
अवैध डिस्पेंसरियां – आखिर कब तक होता रहेगा भोले भाले ग्रामीणों की जान से खिलवाड़

अवैध डिस्पेंसरियां – आखिर कब तक होता रहेगा भोले भाले ग्रामीणों की जान से खिलवाड़
संपादक प्रकाश मिश्रा 8963976785
जनपथ टुडे डिंडोरी 11 दिसम्बर 2025 –आदिवासी अंचल डिंडोरी में अवैध डिस्पेंसरियों का जाल इस कदर फैल चुका है कि परिस्थितियां अब स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण से बाहर होती दिखाई दे रही है। भोपाल से हर साल निर्देश जारी होते हैं कि जिलों में वैध-अवैध क्लिनिकों की सूची बनाकर कार्रवाई करें, लेकिन डिंडोरी में ये आदेश फ़ाइलों की धूल झाड़ने से आगे नहीं बढ़ते। नतीजा—गांव-गांव में बिना योग्यता धारी डॉक्टरों के अड्डे खड़े हो चुके हैं जिसकी कीमत जिले की भोली-भाली व मासूम अवाम चुका रही है।
सिर दर्द की बीमारी और कुछ घंटों में चली गई ग्रामीण की जान
जिला मुख्यालय से महज 15–16 किलोमीटर दूर रकरिया गांव के 57 वर्षीय चंद्रसिंह की जान एक निजी “क्लिनिक” में गलत इलाज के चलते चली गई। मृतक की पत्नी गनपति बाई के मुताबिक—23 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे सिर दर्द की शिकायत पर पति को शाहपुर के एक निजी क्लिनिक ले गईं। वहां बिना जांच-पड़ताल के एक के बाद एक चार बोतलें चढ़ा दी गईं और दवाएँ थमा दी गईं। इलाज के बाद स्वास्थ्य में सुधार होने की बजाय उल्टा हालत और बिगड़ गई। उल्टियाँ होने लगीं, और घर लाते-लाते 10/12 घंटे में चंद्रसिंह ने दम तोड़ दिया।
10 हजार का ‘समझौता’? — सबसे चौंकाने वाली बात
प्राप्त जानकारी अनुसार परिजनों ने अभी तक कोई शिकायत नहीं की है।लेकिन खबरें फैलते ही कुछ दलाल मृतक के घर पहुंचते हैं और 10 हजार रुपए देकर लौट जाते हैं! परिजन खुद कहते हैं—“ये पैसा डॉक्टर ने दलालों को दिया था… उन्होंने हमें पकड़ा दिया। लेकिन क्यों दिया—समझ नहीं आया। बड़ा सवाल यह है कि 10 हजार की यह रकम “मदद” थी या “मुँह बंद रखने का सौदा”?गाँव में लोग दबी आवाज़ में पूछ रहे हैं—क्या मौत की कीमत बस इतनी थी?
मौत की दलाली करने वालों की खोज खबर ले प्रशासन
जिलेभर में अवैधानिक तरीके से संचालित दवाखानों, दवाई दुकानों के संचालकों के द्वारा ग्रामीणों को पहुंच रहे नुकसान की भरपाई जिले में सुनियोजित तरीके से दलालों के माध्यम से किए जाने का प्रयास हो रहा है। सवाल यह है कि भोले भाले ग्रामीण की जान की कीमत क्या सिर्फ चंद रूपयों से लगाई जाएगी । प्रशासन की उदासीनता और बेपरवाही का खामियाजा जिले की भोली भाली जनता को चुकाना पड़ रहा है। प्रशासन ऐसे सभी दवाखाना मेडिकल स्टोर और इन दलालों की खोज खबर लेकर सख्त कार्रवाई करें।

सूत्रों की मानें तो क्लिनिक अब भी बेखौफ चल रहा है। जिम्मेदार अधिकारी खामोश है।परिजन असमंजस में हैं।और स्वास्थ्य विभाग—कहाँ है ?क्या अब भी कोई इंतज़ार है ? या फिर कोई और जान जाने के बाद ही प्रशासन जागेगा?
इनका कहना है —
हमने विभागीय स्तर पर सभी ब्लॉक मेडिकल ऑफीसरों को अवैध रूप से संचालित क्लिनिको पर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया हुआ है। उक्त डिस्पेंशरी की जानकारी भी जैसे ही हमारे संज्ञान मे आई, हमने टीम क़ो फ़ौरन मौक़े पर रवाना किया, लेकिन संचालक डिस्पेंसरी और मेडिकल स्टोर दोनों बंद करके चले गये थे। मामले की गंभीरता क़ो देखते हुये आगे कार्यवाही की जायेगी। और हमारा पूरा प्रयास होगा की अवैध डिस्पेंशरियों पर यह कार्यवाही सतत जारी रहे।
मनोज पांडे ( मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी, डिंडोरी )

