जिला पंचायत की दो सीटों पर घमासान, सिहारे और सलूजा की प्रतिष्ठा है दाव पर

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 17 जून 2022, त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव धीरे धीरे अपनी रफ्तार पकड़ता जा रहा है और जमीन पर लोगों को अपनी अपनी ताकत और कमजोरियों का एहसास होने लगा है। अब जिला पंचायत चुनाव बेहद रोमांचक होने की उम्मीद है। विशेषकर वार्ड क्रमांक 4 और 7 में पूरे जिले के राजनीतिक विश्लेषकों व नेताओं की नजर जमी हुई है। इन वार्डो के परिणामों से जिला पंचायत अध्यक्ष पद का काफी हद तक निर्धारण होना प्रतीत हो रहा है।
इसलिए भाजपा – कांग्रेस और गोंडवाना तीनों महत्वपूर्ण दल इन दोनों क्षेत्रों को गंभीर और निर्णायक मानते हुए अपनी पूरी ताकत के साथ अपने समर्थित प्रत्याशी को जिताने का प्रयास कर रहे है। वार्ड नंबर 4 से सबसे मजबूत स्थिति कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी श्रीमती सविता सिहारे की दिखाई पड़ती है। जो अपने करीबी प्रतिद्वंदियों से पहले चरण में काफी आगे दिखाई दे रही है। वे पूर्व में भी जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है, सविता सिहारे जिले के प्रतिष्ठित सामाजिक और राजनीतिक परिवार की बहू है और पुराने सेवा कार्य के चलते उनकी छवि एक आदर्श बहू की बरक़रार है। उन्हें आम जनता का आशीर्वाद व स्नेह सदैव मिलता रहा है। सरल स्वभाव की सरिता सिहारे सहजता से उपलब्ध रहती है और जन समस्याओं पर त्वरित कार्रवाई का उनका चमकदार इतिहास भी रहा है। जिसके कारण वो अपने पिछले कार्यकाल में भी बहुत लोकप्रिय रही है, पूर्व में भी वे इसी वार्ड का प्रतिनिधित्व कर चुकी है और इस बार भी उसी वार्ड से प्रत्याशी हैं। इसी वजह से वो अन्य प्रत्याशियों से काफी आगे दिखाई दे रही है।

इसी तरह वार्ड क्रमांक 7 में भी बहुत रोचक मुकाबले की उम्मीद है। जहां से अन्य प्रत्याशियों के साथ लंबे समय बाद राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता ओजस्वी वाणी के धनी जनपद पंचायत करंजिया के उपाध्यक्ष रह चुके अमरजीत सिंह सलूजा अपने पुराने अंदाज में नवीन संभावनाओं के साथ मैदान में आ गए हैं और अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यद्यपि गुटीय राजनीति के चलते कांग्रेस के ही रुदेश परस्ते भी चुनाव मैदान में हैं और पिछले कई सालों से लगातार क्षेत्र में सक्रिय भी है। उनका भी युवाओं के बीच अपना बड़ा जनाधार है, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अमरजीत सिंह सलूजा सबसे मजबूत स्थिति में है क्योंकि उनके पास परिपक्व राजनीतिक अनुभव है। चुनाव प्रबंधन और रणनीति बनाने में उनका कोई सानी नहीं है। राजनीति से कुछ समय दूर रहने के बाद भी उनकी सामाजिक और धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गहरी भूमिका बदस्तूर जारी रही है। इस कारण क्षेत्र के लोगों के साथ उनके संबंध पूर्ववत मधुर और सहयोगात्मक बनें हुए। परिणाम चाहे जो भी आएं इतना स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि दोनों वार्डों में जबरदस्त चुनाव देखने को मिलेगा और इन्हीं वार्डों का विजेता जिला पंचायत के उपाध्यक्ष पद पर प्रबल दावेदारी करेगा।
सूत्रों की मानें तो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी इस चुनाव में छुपा रुस्तम साबित हो सकती है भीतर ही भीतर पार्टी की रणनीति और सक्रियता चल रही है जो जिला पंचायत चुनाव परिणाम आने के बाद अपने पत्ते खोलकर वजन दारी साबित करेगे। अभी पंचायत चुनावों में सबसे अधिक मंथन सरपंच पद को लेकर चल रहा है। गांव के रहवासियों में सरपंच पद को लेकर स्थितियों का जायजा लिया जा रहा है वहीं इस चुनाव में प्रतिष्ठा का पद पंच का है और जो इसमें दाव लगा बैठे है सबसे अधिक बेचैनी उन्हीं में दिखाई दे रही है। त्रिस्तरीय पंचायत में सबसे छोटे माने जाने वाले इस चुनाव में एक एक वोट निर्णय करता है और इसकी मशक्कत उम्मीदवारों के बीच जारी है।

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