“अंधा पीसे कुत्ते खाएं” की तर्ज पर जिला मुख्यालय में चल रही करोड़ो की सीवर लाइन परियोजना

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पंकज शुक्ला : 

सीवर लाइन” में जोड़ी जा रही निस्तारी नालियों की निकासी

तकनीकी जानकारों की निगरानी बिना चल रहा सीवर निर्माण कार्य

सीवर की व्यवस्था छ: माह भी नहीं चल पाने का अंदेशा

बिना मॉनिटरिंग और देखरेख सरकारी राशि से परियोजना में मनमानी

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 21 नवंबर 2024, जिला मुख्यालय में प्रशासनिक अमले की उपस्थिति होते हुए भी मनमानी और अंधेरगर्दी जारी है, जिस पर कोई अंकुश लगाने वाला नहीं है। यह बड़ी ही विषम और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जिसके चलते एक ओर विकास के नाम पर करोड़ो रुपयों की परियोजना के माध्यम से सरकारी धन की होली खेली जा रही है दूसरी और नगर की जनता आम सुविधाओं के लिए तरस रही है। नगर में विगत कई वर्षों से चली आ रही सीवर लाइन की परियोजना अपने अंतिम पड़ाव पर है, अब सरकार की इस व्यापक परियोजना का लाभ आमजन को मिलना है। किंतु इस करोड़ो रुपए की परियोजना, जिसकी लागत अज्ञात है, परियोजना निर्माण की जानकारी देने वाला नगर में कोई नहीं है, नगर परिषद का साफ कहना है कि परियोजना का न तो संचालन उनके पास है न देखरेख, न ही मॉनिटरिंग, खैर बिना किसी सक्षम तकनीकी जानकार के इस परियोजना को संपन्न किया जा रहा है जिसके चलते सीवर लाइन की परियोजना पूरी तरह से निरर्थक और अनुपयोगी साबित होने का अंदेशा बना हुआ है। जिस योजना पर सरकार करोड़ो रुपए खर्च करके नगर को स्वच्छ और व्यवस्थित बनाने का दावा कर रही है।

सीवर लाइन से जोड़ा जा रहा है निस्तारी नालियों का पानी

नगर में निर्माणाधीन सीवर परियोजना के अंतिम दौर में अब घरों की सीवर की मुख्य लाइन से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। यह कार्य बिना किसी जिम्मेदार तकनीकी जानकार के ठेकेदार द्वारा पेटी कॉन्ट्रेक्टर के माध्यम से कराया जा रहा है। पेटी कॉन्ट्रेक्टर होने का दावा करने वाले व्यक्ति द्वारा सीवर के चैम्बरों में बाथरूम से निकलने वाला पानी, किचन से निकलने वाले पानी की लाइनों और सेप्टिक टैंकस के ओवर फ्लो पाइपों को जोड़ा जा रहा है। हमारे प्रतिनिधि ने जब ठेकेदार द्वारा नियुक्त इस कथित पेटी कॉन्ट्रेक्टर से पूछा कि ऐसा वो किसके निर्देश पर कर रहा है तो उसका कहना है ठेकेदार ने सारी लाइनों को जोड़ने के लिए बोला है। उक्त व्यक्ति द्वारा कही और भी सीवर लाइनों का काम किया गया है इसका कोई जवाब नहीं दिया गया। हमारी जानकारी के अनुसार सीवर लाइन में केवल शौचालय की लाइन को जोड़ा जाना है। सीवर लाइन पूरी तरह से भूमिगत है और पूरी लाइन कंसील्ड है। ऐसे में गटर और सीवर चैम्बर में बनने वाली गैस और बदबू बाथरूम और किचिन के पाइपों से घरों में वापस जा सकती है। जबकि शौचालय में वाटर शील्ड (मुर्गा) की वजह से ऐसा होना संभव नहीं होता है।

दूसरा शौचालय के अलावा अन्य निस्तारी पानी की निकासी किसी भी दशा में सीवर लाइन में डाली गई 6 इंची पाइप लाइन से संभव नहीं है। वही यदि इसमें निस्तारी लाइनों यानि नाली के पानी को जोड़ दिया जाता है तो इनसे निकलने वाले ठोस अवशिष्ट (सॉलिड वेस्ट) के कारण महज कुछ ही दिनों में पूरी लाइन चोक होने की पूरी संभावना है। जिससे बाद में साफ किए जाने की व्यवस्था और संसाधन इस परियोजना को आगे संचालित करने वाली डिंडोरी नगर परिषद के पास तो उपलब्ध नहीं है।

