डिंडोरी : आजादी के 75 साल बाद जिले के विकास की तस्वीर
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 4 सितंबर 2022,
पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, क्योंकि यह वर्ष देश की आजादी का 75 वा वर्ष है। सत्ता के चमचमाते सिंहासन पर बैठी सरकार भी हद से अधिक उत्साहित है। घर घर तिरंगा, हर घर तिरंगा जैसे आयोजन देश भर ने हो रहे है, जिसमें वो गांव भी शामिल है जिन तक पिछले 75 साल में न सरकार की नज़र पड़ी, न बिकाऊ जनप्रतिनिधियों की और न भ्रष्ट नौकरशाही की। इनकी स्थिति आज भी कुचली हुई सी नज़र आती है जो तस्वीरों में साफ दिखाई देती है।
75 साल में जिले के विकास की तस्वीर
जिले के समनापुर विकासखंड के ग्राम बितनपुर का बहेरा टोला जो कि सरईमाल ग्राम पंचायत का हिस्सा है। गांव की दूरी जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी है। जहां लगभग 150 लोग निवास करते है जिसमें महिलाएं, बुजुर्ग, किसान और मजदूर के साथ साथ लगभग 50 छोटे बड़े बच्चे है जो रोज पढ़ने जाते है, और आजादी के 75 साल होने के बावजूद यहां पहुंच मार्ग पर सड़क का निर्माण कार्य नहीं हो सका है। गांव के पहुंच मार्ग की तस्वीर भर यह समझने के लिए काफी है कि आखिर इस आजादी के अमृत वर्ष में हमारे जिले के गांव विकास की कितनी यात्रा कर अभी कहां तक पहुंच पाए है। इन तस्वीरों से यह भी अनुमान लगाया जा सकता है की इन गांवों में विकास की किरण पहुंचने में शायद अभी कुछ सौ साल और लग जायेगे यदि प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था इसी तरह बनी रही।
चार माह दिन रात संकट का सामना
बरसात के चार माह लोगों को अपने ही घर आने जाने में भारी समस्या का सामना करना पड़ता है। बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों को उपचार के लिए ले जाना कठिन हो जाता है। वहीं पूरी बरसात कोई भी शासकीय अमला इस टोले तक नहीं पहुंचता जिससे यहां के निवासियों को और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्कूल कॉलेज जाने वाले बच्चे लगभग आधा किमी हाथ में जूते चप्पल लेकर नंगे पैर आने जाने को मजबूर है। जिनके लोगों के पास आवागमन के लिए वाहन है वो बरसात भर बितनपुर में दूसरों के घर पर अपने वाहन खड़े करते है क्योंकि गांव तक वाहनों का आना संभव नहीं है। रात में कहीं जाना या कहीं बाहर से वापस लौटने पर अपने घर पहुंचना बहुत बड़ी चुनौती है और यह संकट आज का नहीं है इसे इस बहेरा टोला के लोग लगातार सालों से झेल रहे है। इस दौर में कई सरकार बदली, जिला, जनपद और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि बदले सैकड़ों छोटे बड़े शासकीय कर्मचारी और अधिकारी बदले अगर कुछ नहीं बदला तो सिर्फ इस गांव की दुर्दशा और विकास के नाम पर चल रहा सरकारी धोखा! जो बड़े बड़े पोस्टरों, टीवी और मीडिया पर दिखाया जाता है करोड़ों रुपए खर्च करके।
इस मोहल्ले के लोगों को मटेरियल लाना, फसल, खाद बीज लाने के जाना भी बरसात में संभव नहीं हो पाता। गर्भवती महिलाओं, बीमार और बुजुर्गो के लिए तो इस मार्ग से गुजरना दिन में भी कठिन है।
तस्वीर की आवाज
इस गांव के पहुंच मार्ग की पैरो से कुचली हुई तस्वीर को गौर से देखने पर सालों से जिले की नकारा प्रशासनिक व्यवस्था, भ्रष्ट अमला, बिकाऊ जनप्रतिनिधि और अपने हक की आवाज न उठाने वाले समाज की तस्वीर उजागर होती है। बितनपुर का बहेरा टोला आदिवासी बहुल जिले का वैसा ही आम गांव जहां के कई लोग चुनकर नेता बन गए। विधायक सांसद, मंत्री – मिनिस्टर, प्रदेश और राष्ट्रीयस्तर के नेता बन गए और उनके आसपास विकास का चरम साफ दिखाई देता है चमचमाती गाडियां, बंगले, भोपाल दिल्ली तक पहुंच, उनके सामने सिर झुकाए खड़े अधिकारी दिखाई देते है पर यह सारी चकाचौंध शायद सिर्फ उनके निजी उपयोग के लिए सुरक्षित है। जनता के लिए नहीं तभी जिले के गांवों की तस्वीर नहीं बदली ऐसे दर्जनों गांव जिले ने अब भी है जहां बरसात के चार माह लोग इसी तरह संकट झेलने की मजबूर है और इनकी समस्या के समाधान की शुरुआत तक नहीं हो सकी आजादी के 75 सालों में इससे अधिक शर्मनाक स्थिति क्या होगी!!