खड़ी फसलों को पहुंचा रहे नुकसान
जनपथ टुडे 29 दिसम्बर अमरकंटक रोड स्थित कारोपानी गांव के आस पास नैसर्गिक तौर पर सैकडों की तादात में कृष्ण मृग पाए जाते हैं। इनके रख रखाव और सुरक्षा को लेकर वन विभाग पर सवालिया निशान लग रहे है। कृष्ण मृग के इलाके में रहने से संरक्षित क्षेत्र माना जाता है, लेकिन बाऊंड्रीबाल और चारा की व्यवस्था नहीं होने से इनका संरक्षण भगवान भरोसे है और इसका खामियाजा किसानों को अपनी फसल नुकसान के तौर पर उठाना पड़ रहा है। कारोपानी, खरगहना, बुधगांव, चरखुटिया सहित आसपास के गांव के किसानों की सैकड़ों एकड की फसल को काले हिरण नुकसान पहुंचाते आ रहे हैं। इन किसानों को वन विभाग या राजस्व से कभी कोई क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिली है। किसानों ने वन विभाग, कलेक्टर, मुख्यमंत्री सहित प्रधान मंत्री तक से कृष्ण मृग की सुरक्षा और इनसे हो रही फसलों की नुकसानी के लिए पत्राचार कर चुके हैं। अब तक मृगों के संरक्षण और किसानों की नष्ट हुई फसल का मुआवजा देने कोई प्रयास नहीं हुए हैं। ग्रामींणों की माने तो इलाके में सैकडों की तादात में रह रहे कृष्ण मृग उनकी खेतों में खडी फसल को कुछ ही में पलाें में चट कर जाते हैं। आलम यह है कि रवी और खरीफ की फसलों को काटकर घर ले जाने से पहले हिरण निवाला बना लेते है। लगातार हो रही फसल नुकसानी से किसान तंग आ चुके है और अब उनके सामने परिवार के भरण पोषण की चिंता सताने लगी है। इस सबके बावजूद भी किसान काले हिरणों को किसी भी प्रकार का नुकसान नही पहुंचाते। इनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते है और श्वान सहित शिकारियों से इनकी सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरतते हैं, लेकिन वन विभाग इनके संरक्षण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व इन्हे पेयजल उपलब्ध कराने औपचारिकता के तौर पर तालाब का निर्माण कराया गया था और फैंसिग के लिए लाखो रुपए खर्च करने की बात सामने आई थी लेकिन मौके में ऐसा कोई काम दिखाई नहीं देता जिससे यह कहा जा सके कि मृगों के चारा और रख रखाव के लिए प्रशासनिक पहल की गई हो। इन काले हिरणों से किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई नहीं होने से कृषकों में आक्रोश देखने मिल रहा है। इसे लेकर खरगहना निवासी कृषक संतोष राजपूत ने कलेक्टर के नाम दिए आवेदन में उल्लेख किया था कि काले हिरणों ने रवी की खडी फसल को नष्ट कर दिया है। इससे किसानों को भारी क्षति का सामना करना पडेगा। किसान कर्ज लेकर खेतों में फसल लगाता है लेकिन हिरणों के द्वारा फसल नष्ट होने के कारण कर्ज के बोझ में दबता जा रहा है। लगातार हो रही फसल नुकसानी से जीवन यापन का भी संकट खड़ा हो गया है। हिरणों के रख रखाव के लिए पिछले 20 वर्षो से बाऊंड्री और फैंसिंग की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक वन विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया। इसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। पीडित किसान ने मांग की है कि हिरणों की सुरक्षा के लिए उचित प्रबंध किए जाएं साथ ही किसानों को मुआवजा का भी वितरण किया जाए।