नगर में जिस निस्तारी पानी की निकासी 1 से 1.5 मीटर लंबी, चौड़ी नालियों से संभव नहीं हो पा रही है उसकी निकासी सीवर लाइन के 6 इंची पाइप के माध्यम से कैसे सुगम और सुचारू रूप से हो पाएगी यह बड़ा सवाल है। इस सीवर लाइन परियोजना पर यदि जिम्मेदार अधिकारियों ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो और तकनीकी जानकारों के बिना यदि इसे इसी तरह निपटाने पर रोक नहीं लगाई गई तो करोड़ो रुपए की यह परियोजना चंद महीनों में ठप्प हो सकती है और विकास के नाम पर सरकार द्वारा व्यय की गई करोड़ो रुपए की होली हो जाएगी। भविष्य में नगर की सड़कों के बीच बने गटर सड़कों पर उफनाते दिखाई देगे जो डिंडोरी की छोटी सी नगर पंचायत के लिए बहुत बड़ी समस्या होगी।

अतः समय रहते जरूरी है कि नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी इसकी तकनीकी जानकारी प्राप्त कर सीवर लाइन ठेकेदार द्वारा की जा रही इस तरह की गड़बड़ीयों को सुधरवाने की कार्यवाही करे। जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस तरह से मनमानीपूर्वक चल रहे सीवर लाइन के निर्माण कार्य पर उचित कार्यवाही करे ताकि कल सीवर लाइन विस्तार के नाम पर खोदी जा चुकी शहर भर की सड़कों के बीच बने चैंबरों से बाकी की बची हुई सड़के गंदगी और गंदे पानी से लथपथ न दिखाई दे और सरकार के द्वारा सीवर परियोजना के लिए व्यय की गई करोड़ो रुपए की राशि के इस विकास कार्य का लाभ नगर की आमजनता को मिल सके।

फिलहाल जिस तरह सरकार की इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर खासी रकम खर्च की गई है। ठेकेदार के रवैए और बिना तकनीकी जानकारों के मार्गदर्शन के चल रहे मनमाने कार्य से इस परियोजना के चंद दिनों में ठप्प हो जाने के अंदेशे से नकारा नहीं जा सकता है। जो कि कुत्ते पीसे और अंधे खाए की तर्ज पर चल रहा है। जिला प्रशासन को डिंडोरी नगर परिषद क्षेत्र में सीवर लाइन के उक्त ठेकेदार के पास उपलब्ध तकनीकी अमले और इनके द्वारा पूर्व में सीवर लाइन का कार्य करने का कोई अनुभव है या नहीं इसकी जानकारी भी प्राप्त की जानी चाहिए।

तकनीकी जानकारों की निगरानी बिना चल रहा सीवर निर्माण कार्य

इस संबंध में जानकारों का मानना है कि सीवर लाइन से सिर्फ शौचालय के अवशिष्ट की ही निकासी की जाती है। किंतु शहर में ठेकेदार द्वारा किए जा रहे कार्य में सारे निस्तारी पानी और नालियों की निकासी का जो अदभुद प्रयास महज 6 इंच की पाइप लाइन से कराने का प्रयास किया जा रहा है वह कतई तर्क संगत नहीं लगता है। अतः ठेकेदार के पूर्व अनुभव और उसके पास उपलब्ध अनुभवी और तकनीकी जानकारी अमला होने पर भी सवालिया निशान है। जिस पर विशेष तौर पर जिम्मेदार अधिकारियों के गौर किए जाने आवश्यकता है।

अनुभवी जिला कलेक्टर से सीवर परियोजना पर उचित कार्यवाही की जनपेक्षा

गौरतलब है कि जिला कलेक्टर महोदय ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर रह चुके है, जहां रियासत के समय से सीवर लाइन का सफल संचालन होता आ रहा है। ग्वालियर देश प्रदेश का शायद पहला ऐसा शहर है जो पूरी तरह से लंबे समय से सीवर लाइन से जोड़ा जा चुका था, भले ही प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में यह परियोजना अब पूर्ण रूप से विस्तारित की जा रही है। अतः ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर रहे जिला कलेक्टर महोदय को इस परियोजना की खासी तकनीकी जानकारी अवश्य है। इसी दौरान ग्वालियर हाईकोर्ट में सीवर लाइन, ग्रांट लाइन का मसला भी चर्चा में रहा है जिस पर महोदय द्वारा ग्वालियर की सीवर व्यवस्था में व्यापक सुधार हेतु व्यापक स्तर पर कार्य भी किया गया था।  उसी प्रकार से डिंडोरी में चल रही इस परियोजना के ठेकेदार द्वारा किए जा रहे कार्य की तकनीकी कमियों पर उचित कार्यवाही कर नगर वासियों को सीवर लाइन की इस परियोजना का बेहतर लाभ दिलवाया जाना सुनिश्चित किया जावे।  जनपेक्षा है कि जिला मुख्यालय में बिना किसी उचित देखरेख और मॉनिटरिंग के चल रही इस योजना पर जिला प्रशासन उचित और सख्त कार्यवाही करेगा।

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