बाहरी जिलों से आए घटिया चावल को जिले में खपाने की थी कोशिश

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जांच में चावल अमानक होने की रिपोर्ट अधिकारियों को दी जाती रही

जिला प्रबन्धक ने केंद्र प्रभारी की रिपोर्ट की क्यों की अनदेखी


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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 23 मार्च 2021, जिले में नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा घटिया और गुणवत्ताहीन चावल को वितरित किए जाने के मामले में जहां विभाग द्वारा जानबूझ कर गुणवत्ताहीन चावल का वितरण किए जाने की जानकारी का खुलासा हो रहा है वहीं अब इस मामले को लेकर नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक की मनमानी भी सामने आ रही है।

गुणवत्ता निरीक्षक चावल तय मानक का नहीं होने की रिपोर्ट देते रहे

मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कारपोरेशन लिमिटेड के जिला प्रबंधक की कार्यप्रणाली को लेकर गुणवत्ताहीन चावल वितरण के मामले में सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बात की जानकारी सूत्रों से प्राप्त हो रही है कि जिला मुख्यालय स्थित निगवानी गोदाम के केंद्र प्रभारी और गुणवत्ता निरीक्षक के के शिंदे द्वारा लगातार पत्र लिखकर बाहरी जिलों से आ रहे चावल की गुणवत्ता से जिला प्रबंधक को अवगत करवाया जाता रहा है। फिर भी जिला प्रबंधक ने इसको रोकने की कार्यवाही करने के बजाय यह चावल गोदाम में आने से न तो रोका और न ही इसे दुकानों में वितरण हेतु भेजने से रोकने की कार्यवाही की गई। गौरतलब है कि 7500,0क्विंटल चावल बाहरी जिलों से डिंडोरी जिले में वितरण हेतु आया जिसमें कुछ दुकानों को आवंटित भी किया गया। चावल गुणवत्ताहीन पाए जाने के बाद वापस गोदाम में लाया गया और शोर मचने के बाद अधिकारियों ने 5 स्टेग के वितरण पर रोक लगा दी। मंडला मनेरी बालाघाट व शहडोल जिलों में आ रहे चावल की गुणवत्ता को लेकर केंद्र प्रभारी निगवानी गोदाम द्वारा जिला प्रबंधक को रिपोर्ट देते हुए 8 मार्च को बालाघाट से आ रहे चावल के 36.6% जबलपुर के चावल में 31.2% मंडला के चावल में 27.8% टोटा व जबलपुर व शहडोल के चावल में बदरंग दाने व तय सीमा से अधिक ब्रोकन की मात्रा पाई गई थी। 9 मार्च को केंद्र प्रभारी निगवानी गोदाम ने जिला प्रबंधक को दी रिपोर्ट में मंडला मनेरी व बालाघाट जिले से प्राप्त चावल की गुणवत्ता प्रथम दृष्टया अमानक परिलक्षित होना बताया था। 9 मार्च को संभाग के अन्य जिलों से प्राप्त चावल की रिपोर्ट देते हुए केंद्र प्रभारी ने टीप लिखी थी कि चावल रिसाइकल है, चावल की डेड इंसेट पाए गए हैं। चावल में लोमश फॉरमेशन (गुच्छे/बंच) अधिक मात्रा में बोरो के भीतर पाया गया है। इसी क्रम में 16 मार्च को शहडोल से आए चावल की रिपोर्ट देते हुए केंद्र प्रभारी ने प्रबंधक को टीप में लिखा था कि चावल को अपग्रेड कराकर वितरण किया जाना उचित होगा। 18 मार्च को केंद्र प्रभारी ने पत्र में लिखकर भुगतान के पूर्व उनकी परीक्षण रिपोर्ट पर गौर करने और सुपर चेक अधिकारी से चावल चेक करवा कर भुगतान करने के लिए भी पत्र में लिखा गया था।


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निगवानी गोदाम के केंद्र प्रभारी के लगातार सचेत करने के बाद भी जिला प्रबंधक द्वारा इस चावल का आवंटन उचित मूल्य की दुकानों पर किया गया और फिर इस चावल का वितरण होने पर मचे शोर-शराबे के बाद ग्राम केवलारी और रेपुरा से लगभग 17 क्विंटल चावल वापस गोदाम में लाया गया वहीं 5 स्टेग चावल के वितरण को प्रतिबंधित भी कर दिया गया है। सवाल यहां यह है कि अपने विभाग के गुणवत्ता निरीक्षक की रिपोर्ट को न मानते हुए आखिर जिला प्रबंधक ने बाहर से आए चावल को दुकानों तक कैसे भेज दिया। इस पूरे मामले में अब प्रशासन और विभाग द्वारा घटिया चावल के वितरण किए जाने पर क्या कार्यवाही की जावेगी?

जिला प्रबन्धक के मंडला में रहते केंद्र की टीम ने जांच में पाया था अमानक चावल

बताया जाता है कि वर्तमान में डिंडोरी में पदस्थ जिला प्रबन्धक के मंडला में पदस्थ रहते हुए ही गतवर्ष दिल्ली की टीम ने मंडला जिले में बड़ी मात्रा में अमानक चावल पाया था और अब मंडला से आने वाले चावल को उनके द्वारा आंख बंद कर गुणवत्ता निरीक्षक के सचेत किए जाने के बाद भी जिले में खपाने की कोशिश की जा रही है। इसके पीछे कारण क्या हो सकता है? यह जांच का विषय है। जिले के राइस मिल संचालकों से जिस तरह की जांच कर विभाग चावल लेता है उससे आखिर बाहर के जिले से आने वाले चावल की गुणवत्ता से समझौता क्यों किया गया, इसके पीछे क्या कारण है इसकी जांच होना जरूरी है।

मामले में दोषियों पर कार्यवाही ???

जिले में गरीब आदिवासियों को खाद्य सामग्री के वितरण को लेकर पहले भी गड़बड़ियां पाई जाती रही है किन्तु अब तक सभी मामलों में लीपा पोती कर अधिकारियों को बचाया जाता रहा है। बाहरी जिलों से आए चावल में कई तरह की कमियों के बाद भी आखिर क्यों लिया गया? जबकि स्थानीय राइस मिलर्स का चावल केवल अधिक ब्रोकन पाए जाने पर ही निरस्त कर दिया जाता है। साफ जाहिर है कि अधिकारियों को आमजन, मिलर्स की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है विभाग के अधिकारी सिर्फ अपनी मर्जी से विभाग को संचालित कर रहे है जिसे रोकने के लिए जरूरी है कि दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जावे।

बड़ा सवाल अब भी यह है कि जिले के गरीब जरूरतमंदो को जानबूझकर घटिया और गुणवत्ताहीन चावल परोसे जाने की कोशिश करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्यवाही होगी या फिर इसे सामान्य और रूटीन में होती चली आई गड़बड़ियों की तरह मानकर फिर एक बार माफी दे दी जावेगी?

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