भ्रष्ट पंचायत सचिवों की तबादला नीति, विवाद भी शुरू

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जनपथ टुडे,भोपाल, 31 जनवरी 2021, पंचायत राज संचालनालय मप्र ने भ्रष्ट और विवादित ग्राम पंचायत के सचिवों की तबादला नीति जारी कर दी है। प्रदेश के सभी जिला और जनपद के सीईओ को बी एस जामोद, संचालक, पंचायत राज संचालनालय मप्र के द्वारा जारी पॉलिसी नोटिफिकेशन में लिखा गया है ” ग्राम पंचायत सचिव जिनकी शिकायते प्राप्त होती है उनके जनपद पंचायत से बाहर स्थानांतरण की नीति”

म प्र पंचायत सेवा नियम 2011 के नियम 6 (7)
(ग्राम पंचायत सचिव भर्ती और सेवा की शर्तें)

बीएस जामोद, संचालक, पंचायत राज, के आदेश में इसे विस्तार से बताया गया है मप्र पंचायत सेवा नियम 2011 के नियम 6 (7) के अन्तर्गत निम्नानुसार नीति निर्धारित की जाती है :-

“जांच उपरांत यदि वित्तीय अथावा आचरण संबंधी गंभीर  अनियमितता सिद्ध होती है तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत की अनुशंसा पर ऐसे सचिव को जिस जनपद पंचायत में पदस्थ है उसके बाहर किन्तु जिले के भीतर की अन्य ग्राम पंचायत में स्थानांतरित किया जाएगा। यह आदेश जिला पंचायत सीईओ द्वारा जारी किया जावेगा।

 

नीति को विवादित बता रहे है जानकार

संचालक द्वारा जारी पॉलसी लेटर में सजा के तौर पर ट्रांसफर करने की व्यवस्था की गई है। इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाले एक्टिविस्ट एवं एडवोकेट का कहना है कि इस प्रकार से भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की नीति बनाई गई है। एक कर्मचारी जिस पर भ्रष्टाचार का आरोप प्रमाणित हो गया हो उसे बर्खास्त किया जाना चाहिए ट्रांसफर करके उसकी नौकरी बचाने की कोशिश की है।

सीएम के चहेते आईएएस अफसर हैं जामोद

यह उल्लेख करना जरूरी है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बाबू सिंह जामोद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान काफी चहेते अधिकारी है। वे मुख्यमंत्री के लिए पहले भी नौकरी दांव पर लगा चुके हैं, मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत पाए जाने पर चुनाव आयोग ने बाबू सिंह जामोद को अशोक नगर कलेक्टर के पद से हटा दिया था लेकिन सीएम ने उन्हें गिर से अशोकनगर का कलेक्टर बना कर भेज दिया था।



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