बाघिन के शिकार के शक में 2 गिरफ्तार

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विवेचना हेतु विशेष दल गठित, स्थानीय वन अमले की लापरवाही उजागर

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 29 दिसंबर 2021, वनपरिक्षेत्र डिंडोरी के कक्ष क्रमांक 200 में बरामद एक वयस्क बाघिन की मौत के मामले में शिकार के शक की बुनियाद पर वन दस्ते ने बुधवार की शाम 2 ग्रामीणों को हिरासत में लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इनके कब्जे से वन्य प्राणियों के शिकार में काम आने वाले औजार, फंदे और अन्य संदिग्ध सामग्री भी जप्त की गई है। संदिग्धों में एक कुई और दूसरा सारसताल गांव निवासी बतलाया गया है। forest टीम ने पुलिस और पंचायत के नुमाइंदों के समक्ष कार्रवाई को अंजाम दिया है। दोनों व्यक्तियों से पूछताछ जारी है, अनुमान है कि बाघिन को मौत के घाट उतारने में अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। राष्ट्रीय पशु की मौत की तह तक जाने गठित विशेष दस्ते ने शिकारी गिरोह के इलाके में सक्रिय होने की आशंका पर भी काम करना शुरू कर दिया है।

गौरतलब है कि सोमवार की सुबह ग्रामीणों ने टिकरीपिपरी से सारसताल ग्राम पहुंच मार्ग किनारे एक बाघ के शव को देखा था और वन अमले को सूचना दी थी। जिसके बाद मौके पर पहुंचे DFO साहिल गर्ग और SDO FOREST वसंत पिछोरे ने घटना स्थल को सील किया था। Tiger की मौत पर सरकार द्वारा तय Guideline के मुताबिक कान्हा Tigher रिज़र्व और स्थानीय वैटनरी सर्जन की संयुक्त टीम ने मंगलवार को बाघिन का मौके पर ही पोस्टमार्टम किया था। जिसमे बाघिन की मृत्यु का प्राम्भिक कारण जहर का सेवन बतलाया गया था। हालांकि स्थानीय वन अधिकारी इसको छुपाने की जुगत में लगे रहे। जिसके बाद वरिष्ट फारेस्ट अधिकारियों की मौजूदगी में बाघिन का अंतिम संस्कार किया गया। बताना उचित होगा कि बाघिन के शव से कुछ दूरी पर एक बायसन भी मृत पाया गया है। जिसके शरीर मे जहर का छिड़काव पाया गया है। जिसके मद्देनज़र अधिकारी इस नजीजे पर पहुंचे हैं कि बाघिन ने बायसन का शिकार किया होगा और निवाला बना कर चली गई होगी। इसी दौरान शिकारी प्रवृत्ति वालों ने बाघिन की खुराक वने बायसन के शरीर मे जहर मिला दिया होगा। दुबारा भूख मिटाने पहुंची बाघिन जहरीले मांस के भक्षण से मौत के मुँह में समा गई।

पूरे मामले पर रेंज ऑफिसर की लापरवाही उजागर होती है। चूंकि जहरखुरानी का शिकार हई वयस्क बाघिन अपने MOVMENT और शिकार के जरिये डिंडोरी रेंज में पिछले एक पखवाड़े से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही थी। बाबजूद इसके वन अमले ने राष्ट्रीय पशु की मौजूदगी पर गंभीरता नही बरती, इतना ही नही TIGER मूवमेंट के मद्देनजर जारी दिशानिर्देश के मुताबिक रेंजर को बाघिन के गारा (शिकार) और मूवमेंट वाले इलाके के जलस्त्रोत पर सतत निगरानी रखनी थी और बाघिन की पल पल की जानकारी दर्ज करनी थी। चूंकि सामान्य व्यक्ति पर टाइगर के गारा और जलस्त्रोत पर जहर मिलाने की आशंका रहती है। लिहाजा इन सम्बन्ध में दिशानिर्देश पर अमल करना था। लेकिन रेंज अधिकारियों ने कोताही बरती और जहरखुरानी से ही बाघिन के शिकार को अंजाम दिया गया। जिसकी कानो कान खबर वन अमले को नही लग सकी, जो परिक्षेत्र अधिकारी की लापरवाही को उजागर करने बहुत है।

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