
बैगा महिलाओं ने सीखा कोदो कु टकी के ब्यंजन बनाने का तरीका
डिंडोरी – जनपथ टुडे, 01.03.2020
जिले के बैगाचक क्षेत्र के बैगा आदिवासियों की प्रमुख खेती और मुख्य भोजन कोदो कुटकी है। इलाके के बैगा जनो के
खेत मे कोदो व कुटकी के अलावा मंडिया, सलहार, सांवा, कँगनी, जोवार, मक्का और सिकिया भी पैदा होता है। इन अनाजों को
बैगा, पेज, भात और रोटी बनाकर पारंपरिक तरीके से भोजन के रूप में खाते है। लेकिन बैगा बच्चेअब इन्हे खाना कम पसंद करते है।
बैगाओ के पारम्परिक अनाजो के परंपरागत स्वाद बदलने के लिए निर्माण संस्था ने ग्राम गौराकन्हारी मे गत 27-28 फर. को मिलेट कोदो, कुटकी, सलहार, मडिया की रेसेपी का प्रशिक्षण दिया। इस प्रशिक्षण मे ग्राम गौराकन्हारी, ढाबा,अजगर,किवाड़ की बैगा महिलाओं ने पारंपरिक, पेज भात और रोटी के अलावा अन्य तरीके के ब्यजन बनाना भी सीखा। 2 दिन में जितने भी व्यंजन बनाये गये उसे शाम को गांव के बच्चों को खिलाया गया।
यह प्रशिक्षण उड़ीसा मिलिट मिशन से जुड़े इनवेट मैनेजर सुश्री शबनम और निर्माण संस्था के मुनिया मर्सकोले के द्वारा दिया गया। इस 2 दिन के प्रशिक्षण में बैगा महिलाओं ने कोदो, मंडिया, सलहार, जोवार, मक्का, के स्वादिष्ट लड्डू, कंगनी का पुलाव, कुटकी का खीर, सिकिया का खीर, कोदो का खिचड़ी, मंडिया का सेव और गठिया, मंडिया और उड़द के मिक्स बड़े, मक्का और मंडिया का मिक्स भाजिया जैसे ऐसे स्वादिष्ट व्यंजन बनाना सीखें। महिलाओं ने पारंपरिक महुआ और जगनी सेल आटा तथा महुआ और सलहार का ठोटडा भी बनाया।
इस आयोजन में बैगजन के अलावा समाजसेवी, स्थानीय लोगों ने भी इस आयोजन में शिरकत की।
इस प्रशिक्षण में गौरा से फतोबाई, जयमतीबाई, भदलीबाई, सुमित्रा बाई, फुलझरिया, अघनीबई ढाबा से सुखमत बाई, पार्वतीबाई, गितरहिंबई अजगर टिकरीबाई, भागबनियाबाई, किवाड़ से समरिनबाई, तिहारोबाई, फगानीबाई, जयमाबाई, ने भाग लिया।प्रशिक्षण के अंत में सभी महिलाओं ने तय किया कि सप्ताह या महीने में एक बार पारंपरिक पेज भात के साथ साथ इस तरह की कोदो, कुटकी के स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर बच्चों को खिलाएंगे। ताकि बच्चों को कोदो, कुटकी, सलहार, कंगनी, सिकिया आदि का नए किसम का स्वाद मालूम हो सके जिससे कोदो कुटकी खाने का आदत बनाया जा सके।