
मुसामुंडी तुलसीघाट में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा, श्रद्धालुओं की उमड़ रही भीड़
अख़लाक़ कुरैशी (भक्कू भाईजान) गोरखपुर :-
कथावाचक हिमांचल शर्मा ने प्रह्लाद व ध्रुव का चरित्र अपनाने की युवाओं को दी प्रेरणा
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 1 फरवरी 2021, गोरखपुर, करंजिया विकास खंड के अंतर्गत ग्राम मुसामुंडी के नर्मदा तट तुलसीघाट में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही। कथा में आए श्रद्धालु कथा के प्रसंग सुन मंत्रमुग्ध हो रहे हैं,साथ ही भजनों की प्रस्तुति ने भी श्रद्धालुओं का मन मोह लिया है।
कथा वाचक हिमांचल शर्मा ने भरत भवाटवी नाममहिमा अजामिल उपाख्यान वृत्रासुर वध व् प्रह्लाद चरित्र नृरसिंहावतार की कथा प्रसंग सुनाए। कथावाचक ने प्रह्लाद चरित्र कथा का रसास्वादन भक्तों को कराते हुए कहा कि प्रह्लाद व ध्रुव का चरित्र युवाओं को अपनाने के लिए अद्भुत और प्रेरणादायक प्रसंग। प्रह्लाद ने अपने साथियों से कहा कि युवावस्था में ही अपने कल्याण का मार्ग पकड़ लेना चाहिए, तभी ईश्वर को पाने का प्रयास संभव हैं, वरना जीवन व्यर्थ हैं, इस तरह भक्त प्रहलाद-चरित्र का भी विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए कहा कि भक्त प्रहलाद को अपने पिता हिरण्यकश्यप ने केवल अपना ही नाम लेने को कहा और भगवान के नाम का विरोध किया, परंतु प्रहलाद ने भगवान का नाम नहीं छोड़ा। इससे क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के अनेक प्रयास किए । उसे पहाड़ों से गिराया, सांपों से डसवाया, हाथी से कुचलवाया और अंत में होलिका के संग जलाया, परन्तु जिसका भगवान रक्षक होता हैं उसका कोई कुछ भी बिगाड़ा नहीं सकता। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानते थे। पुत्र को भगवान विष्णु की भक्ति करते देख उन्होंने उसे ही जान से मारने की ठान ली, लेकिन प्रभु पर सच्ची निष्ठा और आस्था की वजह से हिरण्यकश्यप प्रह्लाद का कुछ भी अनिष्ट नहीं कर पाएं और ईश्वर की कृपा से भक्त प्रहलाद हर कठिन परीक्षा में सफल होते गए
संकट आने पर भक्त की रक्षा करने आते हैं भगवान।
उन्होंने भक्त ध्रुव और प्रहलाद की कथा के वृतांत सुनाते हुए कहा कि भक्त पर संकट आने पर भगवान भक्त की रक्षा करने के लिए दौड़े चले आते हैं। भक्त के प्रति भगवान का स्नेह अपार होता है और भक्त पर ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है। उन्होंने कहा कि जब भक्त प्रहलाद पर पिता हिरण्यकश्यप द्वारा प्रताड़ित किया गया तो आखिर में भक्त की रक्षा के लिए भगवान ने खंभे से नृसिंह भगवान का अवतार लिया और धरती पर हिरण्यकश्यप के बढ़ते पाप, अत्याचार को मिटाने के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया। कथा के बीच बीच भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए और भावविभोर होकर नाचने लगे।