नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की साठगांठ से हम्मालो का शोषण

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डिंडोरी,जनपद टुडे,16 फरवरी 2020

शासन की मंशा अनुसार नहीं दी जा रही हम्माली

 

नियम विरुद्ध दिया गया हम्माली का ठेका

वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर धांधलेबाजी

 

नागरिक आपूर्ति निगम आमजन की खाद्य आपूर्ति हेतु संचालित योजनाओं का दायित्व निभाने वाला बेहद महत्वपूर्ण विभाग है रवि और खरीफ फसलों की खरीदी किसानों से करवाने से लेकर इनका संग्रहण और इनकी प्रोसेसिंग उपरांत इनके वितरण तक के कार्यों में इस विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। अत्यंत संवेदनशील सेवाओं से जुड़े इस विभाग की जिले में दिखाई देने वाली व्यवस्थाएं और कार्यप्रणाली हमेशा ही चर्चा में रही है।

धान की खरीदी के बाद उसके उठाव का समय पर न होने और परिवहनकर्ता के चयन में गड़बड़ी के मामले के बाद अब एक और मामला भी अत्यंत गंभीर है जो गरीब हम्मालों के खुलेआम शोषण के साथ ही साथ जिले में पदस्थ नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की ऐसी करतूत का पर्दाफाश करते हैं जिसमें अधिकारियों द्वारा शासन की मंशा से खिलवाड़ करते हुए गरीब हम्मालो के हक हड़प कर अपने पसंदीदा व्यक्ति को बतौर ठेकेदार स्थापित कर उसको बेजा लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस कारनामे के पीछे अधिकारियों का स्वार्थ होना भी स्वाभाविक ही है।

क्या है मामला

पूर्व की सरकार धान उपार्जन के उपरांत इनके परिवहन हेतु ठेकेदारों से निवदा के माध्यम से कार्य करवाया जाता था जिसमें धान खरीदी केंद्र से गोदाम तक माल को पहुंचाने का पूरा खर्चा परिवहनकर्ताओं को विभाग द्वारा भुगतान किया जाता था।किंतु इस वर्ष वर्तमान सरकार ने इस नीति में बदलाव करते हुए धान परिवहनकार्य में भाड़े भर की निविदा आमंत्रित की गई और खरीदी केंद्र में धान की लदाई व गोदाम में धान उतारने के कार्य हेतु अलग से सीधे हम्माली देने का प्रावधान रखा, जिसमें धान लदाई की हम्माली सीधे धान खरीदी केंद्रों को दी गई और उतारने कि हम्माली निगम द्वारा हम्मालो के दिए जाने का प्रावधान रखा गया। प्रदेश शासन ने धान की हम्माली जिसमें ट्रक से उतारने और चढ़ाने की मजदूरी है प्रति क्विंटल ₹12 निर्धारित की जो सीधे हम्मालो को दिया जाना था इस बड़े बदलाव और परिवहन व्यय से हम्माली को
प्रथक करने की इस बड़ी कवादत और कठिन प्रक्रिया के पीछे प्रदेश शासन की मंशा स्पष्ट है, जिस तरह सरकार किसानों को उनकी पूरी कीमत देना चाहती है उसी तरह गरीब मेहनतकश हम्मालो का हक भी दलाल न हड़पे इसलिए निर्धारित ₹12 क्विंटल की दर से मजदूरी खरीदी केंद्रों और नान को दी गई।
किंतु नागरिक आपूर्ति निगम डिंडोरी के अधिकारियों को प्रदेश सरकार का यह मजदूरों के हित में लिया गया निर्णय शायद पसंद नहीं आया और उनकी नजर गरीबों के हक पर गड़ गई जिसके चलते विभाग के अधिकारियों ने एक मनमाना निर्णय शासन के बिना दिशा निर्देश के लेते हुए धान की लदाई 5 रुपए क्विंटल और उतारने की मजदूरी ₹7 क्विंटल तय करते हुए लदाई कि पल्लेदारी समितियों के खाते में देने और शेष बची ₹7 क्विंटल की राशि कथित ठेकेदार के माध्यम से हम्मालो को देने का निर्णय ले लिया।

