public Distribution System के तहत संचालित 383 सार्वजानिक उचित मूल्य दुकानों को 1 लाख 81 हजार पात्र परिवारों को खाद्यान्न वितरण हेतु 15 हजार क्विंटल गेंहू और 22 हजार क्विंटल चावल आवंटित किया जाता था। लेकिन अब गेहूं प्रदाय बंद होने से चावल का कोटा बढ़ाकर 37 हजार क्विंटल कर दिया गया है। जिसके बाद गरीब हितग्राहियों को राशन दुकान से केवल चावल ही नसीब हो पा रहा है। इसके पूर्व केंद्र सरकार शक्कर और केरोसीन का सस्ती कीमत पर वितरण भी बंद कर चुकी है। सीधे तौर पर कहें तो गरीब को अब केवल चावल पर ही निर्भर होना पड़ेगा। जो भोजन का अधिकार यानि खादय सुरक्षा अधिनियम 2013 का भी मख़ौल उड़ाने जैसा है। विदित होवे कि देश के प्रत्येक नागरिक को भोजन का अधिकार प्रदान करने के लिए, भारत की संसद ने 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम नामक कानून पारित किया। इसे खाद्य अधिकार कानून भी कहा जाता है।

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