बेड रूम (शयन कक्ष) के स्थान और सामान के लिए वास्तु टिप्स

Listen to this article

शयनकक्ष या बेडरूम घर का मुख्य हिस्सा होता है. दिनचर्या से लेकर रोजमर्रा के सभी काम यहीं से शुरू होते हैं. दिन की नई शुरुआत से लेकर रात में सुकून भरी नींद हमें इसी जगह पर मिलती है. बेडरूम आकर्षक और साफ़-सुथरा हो तो हमारे दिन की शुरुआत भी अच्छी होती है. अस्त-व्यस्त शयनकक्ष हमारे मन में नकारात्मक उर्जा का प्रवाह करने के साथ-साथ मस्तिष्क में अशांति उत्पन्न करता |आप अपने मुख्य शयनकक्ष को सभी सुविधाओं से परिपूर्ण बनाने के लिए उसकी साज-सज्जा पर विशेष ध्यान देते हैं परन्तु कभी-कभी इसके बावजूद भी हमें वो सेटिस्फेक्शन नहीं मिल पाता जिसकी हम उम्मीद रखते हैं. स्वास्थ्य का ख़राब होना, रात में नींद न आना, मन विचलित होना और एकाग्रता की कमी जैसी परेशानियों से जूझना पड़ता है. यह एक गंभीर मुद्दा होता है जिसे आपको नजर अंदाज नहीं करना चाहिये. बेडरूम में सभी सुविधा और अच्छा वातावरण होने के बाद भी हमें कुछ तकलीफे होती हैं इसका मुख्य कारण वास्तु दोष होता है.बेडरूम आपका वह स्थान जहां आप  अपना सबसे ज्यादा समय बिताते हें| पुरे दिन काम करने के बाद यह स्थान आपके शरीर और दिमाग को आराम और शांति प्रदान करता है| यहाँ वास्तु शास्त्र के अनुसार शयन कक्ष के स्थान और चीजों के रखरखाव  के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं |

बेड रूम के लिए उपयुक्त दिशाये:

  • मुख्य  शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम की ओर होना चाहिए | अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर ऊपरी मंजिल मंजिल के दक्षिण पश्चिम कोने में होना चाहिए |
  • बच्चों का कमरा उत्तर – पश्चिम या पश्चिम में होना चाहिए और मेहमानों के लिए कमरा (गेस्ट बेड रूम) उत्तर पश्चिम या उत्तर – पूर्व की ओर होना चाहिए|
  • पूर्व दिशा में बने कमरा  का अविवाहित बच्चों या मेहमानों के सोने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है |
  • उत्तर – पूर्व दिशा में देवी – देवताओं का स्थान है  इसलिए इस दिशा में कोई बेडरूम नहीं  होना चाहिए | उत्तर – पूर्व में  बेडरूम होने से  धन की हानि , काम में रुकावट और बच्चों की शादी में देरी हो सकती  है |
  • दक्षिण – पश्चिम का बेडरूम  स्थिरता और महत्वपूर्ण मुद्दों को हिम्मत से हल करने में सहायता प्रदान करता है |
  • दक्षिण – पूर्व में शयन कक्ष अनिद्रा , चिंता , और वैवाहिक समस्याओं को जन्म देता है | दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि कोण हें जो मुखरता और आक्रामक रवैये  से संबंधित  है | शर्मीले  और डरपोक बच्चे इस कमरे का उपयोग करें और विश्वास प्राप्त कर सकते हैं | आक्रामक और क्रोधी स्वभाव के  जो लोग है इस कमरे में ना रहे|
  • उत्तर – पश्चिम दिशा वायु द्वारा शासित है और आवागमन से  संबंधित  है | इसे विवाह योग्य लड़किया के शयन कक्ष के लिए एक अच्छा माना गया है | यह मेहमानों के शयन कक्ष लिए भी एक अच्छा स्थान है|
  • शयन कक्ष घर के मध्य भाग में नहीं होना चाहिए, घर के मध्य भाग को वास्तु में बर्हमस्थान  कहा जाता है | यह बहुत  सारी ऊर्जा को आकर्षित करता  है जोकि  आराम और नींद के लिए लिए बने शयन कक्ष के लिए उपयुक्त नहीं है |

 

बेड रूम में रखे सामान के लिए उपयुक स्थान:

  • सोते समय एक अच्छी नींद के  नंद के लिए सिर पूर्व या दक्षिण की ओर होना  चाहिए |
  • वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार, पढ़ने और लिखने की  जगह पूर्व या शयन कक्ष के पश्चिम की ओर होनी चाहिए  | जबकि पढाई करते समय मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए |
  • ड्रेसिंग टेबल के साथ दर्पण पूर्व या उत्तर की दीवारों पर तय की जानी चाहिए |
  • अलमारी शयन कक्ष के उत्तर पश्चिमी या दक्षिण की ओर होना चाहिए | टीवी, हीटर और एयर कंडीशनर को दक्षिण पूर्वी के कोने में स्थित होना चाहिए |
  • बेड रूम के साथ लगता बाथरूम, कमरे के पश्चिम या उत्तर में होना चाहिए |
  • दक्षिण – पश्चिम , पश्चिम कोना  कभी खाली नहीं रखा जाना चाहिए|
  • यदि आप कोई सेफ या तिजोरी, बेड रूम में रखना चाहे तो उसे दक्षिण कि दिवार के साथ रख सकते हें, खुलते समय उसका मुंह धन की दिशा, उत्तर की तरफ खुलना चाहिए|

Related Articles

Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809 666000