लॉक डॉउन के बाद देश के प्रमुख धर्म स्थल पूरी तरह से खाली पड़े

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जनपथ टुडे, 6 अप्रैल 2020,
15 मार्च के बाद सभी धार्मिक स्थलों को भी बंद कर दिया गया है और जहां पर रोज कई हजार लोग पहुंचते थे अब ये स्थल भी खाली पड़े हुए है। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ और फिर एक के बाद एक सभी शहर  लॉक  डाउन होते गए 2 दिन बाद यानी 25 मार्च को पूरे देश को ही लॉकडाउन कर दिया गया। ऐसे में धर्म स्थलों के दरवाजे तो बंद हो गए लेकिन यहां पहुंचे हजारों लोग अपने घर नहीं लौट पाए। कुछ जगहों पर प्रशासन की मदद से लोगों को उनके शहर तक छोड़ दिया गया लेकिन कई जगहों पर सैकड़ों की तादाद में लोग अब भी फंसे हुए हैं। हर जगह कुछ समस्याएं यात्रियों को है पर सभी जगह आम लोगों के लिए दर्शन बंद कर दिए गए हैं।

महाकाल मंदिर उज्जैन

बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल के साथ-साथ उज्जैन में कई प्राचीन मंदिर हैं। आम दिनों में यहां की होटलों, गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं में भी लोगों की अच्छी खासी भीड़ होती है लेकिन लॉकडाउन के बाद ये सब खाली है। जनता कर्फ्यू (22 मार्च) के दो दिन पहले ही प्रशासन ने महाकाल, हरसिद्धि, कालभैरव, मंगलनाथ सहित शहर के सभी मंदिर सील कर दिए थे।

मंदिरों की नगरी उज्जैन में हर दिन 20 हजार लोग महाकाल समेत अन्य मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं। 20 मार्च से यहां के सभी मंदिर बंद हैं।

राममंदिर अयोध्या

मंदिर से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद इस साल आयोध्या में रामनवमी की भव्य तैयारियां थी। लेकिन रामनवमी मेले पर प्रतिबंध का आदेश लॉकडाउन होने के दो दिन पहले ही जारी कर दिया गया था। यहां सख्ती से धारा 144 लागू है। लॉकडाउन से पहले दो दिनों के अंदर ही अन्य राज्यों सेअयोध्या पहुंचे पर्यटक वापस लौट गए।

 

                            शिरडी

साईं बाबा के इस प्रसिद्ध मंदिर के कपाट आम लोगों के लिए 17 तारीख की शाम 3 बजे के बाद से बंद हैं। यहां कोई भी श्रद्धालु नहीं है। मंदिर के पास स्थित ट्रस्ट का हॉस्पिटल खुला हुआ है, जहां स्टाफ और कुछ मरीज हैं। मंदिर के प्रसादालय में सिर्फ मेडिकल और सिक्यूरिटी स्टाफ के लिए खाना बनता है। मंदिर के पुजारी तय समय पर आते हैं, आरती करते हैं और चले जाते हैं।

शिरडी के साईं मंदिर में पिछले साल 1 करोड़ 63 लाख भक्त आए थे। यानी हर दिन करीब 45 हजार लोग यहां साईं बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। पिछले 18 दिनों से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है।

 

काशी विश्वनाथ

बनारस के दशाश्वमेध घाट पर 30 सालों से हो रही गंगा आरती इन दिनों सिर्फ सांकेतिक रूप से हो रही है। जिस आरती में सात पंडित या अर्चक होते थे, वहां अब सिर्फ एक व्यक्ति होता है। बिना किसी भजन या संगीत के आरती होती है।

18 मार्च से ही काशी के दशाश्वमेध घाट पर एक ही व्यक्ति गंगा आरती करते हुए नजर आता है।

 

वैष्णोदेवी

माता वैष्णोदेवी की यात्रा रोकने के ठीक एक दिन पहले 17 मार्च को श्राइन बोर्ड में 14 हजार 816 यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। दर्शन के बाद इनमें से ज्यादातर लोग कटरा रेलवे स्टेशन से अपने घरों के लिए लौट गए।