ठेकेदार चयन की संदिग्ध प्रक्रिया

विभाग द्वारा धान की अनलोडिंग के लिए पल्लेदारों को दी जाने वाली मजदूरी शासन की मंशा अनुसार सीधे हम्मालों को न देकर, विभाग ने यह राशि ठेकेदार को देने की एक संदिग्ध प्रक्रिया को अपनाया जिसके चलते विभाग ने कुछ अपने पसंदीदा लोगों से दिखावे के लिए कोटेशन मंगा कर सात रूप प्रति कुंटल की दर से कन्हैया रजक को गोदाम की हम्माली का ठेकेदार घोषित कर दिया।
अनुमानित हम्माली 2703890 रुपए के कार्य गुपचुप ढंग से कोटेशन मंगवा कर बिना किसी सार्वजनिक सूचना को प्रकाशित किए, दिया जाना साबित करता हैं कि विभाग के अधिकारियों की नियत में खोट थी।
हम्माली का कार्य नियमानुसार जिन ठेकेदारों से करवाया जाता है उन फर्मों का श्रम विभाग में लेबर सप्लायर पंजीयन, ईपीएफ खाता, समूह बीमा आदि कुछ आवश्यक बातो का होना अति आवश्यक है जिनकी पड़ताल बिना किए प्रदेश शासन के निर्देशों की अनदेखी करते हुए मात्र अपनी सहूलियत के अनुसार अपने पसंदीदा व्यक्ति को उपकृत करने की नीयत से नियम निर्देशों को तोड़ मरोड़ कर यह काम गुपचुप और संदिग्ध प्रक्रिया अपनाते हुए किया गया और अपने करीबी व्यक्ति को लेबर कॉन्ट्रैक्टर के रूप में खड़ा कर उसके नाम पर लगभग 27 लाख रुपए का भुगतान किए जाने की तैयारी की जा रही है।
जिला प्रशासन को गरीब मजदूरों के हक के साथ खिलवाड़ करने वालों को दंडित करना चाहिए। नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों द्वारा जिस तरह से हम्मालो के हक पर डाका डालने की कोशिश की गई इस पूरी प्रक्रिया और शासन के निर्देशों, निविदा की प्रक्रिया ठेकेदार का सही तरीके से चयन करने संबंधी पूरी प्रक्रिया की विस्तृत जांच करवाई जाना अति आवश्यक है। भले ही लगभग 5 लाख रुपए की गड़बड़ी का ये मामला को लोग गंभीरता से न ले पर उन गरीब और मेहनतकश पल्लेदारों जो गोदाम में अपना जीवन दाव पर लगा कर बोरो के स्टेग लगाते है उनकी मजदूरी को हड़पने की कोशिश विभाग के अधिकारियों की घटिया सोच का उदाहरण मात्र है। नागरिक आपूर्ति निगम के अमले को सिर्फ अपने जेब भरने की फ़िक्र है जिसके चलते यहां घटिया खाद्य की आपूर्ति से लेकर सरकार को चुना लगाने में भी यहां का अमला पीछे नहीं हटता।

ठेकेदार के माध्यम से पल्लेदारों का मारा गया हक

विभाग के इस तरफ से सीधे पल्लेदारों की हम्माली न देकर ठेकेदार को आगे कर जो प्रक्रिया अपनाई गई और शासन से प्राप्त हम्माली की रकम में से सीधे फायदा कठित ठेकेदार को पहुंचाया गया। अनुमानित 5.25 लाख रुपए का फायदा ठेकदार को दिलाया गया जबकि ठेकेदार द्वारा इन मजदूरों के हित में कुछ भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई न ही श्रमकल्याण अथवा श्रमिक सुरक्षा हेतु आवश्यक फंड व्यवस्था अथवा बीमा आदि कवर किया गया हकीकत तो यह है कि गोदाम में हम्मालो के प्राथमिक उपचार तक का इंतजाम ठेकेदार द्वारा नहीं किया। गोदाम में पूर्व से कार्य कर रहे हम्मालो द्वारा अनलोडिंग का कार्य किया गया बस विभाग की कथित सांठगांठ के चलते इन हम्मालो को ठेकेदार द्वारा प्रति बोरी 2.80 पैसे की बजाय 2.25 पैसे की दर से भुगतान किया गया।

गोलमोल जवाब दे रहा है विभाग

इस प्रकरण की जानकारी प्राप्त करने हेतु हमारे प्रतिनिधि द्वारा विधिवत आवेदन 1 जनवरी 2020 को विभाग में दिए जाने के बाद भी समय सीमा में विभाग द्वारा प्रमाणित दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए गए न ही इस संदर्भ में कोई जानकारी दी गई।

कथित ठेकेदार से दूरभाष पर कई बार इस विषय में बात करने के प्रयास किए गए किंतु वह जवाब देने की बजाय बहाना करता रहा।

नागरिक आपूर्ति निगम का जिला प्रबंधन साफ-साफ तो कुछ नहीं कहता पर उनका कहना है की वैकल्पिक व्यवस्था के चलते उन्होंने कोटेशन मगा कर ठेकेदार नियुक्त किया है।

इस पूरे गड़बड़झाले में गोदाम पर काम करने वाले हम्मालो को ठेकेदार द्वारा बरगलाते हुए यह कहकर 2.25पैसे प्रति बोरी की दर पर मजदूरी हेतु तैयार किया गया कि विभाग से ₹3 प्रतिबोरी बैंक खाते में जाएगा और मैं 2.25 की दर से नगद भुगतान करूगा इस शर्त पर ठेकेदार कार्य करवाकर हम्मालो के 27 लाख रुपए में से 5 लाख रुपए की रकम डकार जाता है जो कि कुल हम्मली की रकम का लगभग 19% हिस्सा है।

इस तरह से धान उपार्जन में हम्मलो के हक पर सरकार की नीति के विरूद्ध डिंडोरी में अधिकारियों की मनमानी के चलते 20 फीसदी हिस्सा कथित ठेकेदार के हवाले कर दिया जाता है गौरतलब है नागरिक आपूर्ति निगम में परिवहन से लेकर बाकी के सभी कामों में वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर एक ही व्यक्ति को उपकृत किया जा रहा है जिसका जिले के बाकी ट्रक मालिक खुल कर विरोध करते रहे है पर विभाग के अधिकारी किसी की सुनने तैयार नहीं है इस एकतरफा एक ही व्यक्ति को फायदा पहुंचाने की नीति पर बड़ा सवाल जरूर खड़ा होता है जो जांच के दायरे में है।

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