नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम में 19 लाट अमानक स्तर का चावल रिजेक्ट किया गया
मंडला से आई जांच टीम ने रिजेक्ट किया चावल
जनपथ टुडे, मई 14, 2020, कोरोना संक्रमण के चलते लागू किए गए लॉक डॉउन के बाद काम और कारोबार पर लगी रोक से प्रभावित हो रहे गरीब, मजदूर और प्रवासी मजदूरों और जरूरतमंदो के लिए सरकार ने खाद्यान्न की कमी न आए इसके चलते सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को सुचारू रूप से चालू किया गया और गरीबों को परेशानी न हो इसके लिए भरपूर आनाज के वितरण की व्यवस्था की गई, जिसके चलते तमाम नियमों को प्रशासन ने शिथिल कर दिया ताकि लोगों को परेशानी न हो और गोदाम में कमी के चलते दूसरे जिलों से भी चावल मंगाया गया और जिले कि बंद पड़ी राइस मिलो को भी आनन फानन में शुरू करवाया गया और बिना अमानत राशि के ही धान मिलरो को दी गई साथ ही गुणवत्ता की पड़ताल के बजाय चावल मिलो और दूसरे जिलों से सीधे दुकानों पर भेजे जाने की छूट तक दे दी गई, जिससे आमलोग परेशानी का सामना न करे।
घटिया चावल की आपूर्ति को लेकर शिकायतों के चलते, नागरिक आपूर्ति निगम को जांच के आदेश जारी किए गए और कल मण्डला से नान विभाग के गुणवत्ता नियंत्रक के द्वारा डिंडोरी की राईस मिलों से आये चावल की बारीकी से जांच की गई तो जांच के दौरान तीन राईस मिलों के 19 लाट चावल को अमानक पाया गया है जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी है जिसके चलते नियमानुसार मिल संचालकों को अमानक चावल गोदाम से मिल ले जाना होगा और फिर वहां से पुनः मानकों के अनुरूप चावल वापस गोदाम में पहुंचाना होगा और इसकी पूर्ति किए जाने के बाद ही उन्हें मिलिग हेतु आगे धान प्रदान की जावेगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अमानक पाए गए चावल में 12 लाट मा नर्मदा राइस मिल डिंडोरी, 6 लाट भारत राइस मिल शाहपुर और 1 लाट एक अन्य राइस मिलर का पाया गया है।
परिवहनकर्ताओं ने भी मौके का उठाया जम कर लाभ, अधिकारियों की साठगांठ से सरकार को लगाया चूना
इस विषम समय का भी लोगो ने फायदा उठाना नहीं छोड़ा घटिया और गुणवत्ता विहीन चावल मौके का फायदा उठा कर दुकानों तक पहुंचा दिया गया वहीं परिवहनकर्ताओं ने भी दूसरे जिलों से माल लाकर बिना तौल के, किसी जांच के बिना वहीं चावल दुकानों पर उतार दिया और भाड़ा गोदाम तक और फिर गोदाम से दुकान तक का विभाग से वसूला जाएगा। इसी तरह राइस मिलरो को भी गोदाम से मिल और फिर मिल से गोदाम तक का भाड़ा तो सरकार से मिलेगा पर चावल बिना किसी तौल के और जांच के करीब की दुकानों पर भेज दिया गया, दूसरी ओर पी डी एस करने वाले परिवहनकर्ता को भी परिवहन का भुगतान किया जाएगा साथ ही खुले आम ओवरलोडिंग भी जारी है जो एक बड़ा मुद्दा है पर इसकी अनदेखी की जाती रही है। कुल मिला कर सरकार के इन प्रयासों से गरीब जन को लाभ हुआ हो या न हुआ हो पर इसके चलते नियमो में शिथिलता के चलते चांदी तो मिलरो और परिवहनकर्ताओं की हो गई और इनको आंख मूंद कर पूरा सहयोग करने वाले विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने भी मुफ्त में सारा तमाशा नहीं देखा होगा, ये संभव नहीं है क्योंकि इस तरह सरकारी धन के हो रहे बंदरबाट की “मास्टर की” तो आखिर विभाग के अफसरों के ही हाथ में है।
गौरतलब है कि इस तरह की गंभीर शिकायतें लगातार आतीं रही है लेकिन माफियाओं व भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत और सांठगांठ से सब बेरोकटोक जारी रहा, जनशिकायत को कभी भी गंभीरता से लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद होते चले गए और विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया।
इसी तरह अधिक दूरी दर्शाकर भी अधिक भाड़ा मिल मालिक लेते रहे है जो कि जानकर की गई धोखाधड़ी थी फिर भी चर्चा है की मात्र उसकी वसूली विभाग द्वारा की जा रही है जबकि इस जानबूझकर किए गए कारनामे में सुनियोजित साजिश जाहिर है।
पल्लेदारों की मेहनत पर भी डाला गया डाका
विगत दिनों विभाग के गोदाम पर पल्लेदारों ने कम मजदूरी देने के चलते हड़ताल कर दी थी उनके द्वारा परिवहनकर्ताओं और मिलरो द्वारा किए जा रहे शोषण के चलते काम बंद कर दिया गया था। धान उपार्जन में हम्माली की राशि जो लाखों रुपए की होती है उसको परिवहनकर्ताओं को ग़लत तरीके से नियम विरूद्ध दे कर कमीशनखोरी करवाए जाने का बड़ा मामला उजागर होने के बाद भी उसके दस्तावेज विभाग में वर्षों से पदस्त अधिकारी दबाए बैठे है इस मामले की जांच कर दोषियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही किया जाना आवश्यक है किन्तु विभाग में बैठे कुछ जवाबदार लोगों की संलिप्तता सबको संरक्षण दे रही है।
वाहन चालकों की रईसी भी है चर्चा में
नागरिक आपूर्ति निगम में पदस्थ वाहन चालक बर्षो से न केवल गोदामों के प्रभारी बने बैठे है बल्कि नागरिक आपूर्ति निगम से संबंधित कारोबारो में परिजनों के नाम से व्यवसाय भी कर रहे। सूत्र बताते है एक अघोषित रूप से परिवहन के कार्य में लिप्त है और दूसरे ने वारदाने की छपाई, धागा और टैग,सिलाई की सामग्री का कारोबार गोदाम में पदस्थ होने के दबाव के चलते जमा रखा है और इनकी लबी चौड़ी संपत्ति और आलीशान मकानों की जिले में चर्चा है इनके द्वारा अपने पद का लाभ उठाते हुए अनावश्यक लाभ लिया जा रहा है जबकि नियमानुसार शासकीय कर्मियों के परिजन उनकी पदस्थापना वाले विभाग की कारोबारी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते है।