इनकी भी सुनो सरकार, सरकारी बुलडोजर से रोज बेरोजगार होते परिवारों की व्यथा

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पंकज शुक्ला

सरकार “स्ट्रीट वेंडर” को आर्थिक सहायता दे रही है पर “स्ट्रीट” पर जगह नहीं देती

लोगों का रोजगार छीनने के पहले कोई ठोस व्यवस्था जरूरी

जिला मुख्यालय में बिना निजी जमीन और दुकान के रोजगार पाने वालों की संख्या लगभग 1000 होगी। चाय, पान, सब्जी, चाट पकौड़ी, कपड़े, मनिहारी आदि व्यवसाय कर जिला मुख्यालय में लगभग एक हजार परिवार बिना सरकारी सहायता के अपना परिवार को पालने और रोजी की व्यवस्था कर रहे है। जिला मुख्यालय में रोजगार देने वाला यह सबसे बड़ा सेक्टर है जो स्वयं के प्रयासों से उन जरूरतमंद लोगों द्वारा खड़ा किया गया है जिनके परिवारों के लिए भरण पोषण का संकट है। शहर में फुटपाथ के भरोसे छोटे मोटे कारोबार कर अपना घर परिवार चलाने वाले इन लगभग एक हजार दुकानदारों के लिए पिछले 70 साल में स्थानीय प्रशासन ने एक इंच जगह की भी व्यवस्था नहीं की है। जो दुर्भाग्यपूर्ण है और ऊपर से साल में दो चार बार इन्हे अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ा जरूर जाता है शासकीय अमला और मशीनरी लगाकर। स्थानीय प्रशासन की ये चोट दुकानों और टपरो पर होती दिखती है पर वास्तव में यह चोट कुछ परिवारों और तमाम पेटो और भूख पर होती है।

परिवारों का भरण पोषण फुटपाथ के कारोबार पर निर्भर है


शहर के फुटपाथ पर कुछ ऐसे परिवार भी निर्भर है जहां घर को चलाने की जिम्मेदारी महिलाओं पर है। जब कोई महिला और बच्चे सड़क पर दिन भर बैठकर छोटा मोटा कारोबार कर रहे हो तो उनकी मजबूरी समझी जा सकती है। शहर का सुंदरीकरण, साफ सफाई महत्वपूर्ण विषय है पर किसी का रोजगार ही उजाड़ दिया जाए इसके लिए यह न्यायसंगत तो कतई नहीं है। इनके लिए स्थान की वैकल्पिक व्यवस्था की जाना भी जरूरी है।

सरकार “स्ट्रीट वेंडर” को आर्थिक सहायता दे रही है, फुटपाथ नहीं

यह बात किसी से छिपी नहीं है राष्ट्रीय स्तर पर और केंद्र सरकार तक इस बात की जानकारी है तभी पिछले वर्ष सरकार ने योजना चलाकर कोविड काल में संकट से गुजरे इन स्ट्रीट वेंडर्स को बिना ब्याज के ऋण मुहैया करवा था। ताकि सुने होते फुटपाथ के बाजार को पुनः गुलजार किया जावे। पर अफसोस इस बात का है कि सरकार की इस मंशा पर स्थानीय प्रशासन अपनी तानाशाही के चलते पूरी तरह से पानी फेरने में लगा है। सवाल यह है कि जिन स्ट्रीट वेंडर्स को अपने स्व रोजगार के लिए ऋण मुहैया कराया गया था अब वह स्ट्रीट वेंडर्स कहां बैठकर अपना रोजगार संचालित करें। तब जब बेरोजगारी और गरीबी देश की व्यापक समस्या है और सरकार किसी भी तरह इससे पार नहीं पा रही है तब बिना सरकारी सहयोग के जो लोग सड़क किनारे अपने शरीर तपाकर, प्रतिष्ठा को ताक पर रखकर बेरोजगारी से खुद के बूते संघर्ष कर रहे है उन्हें इस तरह की बेरहमी से कब तक रौंदा जाता रहेगा?

शहर में बनाए जाने चाहिए हॉकर्स जॉन

जिला मुख्यालय में कई ऐसी जगह है जिन्हें व्यवस्थित करते हुए स्ट्रीट जोन का स्वरूप प्रदान किया जा सकता है ।स्ट्रीट जोन बनाए जाने से ना सिर्फ इन फुटपाथ में व्यवसाय करने वाले लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा बल्कि सरकारी जगह भी अवैध कब्जाधारियों के कब्जे से मुक्त हो जाएगी। शहर को साफ और स्वच्छ तथा अतिक्रमण से मुक्त बनाने की पहल को शहर में स्ट्रीट जॉन बनाकर पूरा कर सकते हैं। इस पहल से आए दिन अतिक्रमण का दंष झेलने वाले इन व्यवसायियों को सम्मानजनक रोजगार करते हुए अपने परिवार के भरण-पोषण के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे इसके साथ ही नगर परिषद की आय में भी जबरदस्त इजाफा होगा। अभी भी फुटपाथ में व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों से नगर परिषद के द्वारा बाजार टैक्स की वसूली की जाती है। यदि व्यवस्थित बाजार उपलब्ध कराया जाए तो इन स्ट्रीट वेंडर्स से अधिक आय प्राप्त होगी जो नगर परिषद के लिए बड़ी आय का स्रोत साबित हो सकती है। नर्मदा तट के किनारे, बस स्टैंड से सुबखार के बीच कई ऐसे स्थान है जहां थोड़ी थोड़ी सख्या में इसको स्थान उपलब्ध करवाया जा सकता है। वहीं शहर के बीच लगभग तीन एकड़ भूमि महादेव ट्रस्ट की पड़ी हुई है जिसके सभी ट्रस्टी बहुत समय पूर्व गुजर चुके है और वह प्रशासन के हक में है लेकिन ध्यान न दिए जाने से भूमि का कोई उपयोग नहीं हो रहा है जबकि इस स्थान पर बहुत बड़ा हॉकर्स जॉन बनाया जा सकता है।

शांति समिति की बैठक के बाद उजड़े

विगत दिनों बस स्टैंड क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के पीछे नगर परिषद के जिम्मेदार लोगों को कहना है पिछले दिनों शांति समिति की बैठक में लोगों ने इसका विरोध किया था इसलिए कार्यवाही की गई है। शांति समिति ने लोगों ने वहां की कुछ दुकानों में अवैध शराब के कारोबार और अंडे मुर्गे की दुकानों पर विरोध दर्ज करवाया था। यह आपत्ति उचित भी है पर, अवैध शराब को पुलिस सख्ती से रोके, अंडा और मुर्गा मीट मार्केट में बेचे जाने की कार्यवाही भी हो पर कई ऐसे कारोबारी भी है यहां जिनके पास और कोई रोजगार का सहारा नहीं है उनके साथ न्याय होना चाहिए।

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