घान खरीदी में किसानों का शोषण करने वाले बरी, कार्यवाही के लिए भटक रहे किसान

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महीनों से किसान सरकारी कार्यालयों के काट रहे चक्कर

दोषियों पर नहीं हुई कोई कार्यवाही


जनपथ टुडे, डिंडोरी, 2 मार्च 2022, जिले में शासन के निर्देशानुसार धान खरीदी के दौरान समितियों द्वारा किसानों से शासन द्वारा निर्धारित मात्रा से अधिक धान लिए जाने का मामला उजागर हो रहा है और विगत दिनों से इस ख़बर को स्थानीय मीडिया प्रमुखता से उठा रहा है। किन्तु प्रशासन द्वारा कोई जांच या कार्यवाही दोषियों के खिलाफ किए जाने के कोई संकेत अब तक नहीं मिले है। वहीं जिला खाद्य अधिकारी आरएम सिंह के बयान से लगता है कि विभाग शिकायतकर्ता किसानों को ही कटघरे में खड़ा कर चुका है और दोषी समितियों और जिम्मेदार संचालकों को बचाने की कोशिश करते हुए पूरे मामले पर पर्दा डालना चाहता है। जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि जिले भर में समितियों द्वारा किसानों से अधिक मात्रा में धान ली गई है।

दो माह में नहीं हो सकी कार्यवाही

जिला कलेक्टर को इस मामले की शिकायत करने वाले छांटा के किसानों ने 4 जनवरी को अपनी लिखित शिकायत दी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार 7 जनवरी को कार्यवाही हेतु शिकायत, खाद्य विभाग को भेजी गई। खाद्य विभाग द्वारा 11 जनवरी को आदिम जाति सेवा सहकारी समिति कुकर्रामठ अन्तर्गत संचालित खरीदी केंद्र छांटा और 18 जनवरी को कुकर्रामठ खरीदी केंद्र में जांच करवाई । जांच प्रतिवेदन में संचालकों द्वारा शासन के निर्देशों की अवहेलना करते हुए स्वयं को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने हेतु कार्य करने का हवाला देते हुए जिला आपूर्ति अधिकारी द्वारा समिति संचालक को नोटिस जारी किया और तीन दिवस में जवाब तलब किया गया।

वहीं इन किसानों ने जांच अधिकारी द्वारा केंद्र में जांच के दौरान गड़बड़ी का हवाला देते हुए 4 फरवरी को जिला आपूर्ति अधिकारी, खाद्य शाखा को आवेदन देकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करने और किसानों को उनकी अधिक मात्रा में दी गई धान की राशि दिलवाए जाने की मांग की किंतु विभाग के अधिकारियों द्वारा अब तक ऐसी कोई कार्यवाही किए जाने की जानकारी नहीं है। वहीं जिला आपूर्ति अधिकारी अब समिति संचालक के पक्ष में खड़े नजर आ रहे है।

कार्यवाही न होने को लेकर किसान बुधवार को फिर जिला कलेक्टर को आवेदन देने पहुंचे और दोषियों पर कार्यवाही तथा किसानों को शेष राशि दिलवाए जाने हेतु लिखित आवेदन दिया है। गौरतलब है कि किसानों की जायज शिकायत पर विगत दो माह में कोई संतोषजनक कार्यवाही नहीं हो सकी है। किसान अपने हक के लिए जिला मुख्यालय आकर अधिकारियों के कार्यालयों में भटकने मजबूर है। जबकि जिले में धान और गेहूं खरीदी के दौरान किसानों से अधिक मात्रा में फसल लिए जाने की बात जगजाहिर है। समितियों द्वारा धान खरीदी में इस तरह गड़बड़ी कर करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार किया जाता है, तब भी न तो किसानों की शिकायत पर कठोर कार्यवाही प्रशासन द्वारा की जा रही है और न ही भविष्य में इस तरह किसानों के खुलेआम शोषण को रोकने की दिशा में कार्यवाही करते हुए दोषियों पर कार्यवाही की जा रही है।

जांच से हो सकता है बड़ा खुलासा

जिले में धान खरीदी की प्रक्रिया के दौरान जिले भर में की जा रही गड़बड़ियों की खबर मीडिया की सुर्खियों में रही तब भी प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिले में धान खरीदी के दौरान गड़बड़ियों में शासकीय विभागों की साठगांठ की भी चर्चा है जिसके चलते शासन को जमकर चूना लगाया गया है। सूत्रों की माने तो जिन समितियों में घटती की चर्चा है उनका माल गोदाम की बजाय मिलर्स को नान द्वारा ऑफलाइन आर ओ काट कर बड़े स्तर पर गोलमाल किया गया है। धान उपार्जन के दौरान सीधे मिलर को काटे गए ऑफलाइन आर ओ की वजह और इसकी काटा पर्चियों की जांच से बहुत कुछ राज उजागर हो सकते है।

परन्तु इस पूरे मामले में अब तक प्रशासन कोई भी कार्यवाही करता नहीं दिख रहा है। जबकि आम किसानों के शोषण पर शासन और प्रशासन को सख्त कार्यवाही करना चाहिए और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए। लोगों की माने तो जिले में धान खरीदी की यदि निष्पक्ष और सूक्ष्म जांच करवाई जावे तो करोड़ों रुपयों की गड़बड़ी एक एक समिति से उजागर हो सकती है।

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