
देश की संस्कृति को करीब से देखने समझने पैदल यात्रा पर निकले लखनऊ के युवा अखिल बाजपेई
अविनाश टांडिया की रिपोर्ट :-
– एक मुलाकात –
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 19 सितंबर 2021, भारतीय संस्कृति व सभ्यता विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व सभ्यता है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनीति का क्षेत्र ही भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति व सभ्यता आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। जिसे जानने और समझने लखनऊ के युवा अखिल बाजपेई पैदल मार्च करते हुए लखनऊ से कन्याकुमारी की यात्रा करने का निर्णय लेकर चल पड़े और अब इनकी पैदल यात्रा मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र डिंडोरी पहुंची है। पिछले दिनों डिंडोरी में इनसे मुलाकात हुई तब उन्होंने अपनी यात्रा का उद्देश्य और अपना अनुभव साझा किया।
जहां स्थानीय लोगों से इनकी भेंट हुई और इन्होंने बताया कि वह लखनऊ के महाराज अग्रसेन नगर से पैदल ही निकल पड़े जिन्हें उनके पिता द्वारा मना किया गया था। लेकिन उनके बड़े भैया शशांक बाजपाई ने अपने पिता को मना कर आज्ञा दिलाई और छोटे भाई अखिल को उनके निर्णय की सराहना करते हुए यात्रा करने की अनुमति पिता से दिलाई। और वह महाराजा अग्रसेन नगर से पैदल ही निकल पड़े अखिल के पिता चंद्रप्रकाश वाजपेई रिटायर्ड अकाउंटेंट है। वही माताजी मालती वाजपेई हाउसवाइफ है। इनके परिवार में कुल 6 सदस्य हैं जिसमें अखिल वाजपेई सबसे छोटे हैं जिन्होंने अपनी मंशा भारतीय संस्कृति और भारत के संप्रदायों के बारे में जानने की इच्छा जाहिर करते हुए पैदल ही भारत भ्रमण का फैसला लिया। वह पैदल लखनऊ से अकेले चल पड़े वही अखिल ने अयोध्या से कन्याकुमारी तक पैदल ही चलने का निर्णय किया। डिंडोरी से अमरकंटक के लिए कूच कर गए है जहां से छत्तीसगढ़, उड़ीसा होते हुए आगे का सफर पैदल ही तय करेंगे।
अखिल बाजपाई ने बताया की उन्होंने पहले वे चार से पांच राज्यों का भ्रमण पैदल ही तय कर चुके है। अखिल ने बताया की उन्होंने बहुत कुछ परिवर्तन अपने गृह निवास से निकलते ही देखा और समझा जाना भारत के प्राचीन पुरातत्व को अवशेषों को संस्कृतियों को भाषाओं को करीब से देखा है वही अखिल बाजपेई ने मध्यप्रदेश के लोगों बड़ी प्रशंसा की और बताया मध्य प्रदेश के रहवासी बड़े ही मिलनसार और धार्मिक होते हैं, उनसे मिलकर मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। मैं मध्यप्रदेश के जितने भी जिले में चला हूं मुझे लोगों द्वारा काफी सहयोग और रास्ते में खाने पीने की चीजें मुहैया कराते हुए लोगों ने रास्तों के बारे में बताया और ऐसी कई चीजें बताई जिन्हें जानकर मै बहुत ही प्रफुल्लित हूं और आगे भी मुझे इसी तरह से चलते जाना है और समझना है भारत की संस्कृति और सभ्यता। भाईचारा आज भी कितनी अटूट और प्रेममई है अखिल जैसे ही डिंडोरी की सीमा पर पहुंचे उनकी मुलाकात जिला चिकित्सालय के सामने लाइट हाउस के संचालक वीरू झारिया से हुई जिन्होंने उनको भोजन व चाय नाश्ता करा कर आगे के लिए रवानगी दी और भी सुविधाएं उपलब्ध कराई है।
अखिल वैसे तो ग्रेजुएट है और अखिल एनिमेशन फिल्म इंस्टीट्यूट से पासआउट है। किन्तु भारत को देखने समझने वे अपना बोरिया बिस्तर लेकर पैदल ही निकल पड़े है। अखिल का यह निर्णय बेशक काबिले तारीफ है और उन युवाओं को के लिए मिसाल भी हैं अखिल के जज्बे को सलाम। चर्चा के दौरान उन्होंने अपनी यात्रा के विषय में हमसे विस्तार से चर्चा की :-