नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी की जमानत याचिका निरस्त

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जनपथ टुडे, जबलपुर, 11 सितम्बर 2020,फरियादी विशाल बिरहा ने थाना गोराबाजार में उपस्थित होकर इस आशय की गुम इंसान रिपोर्ट लेखबद्ध करायी कि उसकी 15 वर्षीय भांजी विगत 1 माह से उसके पास कजरवारा में रह रही थी। दिनांक 08/07/2020 को रात करीब 12:00 बजे अपने कमरे में सोने चली गई थी। सुबह करीब 9:00 बजे देखा तो कमरे में नहीं मिली। आस पड़ोस में रिश्तेदारों में पता किया, तो पता नहीं चला। कोई अज्ञात व्यक्ति नाबालिग भांजी को बहला-फुसलाकर ले गया। फरियादी की रिपोर्ट के आधार पर गोरा बाजार के अपराध क्रमांक 208/2020 अंतर्गत धारा 363 भादवि पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान दिनांक 26/07/2020 पीड़िता दस्तयाब कर पंचनामा गवाहों के समक्ष तैयार किया गया। पीड़िता के कथन लेख किए गए जिसमें उसने बताया कि मैं पार्लर का काम सीखने जाती थी। उसकी संदीप कुरील से 1 साल पहले काली मंदिर सदर में मुलाकात हुई थी। तब से उन दोनों के मोबाइल से बात होने लगी थी, दोनों एक दूसरे से मिलने लगे। संदीप कुरील के साथ ग्वारीघाट घूमने जाती थी। संदीप शादी करना चाहता था। पीड़िता अपनी नानी के घर चली गई तब संदीप ने फोन किया और कहा कि चलो दोनों भाग चलते हैं और शादी कर लेते हैं दिनांक 08/07/2020 की रात्रि 1:30 बजे नानी के घर से किसी को बिना बताए निकली और ट्रेन से अगली सुबह महाराष्ट्र चले गए। एक माताजी के मंदिर में माला डालकर शादी कर ली और दोनों पति-पत्नी की तरह रह रहे थे। अभियुक्त द्वारा पीड़िता के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए गए। पीड़िता के कथनों के आधार पर उक्त धाराओं में वृद्धि करते हुए

फरियादी की उक्त रिपोर्ट पर थाना गोराबाजार के अपराध क्रमांक 208/2020 अंतर्गत धारा 363,366ए,376(2)(एन) भादवि एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(एन)/6 के तहत इजाफा कर विवेचना में लिया गया। आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय श्रीमती संगीता यादव विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट, जिला जबलपुर में पेश किया गया। अभियुक्त ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। शासन की ओर से प्रभारी उप संचालक श्री शेख वसीम के निर्देशन में अभियोजन की ओर से श्रीमती स्मृतिलता बरकड़े अति. जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा शासन की ओर से कड़ा विरोध प्रस्तुत कर अपना पक्ष रखते हुए जमानत का विरोध किया गया। श्रीमती स्मृतिलता बरकड़े अति. जिला अभियोजन अधिकारी ने तर्क देते हुए बताया कि यदि आरोपी को जमानत का लाभ दिया जाता है, तो समाज में न्याय के विरूद्ध विपरीत संदेश पहॅुचेगा। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा व्यक्त किए गए तर्कों से सहमत होते हुए व अपराध की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए आरोपी की जमानत निरस्त कर आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया।

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