तेन्दुमेर पंचायत के सचिव खुलेआम कर रहा वित्तीय अनिमित्ता, भ्रष्टाचार को जिले में मिल रहा संरक्षण
अपने पद का लाभ परिजनों और चहेतों के दे रहे सरपंच सचिव
जनपथ टुडे, 23 सितंबर 2020,ग्राम पंचायत तेंदू मेर मोहतरा में संदीप किराना&जनरल स्टोर के नाम बिल लगाकर किया शौचालय का पेमेंट सचिव ने अपने ही भाई की फर्म में किये 12000 हजार की राशि का भुगतान किया वही ग्राम के लोगों ने बताया कि रोजगार गारंटी के गली प्लग के कार्य में मजदूरों द्वारा आस पास के पत्थर उठा कर कार्य में उपयोग किए है और सचिव राजाराम साहू ने शाहपुर की अपने ही भाई की फर्म के नाम लगभग एक लाख रुपए का भुगतान कर दिया। ढुलाई और मटेरियल का भुगतान जिस फर्म के नाम से किया जाना दिखाया जा रहा है वह बिल में किराना दुकान है और वास्तव में भी किराने की दुकान बताई जाती है जिसको सचिव द्वारा मटेरियल का भुगतान किया गया है। फर्म का न तो gst क्रमांक कहीं है न इसकी जानकारी फर्म के संचालक को है और सचिव से जब हमने इसकी जानकारी मांगी तो वो उल्टा जवाब देते है कि फर्म की जानकारी जनपद पंचायत से पूछो! जानकारी के अनुसार सचिव ने अपने भाई की इस फर्म को आठ लाख साठ हजार रुपए का भुगतान मनरेगा के कार्यों की सामग्री के नाम पर किया है, भुगतान पंचायत ने किया चैक सचिव ने काटा फर्म के लिए और जानकारी जनपद पंचायत देगी? कुल मिला कर जानबूझ कर की गई गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के बाद भी सचिव जानकारी देने के बजाय चुनौती दे रहा है कि जनपद से भी उनका कुछ नहीं हो सकता है।
सच भी है डिंडोरी जनपद भले जिला मुख्यालय की जनपद पंचायत है पर इसकी शायद ही कोई पंचायत ऐसी हो जिसमें खुले तौर पर वित्तीय अनियमितता और घोटालों की शिकायत नहीं हो पर सीईओ की कार्यप्रणाली और जांच प्रक्रिया से अब तक किसी को प्रभावित होते नहीं देखा गया। जांच के बाद भी प्रमाणित शिकायतों पर भी कोई कार्यवाही होती नहीं दिखाई देती जिससे लगता तो यही है कि भ्रष्ट सरपंच और सचिवों को यहां से खुला संरक्षण मिल रहा है जिसके चलते खुला भ्रष्टाचार जनपद की पंचायतों में व्याप्त है और प्रति वर्ष करोड़ों रुपए की शासकीय राशि का पंचायतों के द्वारा खुला दुरुपयोग हो रहा है और उस पर नियंत्रण करने में सीईओ की कार्यप्रणाली अब तक अक्षम नजर आ रही है, जिसके चलते पूरे जनपद क्षेत्र में गड़बड़ी और घोटाले करना परम्परा सी बन चुकी है।
औरई पंचायत में सालों पहले पंचायत ने आवास टोला तक सीसी मार्ग निर्माण की राशि आहरित कर ली और आज तक काम ही शुरू नहीं हुआ। ख़बरें चली पर जनपद मौन बैठी रही, आखिर क्यों? आमजन सीईओ और जनपद की चुप्पी और कार्यवाही की वजह जानना चाहती है। एक सरपंच महोदया के बेटे और भाई की फर्म के नाम से करोड़ों की सामग्री आपूर्ति दिखा कर भुगतान ले लिया गया, एक पंचायत में शौचालय निर्माण का कई लाख रुपए का भुगतान सरपंच के पति के खाते में डाला गया। एक सरपंच के ससुर के खाते में मेटरियल भुगतान की लाखों की राशि का भुगतान होने की जानकारी है और अपनों के नाम पर भुगतान के पीछे साफ तौर पर केवल एक ही कारण है की ये लोग चुपचाप शासकीय राशि का बनदरबाट कर रहे है।
यदि ये करोड़ों रुपए की आपूर्ति करनी वाली वास्तविक फर्मे होती तो ये केवल अपने करीबियों के वर्चस्व वाली पंचायतों में ही सप्लाई क्यों करती? व्यापार ही करना है तो आस पास की अन्य पंचायतों को भी सामग्री की आपूर्ति करती। ग्रामीण चिल्ला चिल्ला कर पंचायतों में हो रहे भ्रसचर की शिकायते करते है और जनपद के अक्षम अधिकारी आंख, कान और मुंह बंद किए बैठे रहते है यही कारण है कि अब लोग इन भ्रष्टाचार के मामलों में जनपद तक के अधिकारियों पर खुले तौर पर आरोप लगा रहे है और जिला पंचायत पर गड़बड़ियों को संरक्षण दिए जाने की बात हर आदमी की जुवान पर है फिर भी बेशर्मी का चोला ओढ़े जिम्मेदार मुंह छिपाए बैठे है, हद तो है जिले में भ्रष्टाचार की गंगा बहने के पीछे सबसे अधिक दोषी वहीं है जिनके परिवार सरकार के पैसे पर पल रहे है और शासन ने उन्हें निगरानी का जिम्मा सौंपा है वहीं अपने पद का लाभ अपनों को नियम विरूद्ध दे के नियमो की अवहेलना खुले आम कर रहे है।