कटरा से 12 किमी दूर मां वैष्णोदेवी का मंदिर है। यह समुद्रतल से 5200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

 

स्वर्ण मन्दिर

अमृतसर में 200 यात्री मौजूद हैं, इनमें आठ पाकिस्तानी और एक चीनी नागरिक भी शामिल हैं। दरबार साहिब की सराय गुरु रामदास में 150 लोग ठहरे हैं। सभी के स्क्रीनिंग टेस्ट हो चुके हैं, कोई भी पॉजिटिव नहीं पाया गया

एक मुस्लिम सूफी संत ने 1588 ईस्वी में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी थी। करीब 200 साल बाद राजा रणजीत सिंह ने इसके एक खास हिस्से पर सोने की परत चढ़वाई।

                           द्वारका
जहां हमेशा “जय द्वारकाधीश” के स्वर गूंजा करते थे, वहां अब केवल पक्षियों के कलरव ही सुनाई दे रहे हैं। यहां सभी मंदिर बंद है। सुबह-शाम पुजारी आते हैं ओर पूजा करके चले जाते हैं। बिहार के 100 और कोलकाता के 28 यात्री यहां के सनातन सेवा मंडल आश्रम में ठहरे हुए हैं। जबकि 1700 लोगों को लॉकडाउन के बाद द्वारका प्रशासन ने 22 बसों से उनके शहर पहुंचाया। यहां 100 से ज्यादा होटलें हैं, सभी को खाली करवाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें सेनटाइज किया है।

द्वारकाधीश मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश के 4 धामों में से एक है। श्री कृष्ण भगवान का यह मंदिर करीब 2500 साल पुराना माना जाता है।

                           

                       तिरुपति बालाजी

तिरुपति बालाजी मंदिर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद ही ट्रस्ट के 16 हजार से ज्यादा कर्मचारी जो मंदिर के आसपास या तिरुमाला पहाड़ पर रहते थे, उन सभी को परिवार सहित नीचे बनें आश्रमों में भेज दिया गया। करीब 1000 कर्मचारी बारी-बारी से 7-7 दिनों के लिए मंदिर की सुरक्षा और देखरेख के लिए ऊपर ही रहते हैं। इनमें सेना के रिटायर्ड अफसर और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। इन सभी लोगों को चेकअप के बाद ही ऊपर भेजा जाता है और जब यह 7 दिन के बाद वापस लौटते हैं तो दोबारा जांच की जाती है।

तिरुपति देवस्थानम तिरुमाला (आंध्रप्रदेश) के श्री वेंकटेश्वर स्वामी का यह मंदिर उत्तर भारत में तिरुपति बालाजी नाम से ही प्रसिद्द है। यह भारत में सबसे ज्यादा देखे जाने वाला धार्मिक स्थल है।

 

दरगाह शरीफ

केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों के बाद 20 मार्च को जुमे की नमाज के बाद ही दरगाह शरीफ परिसर को पूरी तरह से खाली कर दिया गया था। यहां रोजाना की रस्म अदायगी के लिए दरगाह कमेटी के लोगों को विशेष पास दिए गए है। दरगाह पर तो ज्यादा लोग नजर नहीं आते लेकिन इसके आसपास की होटलों, गेस्ट हाउस, धर्मशालाओं में करीब 3500 लोग फंसे हुए हैं। जनता कर्फ्यू (22 मार्च) के बाद से ही ये लोग यहां से निकल नहीं पाए।

 

जगन्नाथ पुरी

कोरोना का फैलाव रोकने के लिए पुरी प्रशासन ने 17 तारीख को एडवाइजरी जारी की थी। उसी दिन से होटल, लॉज खाली करवाने और अगले आदेश तक कोई भी नई बुकिंग नहीं लेने के निर्देश दिए गए थे। इससे पहले 15 से 17 मार्च के बीच करीब 15 हजार टूरिस्ट को शहर के बाहर ही चेकपोस्ट बनाकर लौटा दिया गया था।

पुरी का जगन्नाथ मंदिर भी चार धामों में से एक है। यहां की रथयात्रा दुनियाभर में प्रसिद्ध है।

 

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