
पंचायत चुनाव पर “मटेरियल सप्लायर्स” की नजर
पंचायत चुनाव पर हावी माफिया
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 20 दिसंबर 2021, जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं जहां जिला और जनपद पंचायत में नाम निर्देशन पत्र भरने वालों में राजनीति में सक्रिय तमाम लोग सहभागिता के लिए उत्साहित दिख रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पंचायती राज में व्याप्त भारी-भरकम भ्रष्टाचार और सप्लायरओ द्वारा फर्जी बिलों के माध्यम से लाखों रुपए के आहरण किए जाने के चलते अब पंचायत चुनाव में हर तरफ मैटेरियल सप्लायरों की नजर लगी हुई है। अधिकतर पंचायतों में मटेरियल सप्लायर खुद, अपने परिजन अथवा सहयोगियों को पंच और सरपंच की कुर्सी पर बैठना चाह रहे हैं। वही जनपद पंचायत में भी तमाम मेटेरियल सप्लायर या तो खुद चुनाव लड़ रहे हैं या अपने किसी परिजन को जनपद में पहुंचा कर आने वाले समय में पंचायतों की राशि हड़पने के लिए अभी से तैयारी कर चले हैं। कुल मिलाकर देखा जा रहा है कि पंचायती राज व्यवस्था में अब जनप्रतिनिधियों और राजनीति में सक्रिय लोगों से अधिक बोलवाला भ्रष्टाचार का मंसूबा रखने वाले मैटेरियल सप्लायरों का है। जो फर्जी बिलों के नाम पर पंचायतों की मोटी राशि हड़प चुके हैं और अब इसी धनबल पर ग्राम पंचायत, जनपद और जिला पंचायत में कहीं ना कहीं अपने को खुद स्थापित कर आने वाले समय में खुलकर भ्रष्टाचार की तैयारी कर रहे हैं। जिसके चलते आगामी पंचायत चुनावों में इन माफियाओं के द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए भारी-भरकम पैसे का उपयोग कर मतों की खरीद-फरोख्त किए जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
चुनाव अधिकारियों, रिटर्निंग अधिकारी एवं जिले के प्रेक्षक महोदय को इन माफिया उम्मीदवारों की करतूतों पर विशेष नजर रखनी होगी ताकि पंचायत चुनाव में जनप्रतिनिधियों का चुनाव हो सके और माफिया हावी ना हो पाए, धनबल से ये सफल न हो सके।
वहीं आमजन को आगामी चुनाव में मतदान करने के पहले इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि सरकार पंचायती राज व्यवस्था और पंचायत के चुनाव क्षेत्रवासियों के प्रतिनिधियों के चयन के लिए करवा रही है। जिसमे मटेरियल सप्लायर और माफियाओं को न चुना जावे। ये जनता की समस्याओं के हल और विकास के लिए नहीं बल्कि फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार करने के लिए मैदान में है, ऐसे तत्वों को सिर्फ आमजनता और मतदाता ही सबक दे सकती है। पंचायती राज में व्याप्त भ्रष्टाचार अब ही सिर से ऊपर है और यदि इसमें माफियाओं को प्रतिनिधित्व मिल जाता है तब स्थितियां क्या होगी यह साफ है। पंचायती राज व्यवस्था को यदि ग्राम विकास और जनप्रतिनिधित्व की भूमिका बचाए रखना है तो मतदाता को इन कथित माफियाओं और इनके लोगों से बचना होगा तथा अच्छी छवि वाले ईमानदार क्षेत्र के लोगों के लिए संघर्ष करने वाले सक्षम उम्मीदवारों का चुनाव करना होगा अन्यथा आगामी पंचवर्षीय भ्रष्टाचार की बलि चढ़ने से कोई नहीं बचा पाएगा…….