
TI की पत्नी, 13 साल तक अपने कार्यालय में यौन शोषण झेलती रही, FIR दर्ज कराने छोड़नी पड़ी सरकारी नौकरी
जनपथ टुडे, इंदौर, 24 मार्च 2021, बलात्कार, महिलाओं से यौन उत्पीड़न, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों की रोकथाम के लिए सरकारें अत्यधिक गंभीर रही हैं और समय-समय पर सख्त से सख्त कानून बनाए गए हैं ताकि आरोपियों पर शीघ्र कार्यवाही हो सके, यौन शोषण करने वाले आरोपियों को किसी भी तरह से बचने का मौका न मिले। किंतु इन कानूनों और नियमों से कितना असर पड़ा है। यौन शोषण के मामलों में और प्रदेश में महिलाएं कितनी सुरक्षित है? यह प्रदेश के इंदौर शहर की एक घटना से साफ हो जाता है की तमाम कायदे कानून और नियमों के बाद भी महिलाएं बिल्कुल सुरक्षित नहीं है उनकी आवाज ही दबा दी जाती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एक पुलिस इंस्पेक्टर की पत्नी को 13 साल तक अपने कार्यालय में अधिकारी के द्वारा यौन शोषण का शिकार होना पड़ा। तमाम शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तब पुलिस इंस्पेक्टर की पत्नी ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर एफ आई आर दर्ज करवाई। अत्यंत संगीन मामला है जिसमें एक कामकाजी पढ़ी-लिखी महिला जिसका पति सब इंस्पेक्टर हो और उसे अपने ही कार्यालय में 13 साल तक यौन शोषण का शिकार होना पड़े। अलग-अलग स्तर पर शिकायतों के बाद भी आरोपी अधिकारी पर कोई कार्यवाही न हो अंततः अधिकारी के ऊपर मामला दर्ज करवाने के लिए उसे अपनी नौकरी छोड़ना पड़े तब महिलाओं के यौन शोषण और उत्पीड़न के लिए बनाए गए कानूनों के बाद भी अगर महिलाएं सुरक्षित नहीं है तो महिलाओं की सुरक्षा के लिए को लेकर सवाल जरूर खड़े होते।
आरोपी अधिकारी के खिलाफ 13 साल तक एफ आई आर दर्ज नहीं हुई
प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना की शुरुआत सन 2007 में हुई आरोपी अधिकारी कल्याण सिंह उस समय आबकारी विभाग में लेखापाल के पद पर था और पुलिस इंस्पेक्टर की पत्नी उसकी अधीनस्थ कर्मचारी थी। अपनी शिकायत में पीड़ित महिला ने बताया है कि आरोपी कल्याण सिंह उसे सरकारी कामकाज के बहाने अपने पास बुलाता और गंदी नियत से उसे स्पर्श और छेड़छाड़ करता था। पीड़ित महिला पुलिस स्पेक्टर की पत्नी थी उसे डर था कि यदि पति को कुछ बताया तो विवाद पड़ जाएगा। इसलिए उसने अपने स्तर पर अधिकारी से दूरी बना ली। महिला की शिकायत के अनुसार आरोपी अधिकारी का प्रमोशन सहायक अधीक्षक के पद पर हो गया तो उसने पद का दुरुपयोग करते हुए दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया उसे खुलकर धमकी दी कि यदि उसके साथ संबंध नहीं बनाए तो झाबुआ ट्रांसफर करवा दूंगा। वह दबाव में नहीं आई तो आरोपी अधिकारी ने 2008 में उसे निर्वाचन कार्यालय में अटैच करवा दिया अटैचमेंट के बाद उसे पता चला कि उसे प्रताड़ित करने के लिए अटैचमेंट किया गया है सामान्य तौर पर निर्वाचन कार्यालय महिलाओं का अटैचमेंट नहीं होता है।
हर स्तर पर शिकायत की परंतु कुछ नहीं हुआ
पीड़ित महिला ने बताया कि उसने पहले डिपार्टमेंट स्तर पर शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई प्रताड़ना बढ़ने लगी तो उसने इसके बारे में अपने पति को बताया। पति की सलाह पर महिला थाने में शिकायत की परंतु मामला दर्ज नहीं किया गया। महिला थाना इंचार्ज का कहना है कि यह मामला विशाखा गाइडलाइन के अंतर्गत आता है सुप्रीम कोर्ट की विशाखा गाइडलाइन के अनुसार सरकारी कार्यालय में यौन प्रताड़ना के मामले में पुलिस शिकायत दर्ज नहीं कर सकती है। विभागीय जांच जरूरी है विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी विभाग के कहने पर ही मामला दर्ज किया जा सकता है।
FIR दर्ज कराने के लिए महिला को सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी
लगातार 13 साल तक यौन शोषण का शिकार होती रही महिला की शिकायतों पर जब आरोपी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही होती नहीं दिखी, पुलिस द्वारा विशाखा गाइडलाइन के नाम पर मामला दर्ज नहीं किया गया तो सम्मान की लड़ाई के लिए इस महिला कर्मचारी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद विजय नगर थाने में छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया गया है।
विशाखा गाइडलाइन कामकाजी महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए जारी की गई है। किंतु यहां इस गाइडलाइन का दुरुपयोग करते हुए आरोपी अधिकारी को बचाया जाता रहा। विभाग के द्वारा कार्रवाई नहीं की गई अंततः इस महिला को अपने सम्मान की रक्षा के लिए सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी यहां गौरतलब है कि एक पुलिस स्पेक्टर की पत्नी को जब अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने में इतना संकट आया तो आम कामकाजी महिलाएं मध्यप्रदेश में कितनी सुरक्षित है और उसे आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता होगा।