
जिला कलेक्टर की छवि खराब करने वायरल कथित शिकायत पत्र, की जांच करेगी पुलिस
पुलिस अधिकारी करेंगे मामले की जांच
घटिया हरकत पर पत्रकारों में नाराजगी
जनपथ टुडे डिंडोरी 04 जून।
डिंडोरी, 4 जून 2025, (प्रकाश मिश्रा) जिला कलेक्टर नेहा मारव्या पर भ्रष्टाचार से लेकर कई व्यक्तिगत और घरेलू विवादों के आरोप लगाते हुए एक पत्र राष्ट्रपति, गृहमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव सहित अन्य तमाम जांच एजेंसियों के नाम पर लिखकर शिकायत करने वाले तथाकथित समाजसेवी और पत्रकार की पहचान नहीं हो पा रही है। उक्त पत्र में बहुत ही घटिया आरोप जिला कलेक्टर डिंडोरी पर लगाए गए है, पत्र में निम्न स्तरीय भाषा का उपयोग करते हुए लगभग 17 मामलों में कलेक्टर डिंडोरी को दोषी बताते हुए जांच की मांग की गई है।
प्रदेश भर में वायरल हो रहा है पत्र
उक्त पांच पेज का शिकायत पत्र किसी के. एस. राजपूत, समाजसेवी एवं पत्रकार द्वारा लिखा गया है। यह पत्र जिन लोगों के नाम लिखा गया है उनके पास पहुंचा है या नहीं यह तो स्पष्ट नहीं है किंतु उक्त पत्र प्रदेश के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों के वाट्सअप और सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होना बताया जा रहा है। इस पत्र में जिस तरह की घटिया भाषा का उपयोग किया गया है और अप्रमाणित आरोप लगाए गए है उससे यही प्रतीत होता है कि इस पत्र का मकसद सिर्फ पत्र के माध्यम से घटिया आरोपों को वायरल करके डिंडोरी जिला कलेक्टर नेहा मारव्या की छवि खराब करना है।
शिकायतकर्ता का अस्तित्व ही नहीं
जिस शिकायकर्ता का ही अस्तित्व नहीं है उसकी शिकायतों का अस्तित्व क्या होगा सोचने वाली बात है। जिस पत्र को लेकर पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है उसको लिखने वाले का ही पता नहीं है। डिंडोरी जिले में इस नाम का कोई पत्रकार न कभी था न वर्तमान में है। इस नाम का पूरे जिले में मात्र एक मतदाता है जो कि जिला मुख्यालय के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति है उनको लेकर लोगों को मानना है कि वे इस तरह की घटिया भाषा और साजिश कर ही नहीं सकते। उनका पत्रकारिता से कोई लेना देना कभी नहीं रहा। उक्त नाम और पेशे से संबंधित कोई व्यक्ति जिले में अस्तित्व में नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे व्यक्ति की शिकायत और आरोपों में कितना दम होगा?
उक्त शिकायत पत्र न तो प्रमाणिक है और न ही उक्त शिकायतकर्ता ने सामने आकर आरोपों पर कोई चर्चा की है। इस नाम के किसी समाजसेवी और पत्रकार को जिले के पत्रकार भी नहीं जानते है।
कलेक्टर की सख्त कार्यप्रणाली बनी परेशानी का सबब
उक्त आशय की जानकारी देते हुए जिला कलेक्टर नेहा मारव्या ने विशेष तौर पर जिले के पत्रकारों से चर्चा की, इस तरह के बेबुनियाद और बिना किसी प्रमाण के किसी अनजान व्यक्ति द्वारा लगाए गए इन आरोपों से जिला कलेक्टर द्रवित है। जिले में नेहा मारव्या की पदस्थापना के बाद से भ्रष्ट और सुस्त अधिकारियों की मनमानी प्रभावित है। ऐसे में लगता है कि कुछ लोगों के द्वारा साजिश के तहत इस तरह की शिकायतें करवाकर एक सख्त प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ माहौल बनाकर उन्हें हटवाए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
