नगरीय निकाय चुनाव की ऊहापोह, तय नहीं हो पा रहे भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार
भाजपा – कांग्रेस, दावेदारों में दिखने लगा असंतोष
पार्टियों की नहीं कोई पारदर्शी नीति, जुमला बना “जिताऊ उम्मीदवार”
(जनपथ टुडे , डिंडोरी, 7 सितंबर 2022)
डिंडोरी – शहपुरा नगर परिषद चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद से निकाय चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा और कांग्रेस में दावेदारी को लेकर खींचतान मची हुई है। जहां पूर्व पार्षदों के टिकट काटे जाने की चर्चा है वहीं पैराशूट लॉचिंग कर लोगों को बड़े अवसर दिए जाने को लेकर भी बवाल मच रहा है। आरक्षण के चलते अन्य वार्डो में उम्मीदवार जोर आजमाइश कर रहे है। इस बार स्थानीय निकाय चुनाव में डिंडोरी नगर परिषद में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और आप पार्टी भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने की तैयारी में है। किन्तु अब तक उन्होंने भी अपनी सूची फाइनल नहीं की है। ये दल भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के आधार पर अपनी रणनीति तय कर सकते है। भाजपा और कांग्रेस ने फिलहाल पार्षदों के टिकटों की घोषणा नहीं की है किन्तु संभावित उम्मीदवारों को लेकर अन्य दावेदारों में नाराजगी दिखाई देने लगी है। पार्टियां, कुछ पहले चुनाव हार चुके उम्मीदवार को मौका दे रही है तो किसी पार्षद का टिकट काट रही है। किसी को अन्य वार्ड से टिकट नहीं दिया जा रहा है तो कही किसी को भी किसी भी वार्ड से मौका देने पर विचार चल रहा है। किसी परिवार के एक से अधिक लोग दावेदारी कर रहे है तो किसी को एक भी मौका नहीं मिल पा रहा है जिससे भारी असंतोष दिखाई दे रहा है। कोई भी पार्टी किसी पारदर्शी नीति को लेकर टिकट वितरण को अंजाम नहीं दे रही है जिसके पीछे उनका एक मात्र हथियार बन जाता है “जिताऊ उम्मीदवार” । हालाकि इस चुनाव में जिताऊ और बिकाऊ को लेकर अलग ही एक अध्याय पर चर्चा जारी है, अध्यक्ष पद के लिए मालदार दावेदार की अपनी अपनी तलाश है जिनके लिए कोई पैरामीटर नहीं होगा! वहीं गुटबाजी का असर भी टिकट वितरण में बड़ा आधार है और खेमेबाजी का असर ज़रूर दिखाई देगा।
पार्टियां वार्डो में प्रत्याशी तय करने के पहले बैठक और सर्वे की बात भी कर रही है। कई दावेदार तो थक चुके है और अब सिर्फ टिकट घोषित होने का इंतजार कर रहे है, इसके बाद खुलकर बगावत की जाए या भितरघात किया जाए यह तय किया जाएगा इस संभावना से नकारा नहीं जा सकता। डिंडोरी नगर परिषद के वार्ड क्रमांक 4, 5, 6, 8, 9 और 10 पर खास तौर पर लोगों की नज़रें है। इस बीच कुछ प्रत्याशी तो दो तीन बार पार्टी भी बदल चुके है और आगे वे किस दल के प्रत्याशी होगे यह तो समय बताएगा। कुछ पुराने पार्टी कार्यकर्ता बेहद दुखी और पार्टी से नाराज़ है वहीं कुछ नवसिखिए अपने आकाओं की कृपा से खुश है। बहुत जल्दी भाजपा और कांग्रेस पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी करेगी जिसके बाद चुनाव का असली खेल शुरू होगा, फिलहाल दोनों ही दलों में दावेदारों के बीच असंतोष दिखाई दे रहा है। हर वार्ड से एक से अधिक उम्मीदवार होने से पार्टियों के सामने भी संकट है पर दावेदार अभी से भेदभाव किए जाने के आरोप अपने नेताओं पर लगाने लगे है।
कब्र खोदकर निकलते पुराने कार्यकर्ता
पार्षद के टिकट को लेकर कुछ उमीदवार तो पार्टी से पुराना जुड़ाव होने की बात कहकर वर्षों बाद पार्टी कार्यालय पहुंचे और अपनी दावेदार पेश की। जबकि कई सालों से ऐसे लोग निष्क्रिय रहे और कभी किसी पार्टी की बैठक, आयोजन और आंदोलन में दिखाई नहीं देते पर फिलहाल उनका तर्क है कि वे बहुत पुराने पार्टी कार्यकर्ता है। हालाकि ऐसे भी कुछ चेहरे उपकृत हो सकते है और रोज पार्टियों के झंडा डंडा लेकर घूमने वाले भी उपेक्षित रह जाए तो कोई बड़ी बात नहीं। क्योंकि अब नीति रीति से राजनीति का समय रहा नहीं और चुनाव में असंतोष को रोका जाना किसी भी तरह संभव नहीं है। लोग पार्टी और विचारधारा के चलते राजनीति नहीं करते बल्कि राजनीति आज के दौर में निजी फायदे के लिए की जाती है और जिसका स्वार्थ नहीं सधा वो बागी…., ऐसे ही कुछ जाने पहचाने चेहरे और नामी गिरामी नाम इस चुनाव में भी बगावत कर सकते है भीतरखाने में इसकी सुगबुगाहट भी तेज है।