केरल से ढाई लाख रुपए देकर बस द्वारा प्रवासी मजदूर पहुंचे डिंडोरी, सरकारी दावे खोखले

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जनपद टुडे, डिंडोरी, 14 जून 2020, आज दोपहर जिले के केरल में लॉकडाउन के दौरान फसे लगभग 60 मजदूर बस से डिंडोरी पहुंचे। जिनमें महिलाएं पुरुष सभी शामिल थे। यह सभी जिले के अमरपुर मेहदवानी, समनापुर आदि ब्लॉक के अलग-अलग गांव के निवासी हैं, जो हमेशा से मजदूरी करने केरल जाते रहे है। उन्होंने बताया कि वे बस के द्वारा एर्नाकुलम जिला केरल से मंडला आए वहां थे। वहां से उन्हें प्रशासन द्वारा बस से उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर डिंडोरी भेजा गया।

 

चंद्र विजय महाविद्यालय में स्थित कोरं टा इन सेंटर में जमा प्रवासी मजदूरों की भीड़ वहां अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाने हेतु रुकी थी। इन लोगों से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि वह केरल के इडकी, चिरई कला स्टेट में इलायची तोड़ने का काम करने गए थे। उनको लॉकडाउन के दौरान काम न होने के बाद भी केरल में ही रुकना पड़ा इस दौरान केरल सरकार और मध्यप्रदेश की सरकार से उन्होंने वापस आने के लिए कई प्रयास किए पर उनकी किसी ने नहीं सुनी न उन्हें कहीं से कोई सहायता मिली।अब यह मजदूर केरल से बस किराए पर करके डिंडोरी पहुंचे हैं।

 

प्रदेश सरकार के दावे खोखले

प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इनसे किराया न लिया जाए और इन्हें इनके घर तक पहुंचाने का व्यय प्रदेश सरकारें वहन करेंगी, सभी प्रदेशों की सरकारें इसको लेकर बड़े-बड़े आंकड़े दिखा रही हैं इन श्रमिकों के सर्वे, रोजगार दिए जाने के दावे किए जा रहे हैं

पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। इन प्रवासी मजदूरों ने बताया कि उन्होंने 5500 सौ रुपए प्रति व्यक्ति के मान से बस वाले को किराया दिया है। इनके साथ जो महिला अमरपुर ब्लॉक के मनेरी ग्राम की है उसने बताया कि उन लोगों ने मिलकर दो लाख चालीस हजार रुपए में बस बुक की थी जिसका भाड़ा उन सब ने आपस में पैसे मिला कर दिया है। केरल सरकार से अनुमति जरूर दी गई है और दोनों प्रदेश की सरकारों ने किराया व खाने-पीने की कोई भी व्यवस्था इन मजदूरों के लिए नहीं की। पिछले दो माह से दूसरे प्रदेश में फंसे इन मजदूरों की किसी भी प्रदेश की सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की और अब जब देश की सर्वोच्च अदालत इस दिशा में आदेश दे चुकी है तब भी मजदूर लाखों रुपए खर्च करके घर पहुंच रहे है और सरकारों को इसका पता भी न लग रहा हो ये नहीं माना जा सकता, सच तो ये है कि इन सरकारों के दावे ही खोखले है।

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