सेंट एंजिल पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर पर छात्रा को प्रताड़ित किए जाने के आरोप, छात्रा ने छोड़ दी पढ़ाई
कोतवाली में की गई शिकायत
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 18 सितंबर 2022, जिला मुख्यालय की एक निजी शिक्षण संस्था पर फीस नहीं चुकाए जाने के कारण, ग्यारहवीं कक्षा की एक छात्रा को सार्वजनिक रूप से अपमानित किए जाने और परीक्षा से बंचित किए जाने के आरोप अभिभावकों ने लगाए है। अभिभावकों के अनुसार स्कूल प्रबन्धन के द्वारा बार बार प्रताड़ित किए जाने और परीक्षा में शामिल नहीं होने देने से छात्रा की मानसिक स्थिति बिगड़ गई है। खुद को अपमानित महसूस करने के कारण उसने अपने आपको कमरे में बन्द कर लिया है और खाना पीना त्याग दिया है।
लिखित शिकायत में बताया गया है कि घटना 15 सितंबर की है सेंट एंजिल पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर आशीष चौहान ने फीस जमा ना करने पर छात्रा को परीक्षा से वंचित कर दिया है। जिससे छात्रा का भविष्य अंधकार में है, उसे बार बार सार्वजनिक तौर पर फीस के लिए प्रताड़ित किए जाने का भी आरोप लगाया है। मामले की शिकायत डिंडोरी कोतवाली में की गई है। पुलिस मामले की विवेचना के उपरांत कार्यवाही करने की बात कह रही है।
छात्रा ने पढ़ाई छोड़ दी, स्कूल से कटी टीसी
पुलिस की विवेचना अभी चल रही है, जिसमें किसी कार्यवाही की संभावना फिलहाल नहीं नज़र आ रही है। अभिभावकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्कूल संचालक द्वारा सार्वजनिक रूप से फीस के लिए अपमानित किए जाने से प्रताड़ित उक्त छात्रा अब स्कूल जाने और पढ़ाई करने के लिए किसी भी तरह से तैयार नहीं है। छात्रा की मानसिक स्थिति बिगड़ने के बाद अभिभावकों ने बकाया शुल्क चुका कर सेंट एंजिल स्कूल से उसकी टीसी निकलवा ली गई है। पुलिस और शिक्षा विभाग की कोई कार्यवाही स्कूल संचालक के खिलाफ अब तक नहीं हुई है जबकि मानसिक प्रताड़ना की शिकार बच्ची ने कक्षा 11 वी आकर पढ़ाई छोड़ दी है और शिक्षा विभाग जो प्रदेश शासन के विशेष निर्देश पर अप्रवेशी छात्रों के एडमिशन के लिए बाकायदा अभियान चलता है। वह एक निजी संस्था के आगे घुटने टेके नज़र आ रहा है। यह आदिवासी बहुत जिले की व्यवस्थाओं का नमूना है। जहां निजी संस्थाओं की मनमानी शासन के निर्देशों और नियमों पर भारी है।
शिक्षा विभाग का संस्थाओं को खुला संरक्षण
जिले में निजी शिक्षण संस्थाएं पूरी तरह निरंकुश है और मनमानी कर अभिभावकों और छात्रों का शोषण किए जाने के कई मामले सामने आ चुके है। पिछले दिनों भी इसी तरह का एक मामला चर्चा में था जिसमें स्कूल संचालक द्वारा बेरहमी से छात्रों से मारपीट की गई थी, किन्तु बच्चों के भविष्य और स्कूल प्रबन्धन के दबाव के चलते मामला दब गया था। जहां एक ओर प्रदेश सरकार छात्राओं की शिक्षा के लिए पूरी तरह से संकल्पित बताते हुए विशेष प्रयास किए जाने की बात कर रही है। वहीं जिले में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने निजी संस्थाओं को मनमानी करने की पूरी छूट दे रखी है। निजी संस्था किसी भी स्थिति में किसी विद्यार्थी को परीक्षा में बैठने से बंचित नहीं कर सकती है। किन्तु जिले में सब कुछ संभव है। फीस के लिए बच्चों को सार्वजनिक तौर पर अपमानित किए जाने और परीक्षा से बंचित करने पर विभाग को संबंधित संस्था के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करनी चाहिए, ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। किन्तु विभाग के अधिकारी केवल संस्थाओं का पक्ष सुनने है अभिभावकों और छात्रों से उन्हें कोई वास्ता नहीं है। निजी संस्थाओं की मनमानी फीस, कॉपी, किताबे और यूनिफार्म संस्थाओं द्वारा स्वयं बेची जा रही है या फिर दुकानें निर्धारित की गई है, जो नियम विरूद्ध है। किन्तु विभाग के अधिकारी इससे अनजान बने बैठे है। कुछ संस्थाएं तो अभिभावको पर दबाव बनाकर संस्था के वाहनों से ही बच्चों को आने के लिए बाध्य करती है और मनमाना पैसा वसूला कर रही है, फिर भी अभिभावक मजबूर है क्योंकि शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई भी कार्यवाही निजी संस्थाओं के विरूद्ध करना ही नहीं चाहते अधिकारियों के संरक्षण के चलते जिले में निजी शैक्षणिक संस्थाएं मनमानी कर रही है और अभिभावक सब कुछ झेलने को मजबूर है।