जिला अस्पताल में “एंटी रेबीज डोज का टोटा” बाजार से इंजेक्शन खरीदने की मजबूरी

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15 दिनों से ARI की किल्लत

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 24 दिसंबर 2020, जिला अस्पताल सहित समूचे जिले में संचालित सरकारी अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। पिछले एक पखवाड़े से एंटी रैबीज इंजेक्शन (ARI) की किल्लत से मरीजों को दोहरी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मर्ज के दर्द के बीच जेब से डोज का खर्चा उठा रहे मरीज परेशान होकर जिला अस्पताल से बगैर इलाज़ ही लौट रहे हैं। आर्थिक रूप से संपन्न मरीज तो बाजार से रेबीज इंजेक्शन खरीद लेते हैं लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोग महंगी दवा नही ले पा रहे है। गुरुवार को इस परेशानी का सामना घानाघाट निवासी दया राम राठौर की 14 वर्ष की बच्ची मंदाकिनी को करना पड़ा। जिसे गांव के ही आवारा स्वान ने काट लिया था। मंदाकिनी के परिजनों ने मजबूरी के चलते बाजार से इंजेक्शन क्रय किया।

 

इस बाबत जानकारी लेने पर ज्ञात हुआ है कि पिछले 15 दिनों से ARI डोज की समस्या बनी हुई है। इसकी पूर्ति हेतु अस्पताल प्रबंधन ने विभाग को मांग पत्र भेजा गया है। जहां से इस इंजेक्शन की ऑनलाइन सप्लाई जिला स्तर पर किए जाने का नियम है। बार-बार पत्राचार किए जाने के बावजूद सप्लाई न होने से चिकित्सक भी चिंतित हैं। गौरतलब है कि संक्रमित पशुओं के काटने से फैलने वाली बीमारी रेबीज से बचाव के तहत (ARI) यानी एंटी रेबीज इंजेक्शन की 5 खुराक 30 दिन में मरीज को लेनी होती है। सरकारी अस्पताल में निशुल्क उपलब्ध होने वाले इंजेक्शन की खुले बाजार में कीमत प्रति इंजेक्शन लगभग 350 रुपए है यानी पूरी खुराक के तहत 5 इंजेक्शन की कीमत बाजार में 1500 रुपए से अधिक आती है। जो गरीब मरीजो के लिये मुश्किल साबित हो रही है।

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