छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग ने नरेश बिश्वास को जनजाति विकास के वर्किंग समूह का सदस्य नियुक्त किया

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 5 अगस्त 2021, नेऊर (छग) छत्तीसगढ़ शासन के राज्य योजना आयोग, में मुख्य मंत्री के अनुमोदन से मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी के अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन किया है। आदिवासी विकास, वन और वन्य जीव प्रबंधन, लघु वनोपज प्रबंधन क्षेत्रों का विकास विषय पर टास्क फोर्स समिति को सलाह अथवा सुझाव देने के लिए विभिन्न विषय विशेषज्ञों को शामिल करते हुये विभिन्न विषयों पर कार्य समूह (Working Groups) बनाया गया है। यह कार्य समूह टास्क फोर्स कमेटी को आदिवासी विकास, वन और वन्य जीव प्रबंधन, लघु वनोपज प्रबंधन क्षेत्रों का विकास के संबंध में सुझाव देना है। विषयवार कार्य समूहों का संदर्भ शर्तें (Terms of Refrence) तय किया गया है।

इसी संदर्भ में विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के समग्र विकास के लिए नरेश बिशवास को विषय विशेषज्ञ के रूप में कार्य समूह में सदस्य बनाया गया हैं। श्री बिश्वास मूलतः छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के रहने वाले है। जो विगत कई वर्षों से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा आदिवासी’ के अधिकार एवं विकास के लिए काम करते रहे हैं।

उल्लेखनीय है नरेश विश्वास मध्यप्रदेश के बैगाचक के बैगा जनजाति के साथ विकास कार्य करते हुये वन अधिकार कानून की धारा 3(1) (e) के तहत 7 गाँव के बैगा आदिवासियों को पर्यावास अधिकार (Habitat Rights) दिलाने में सफलता अर्जित की है जो कि यह वन अधिकार कानून (FRA) में देश का पहला और एक मात्र उदाहरण के लिए चर्चा की जाती है।

इसी उपलब्धि के लिए विशेष पिछड़ी जनजाति के विशेष प्रावधान पर्यावास अधिकार (Habitat Rights) गाइड लाइन बनाने के लिए भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय ने ‘हैबिटेट राइट्स गाइड लाइन विशेषज्ञ समिति का सदस्य नियुक्त किया है। बैगा आदिवासी के साथ किए गए कार्यों को देख कर देश के प्रसिद्ध अंगेजी पत्रिका द वीक ने वर्ष 2015 में नरेश विश्वास को मैन ऑफ द ईयर” घोषित किया था।

देश के 75 विशेष पिछड़ी जनजाति समूह में से बैगा, पहाड़ी कोरवा, कमार, बिरहोर और अबूझमाड़िया छत्तीसगढ़ में रहते हैं। पंडो और मांझी जनजाति को छत्तीसगढ़ सरकार ने विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया है। लेकिन यह दोनों जनजाति केंद्र सरकार की सूची में नहीं है। नरेश बिश्वास कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के विशेष पिछड़ी जनजाति की सम्पूर्ण जीवन शैली जंगल आधारित है। इनके खान-पान, रीति-रिवाज, संस्कृति जंगल से जुड़ा है। यह समुदाय जंगल के जैव विविधता और वनौषधियों एवं जंगल आधारित खाद्य की सबसे अधिक जानकारी रखते हैं। पूर्णतः जंगल आधारित आजीविका पर निर्भर है। इसलिए वनों पर इनके स्वामित्व के साथ जंगल आधारित विकास प्रक्रिया के बिना विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों के समग्र विकास की परिकल्पना नहीं किया जा सकता है।

श्री नरेश बिश्वास को छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग द्वारा आदिवासी विकास, वन और वन्य जीव प्रबंधन, लघु वनोपज प्रबंधन क्षेत्रों का विकास के टास्क फोर्स में विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के समग्र विकास के लिए कार्य समूह (Working Groups) में सदस्य चुने जाने से छत्तीसगढ़ में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति समूह (pvtg) के विकास में नया आयाम और नई दिशा मिल सकेगा। विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के द्वारा उगाये जाने वाला पारंपरिक मोटा अनाज जिसे अंग्रेजी में मिलेट बोला जाता है, मिलेट यानि कोदो, कुटकी, ज्वार, मड़िया, सावा, बाजरा आदि पारंपरिक अनाजों के संरक्षण और संवर्धन के काम के लिए मध्यप्रदेश में नरेश बिश्वास को मिलेट मैन” के नाम से जाना जाता है।

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