डिंडोरी जिले की शराब दुकाने नहीं खुलेगी, ठेकेदार ठेका सरेंडर करने की तैयारी में
जिला प्रशासन को पत्र लिखकर दुकान न खोलने का किया अनुरोध
लॉक डॉउन के चलते कारोबार संभव नहीं
डिंडोरी, जनपथ टुडे, 5 मई 2020, कोरोना इफेक्ट की पहली बड़ी प्रतिक्रिया जो कोरोना और लॉक डाउन का अर्थव्यवस्था पर अपना असर दिखाती नज़र आ रही है। खबर है कि जिले के आबकारी ठेकेदार आशीष जायसवाल ने जिला कलेक्टर को पत्र लिख कर अनुरोध किया कि वे लॉक डाउन के चलते शराब की दुकाने खोलने का आदेश जारी न करें।
जानकारी देते हेतु जिले के आबकारी ठेकेदार आशीष जायसवाल ने बताया कि 19 फरवरी को उनके द्वारा जिले की चार अंग्रेजी शराब दुकान व एक देशी शराब दुकान को गत वर्ष से 25% राशि बढाकर ले ली गई थी, जिसमें गाड़ासरई, करंजिया, समनापुर, शहपुरा अंग्रेजी शराब की दुकान व शहपुरा की देशी शराब का ठेका लिया गया था और अमानत राशि 2.50 करोड़ रुपये और उसके अलावा 1.25 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्रवधानअनुसार जमा कर दी गई दी गई थी उस समय कोरोना जैसी कोई स्थिति प्रदेश में नही थी किन्तु उसके बाद से ही नया सत्र शुरू होने के पहले ही लॉक डाउन के चलते शराब दुकानें बंद हो गई और इस स्थिति को देखते हुए जब लोग घरों से निकल नहीं पा रहे हैं साथ ही लोगों की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ चुकी है तब डिंडोरी जैसे गरीब आदिवासी बहुल जिले में शराब की बिक्री पर 90 फ़ीसदी तक असर पड़ेगा और ऐसे में सरकार द्वारा निर्धारित निविदा राशि जो कि डिंडोरी जिले में प्रतिदिन लगभग ₹670000 होती है उसे चुकाना ठेकेदार के लिए बिल्कुल भी संभव नहीं है।
इस वास्तविकता की जानकारी देते हुए ठेकेदार आशीष जायसवाल ने जिला कलेक्टर को पहले से ही पत्र पांच पत्र लिखें कि उनके द्वारा शराब दुकानों को संचालित करना संभव अब की स्थिति में लॉक डॉउन के चलते संभव नहीं है। किंतु जिला कलेक्टर द्वारा राज्य शासन के आदेश अनुसार 4 मई को शराब दुकान खोलने के आदेश दे दिए गए और जिले में लॉक डाउन है लोगों को घर से निकलने की अनुमति मात्र सुबह 8:00 से 1:00 बजे तक है, इस समय पर लोग अपने जरूरी कार्य करने निकलेंगे और उसने सीमित समय तक शराब दुकानों द्वारा इतनी बिक्री भी नहीं हो सकती कि 10% भी कारोबार संभव हो। तब ठेकेदार द्वारा राजस्व की पूर्ति करना असंभव है।
किंतु सरकार को इन सब वास्तविकताओं से कोई लेना देना नहीं है और सरकार केवल दुकान खोलने का आदेश जारी करके अपना राजस्व वसूलने का प्रयास शुरू कर के ठेकेदारों की गर्दन फंसा रही है। उन्होंने आगे बताया कि लगभग प्रदेश भर में यही स्थिति है और अधिकतर पिछड़े और गरीब जिलों में आबकारी ठेकेदारों द्वारा दुकानें खोलने की हिम्मत नहीं जुटाई जा पा रही है, किंतु शासन द्वारा दबाव देकर दुकानें खुलवा कर अपना राजस्व वसूलने की तैयारी की जा रही।
कल तक जो सुराप्रेमी सरकार के निर्णय से खुश थे आज उन्हें ठेकेदार के निर्णय से निराशा हो सकती है किंतु आबकारी ठेकेदार चौपट हो चुकी अर्थव्यवस्था में खुद के ऊपर पहले से ही बड़े कर्ज के बोझ के साथ ही आगे सरकार को राजस्व चुकाने की स्थिति में नहीं है, इस विषम परिस्थिति के चलते पहले ही ठेकेदार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है और अब उनके सामने दुकान खोलने का आदेश और भी बड़ा संकट खड़ा कर रहा है, जिसके चलते उन्होंने जिले का शराब ठेका सरेंडर करने हेतु प्रशासन को पत्र भी लिखा है किन्तु अब तक प्रशासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है,और ठेकेदार भी दुकान खोलने किसी भी स्थिति में सहमत नहीं है।