
सरकार शिवराज की,सम्मान कमलनाथ बचा, सिंधिया की किस्मत दांव पर
एग्जिट पोल के नतीजे, 50-50
जनपथ टुडे, मध्य प्रदेश, 8 नवंबर 2020, मध्य प्रदेश में संपन्न हुए उपचुनाव के परिणाम आने में मात्र 2 दिन का समय बाकी है और एग्जिट पोल के नतीजे आने लगे है। मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनाव 2020 के सभी अनुमान करने वालो के नतीजों को मिलाकर देखें तो भाजपा और कांग्रेस के बीच 50 – 50 की स्थिति बन रही है।
एक दो कम और अधिक होने पर भी पार्टी यो को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। विधानसभा सदन की स्थिति में कोई परिवर्तन आता नहीं दिखाई दे रहा है। यदि भाजपा के वर्तमान विधायकों ने कोई गड़बड़ नहीं की तो भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत लगभग आ चुका है वही पोल के नतीजों के अनुसार कमलनाथ भी अपना नेतृत्व कायम रखने में सफल होंगे किन्तु सर्वाधिक दांव पर लगी है किस्मत सिंधिया की। असल में उपचुनाव को सिंधिया का चुनाव माना जा रहा है, ग्वालियर चंबल संभाग दरअसल चुनाव ज्योतिराज सिंधिया का क्षेत्र और प्रतिष्ठा से जुड़ा है। ग्वालियर चंबल संभाग की 16 सीटों के अलावा कुछ और भी सीटों पर ज्योतिराज सिंधिया अपना वर्चस्व बताते रहे 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो सिंधिया समर्थकों का दावा था कि इन सभी सीटों पर जीत कांग्रेस की नहीं सिंधिया हुई है। उपचुनाव में कांग्रेस और सिंधिया दोनों अलग अलग खड़े है। एक भी सीट पर कांग्रेस पार्टी की जीत सिंधिया के वर्चस्व को प्रभावित करेगी।
शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ का लक्ष्य पूरा
एग्जिट पोल के नतीजे बताते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने राजनीतिक लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे शिवराज सिंह चौहान के सामने सरकार को पूर्ण बहुमत के साथ बचाए रखने की चुनौती थी जिस पर नतीजों से असर पड़ता नहीं दिख रहा है। कमलनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कांग्रेस पार्टी में खुद को बचाए रखना। कमलनाथ की 40 साल की राजनीति और मैनेजमेंट गुरु का दर्जा खतरे में था यदि ग्वालियर चंबल संभाग में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता है तो मध्य प्रदेश कमलनाथ का सूपड़ा साफ होना तय था। नतीजो का अनुमान जो चर्चा में है उस आधार पर तो आगे भी प्रदेश कांग्रेस की कमान नाथ के ही हाथ में रहेगी।
50 -50 नहीं चूके चौहान
यदि नतीजे एग्जिट पोल के अनुसार आए तो यह साफ हो जाएगा की जनता का रुख कांग्रेस के पक्ष में और भाजपा से लोग नाराज थे, और कांग्रेस इस स्थिति का बहुत अधिक लाभ उठा सकती थी किन्तु पार्टी संगठन की एकजुटता में कमी, बड़े नेताओं की सक्रियता में कमी और स्थानीय गुटबाजी के चलते कांग्रेस चूक गई। जाहिर तौर केवल एक अच्छे बल्लेबाज से पूरा मैच नहीं जीता जा सकता है। जब सामने वाली टीम फिल्डिंग और बॉलिंग में कहीं भी चूकती नहीं दिख रही है जो प्रदेश की राजनीति में दिखाई दिया जहां उप चुनाव घोषित होने के बाद तक भाजपा गिल्लियां गिराने से नहीं चुकी।
अनुमानों के लिहाज से बीजेपी 18 तक और कांग्रेस 10 तक तो पहुंच ही रही है। ये गणित दोनों दलों को उनकी हैसियत और सम्मान बचाए रखने के लिए काफी है पर ये परिणाम सिंधिया को कहीं भी मजबूत नहीं कर रहे है। आगे भाजपा सिंधिया को कितना उपयोगी समझेगी ये राजनीति का सस्पेंस बाकी रहेगा।