शिकायत में जहां कलेक्टर के पारिवारिक विवाद को लेकर बात कही गई है वही उन पर धर्म विरोधी और एक विशेष राजनैतिक और सामाजिक विचारधारा से प्रेरित होकर काम करने के आरोप भी लगाए गए है। जिले के तमाम अधिकारियों पर कार्यवाही के पीछे भ्रष्टाचार और कई बड़े लेनदेन के आरोप शिकायत में लगाने वाले ने कही कोई साक्ष्य या अपनी बातों के प्रमाण नहीं दिए है। 17 बिंदु के इस शिकायत पत्र में जिले में भ्रष्टाचार के लिए सर्वाधिक चर्चित आदिवासी विकास विभाग के किसी मामले और लेनदेन का जिक्र भर नहीं है। इस शिकायत के पीछे किसी भ्रष्ट अधिकारी या अधिकारियों के साथ साथ राजनैतिक षडयंत्र से नकारा नहीं जा सकता है। इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि उक्त शिकायतकर्ता को कोई जानता नहीं है। ऐसे भी एक अनजान व्यक्ति द्वारा कई अधिकारियों, अलग अलग लेनदेन और भ्रष्टाचार के मामलों की जानकारी की एकजई शिकायत के पीछे कही न कही कोई बड़ी साजिश नजर आती है।
जिला कलेक्टर से जुड़े इन मामलों की कथित शिकायत के पीछे शिकायतकर्ता का उद्देश्य क्या है? शिकायतकर्ता कौन है? उसके द्वारा अलग अलग विषयों पर लगाए गए आरोपों के पीछे उसकी मंशा क्या है? बड़े स्तर पर आरोप लगाने वाला व्यक्ति सामने आकर अपनी बाते रखने से क्यों बच रहा है? इन सभी बातों की पड़ताल की जाना अत्यंत आवश्यक है। जिला कलेक्टर पर लगाए गए आरोपों में कोई दम है या यह सिर्फ एक ईमानदार और कर्मठ अधिकारी के मनोबल को तोड़ने का प्रयास है इसकी जांच जरूर होनी चाहित। जिला कलेक्टर पर लगाए गए आरोपों में यदि सच्चाई होती तो वे जिले के पत्रकारों को विशेष तौर पर बुलाकर वे इस पर चर्चा नहीं करती और न ही लगाए गए आरोपों का पत्र साझा करती। जिला प्रशासन को इस पूरे प्रकरण शिकायतकर्ता, शिकायतों और इसके पीछे कौन लोग है उनका उद्देश्य क्या है इन सब बातों की सूक्ष्मता से जांच कराकर सार्वजनिक खुलासा करना चाहिए ताकि पर्दे के पीछे से साजिश करने वाले तत्वों पर कार्यवाही हो सके और सख्ती से प्रशासनिक व्यवस्थाओं को लागू करने के प्रयास करने वाले अधिकारियों का मनोबल टूटने और जिले की प्रशासनिक व्यवस्था को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
साजिश के पीछे कौन ??
इस पूरी साजिश के पीछे ऐसा लगता है कि कई लोग है। जो जिला कलेक्टर की सख्त कार्यप्रणाली से कही न कही प्रभावित है या पीड़ित है। यह कुछ पाना तो अभी संभव नहीं है कि इस साजिश के पीछे किसका हाथ है पर इस पत्र में जो शिकायतें है उनसे कुछ संकेत जरूर मिल रहे है। जैसे अधिकांश शिकायतें जिला पंचायत से संबंधित विभागों की है। लेन देन के जिन मामलों की बात कही गई है वह भी जिला पंचायत के अंतर्गत आने वाले विभागों की है। ट्रांसफर से लेकर टर्मिनेशन के मामले भी जिला पंचायत के है। इन मामलों में यदि पीड़ित पक्ष को तकलीफ होती तो वे खुद शिकायत कर सकते थे। कम से कम वो लोग जिनकी सेवा समाप्त हो गई वे तो जिला कलेक्टर के प्रभाव में आए बिना अपनी शिकायत कर सकते थे। इसके अलावा अन्य जो शिकायतें है उनका स्तर बताता है कि इनका स्त्रोत कलेक्टर बंगले के नौकर या गार्ड ही हो सकते है। राजनैतिक और सामाजिक संगठनों से संबद्धता और धार्मिक उपेक्षा के विषय के कोई प्रमाण नहीं है। इस तरह से बेबुनियाद आरोपों और फर्जी शिकायतकर्ता के माध्यम से जिला कलेक्टर को घेरने, उनकी छवि प्रभावित करने की साजिश के अलावा उक्त पत्र और कुछ नहीं है। जिले में ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है जो जिला कलेक्टर की कार्यप्रणाली, आदेश निर्देश और जांच, नोटिस से प्रभावित है और उनकी मंशा है कि जितनी जल्दी कलेक्टर महोदया को हटाया जाए उतना अच्छा है ऐसे में इस साजिश के पीछे कौन कौन शामिल है यह जानना बहुत कठिन है।
पुलिस अधिकारी करेंगे मामले की जांच
उक्त मामले की शिकायत जिला जनसंपर्क अधिकारी द्वारा कोतवाली पुलिस को देकर मामले की जांच हेतु आवेदन दिया गया है। जिस पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीअमित वर्मा ने बताया कि उच्च अधिकारी से संबंधित मामला है अतः विभाग के निर्देशानुसार इस मामले की जांच विभाग के अधिकारी अति शीघ्र प्रारंभ करेंगे। मामले के सभी पक्षों को विवेचना में लेकर सभी तकनीकी पहलुओं और साइबर सेल की सहायता से जांच की जाएगी।