4 करोड रुपए खर्च के बाद भी उप स्वास्थ्य केंद्रों की छतों से टपक रहा है पानी
उप स्वास्थ्य केंद्रों की मरम्मत के नाम पर जमकर हुई गड़बड़ी
एक साल में नहीं हुआ मरम्मत का कार्य पूर्ण
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 6 अगस्त 2021, जिले में निर्माण कार्यों का घोटालो और भ्रष्टाचार से नाता पुराना रहा है। इसी तर्ज पर अब NRHM के करोड़ों रुपए बिना उचित देखरेख के मनमाने ढंग से खर्च कर शासन कि मोटी रकम को हिल्ले लगाए जाने के मामले सामने आ रहे हैं।
लगभग साल भर पूर्व जिले के 67 उप स्वास्थ्य केंद्रों की मरम्मत, सुधार व उन्नयन कार्य हेतु 4 करोड़ 10 लाख,92 हजार रूपए की लागत की निविदाएं जारी की गई थी। जिसमें डिंडोरी अमरपुर के 21, करंजिया बजाग के 18, शहपुरा मेहंदवानी के 21, समनापुर के 7 भवनों की मरम्मत व उन्नयन करवा कर सर्व सुविधा युक्त हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर के रूप में विकसित किया जाना था। साल भर बीतने के बाद भी इनमें से दर्जनों भवन आज भी टपक रहे हैं, विद्युत व्यवस्था, जल आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए बिना ही इन भवनों में मात्र रंग रौगन कार्य करवाकर कार्य पूर्ण किए जाने की औपचारिकता पूरी किए जाने की चर्चा है। जबकि सूत्र बताते हैं कि ठेकेदारों को 80% से अधिक राशि का भुगतान भी सब इंजीनियर की मेहरबानी से किया जा चुका है।
गुणवत्ताहीन कार्यो की पोल खोलता उप स्वास्थ्य केंद्र खरगहना
जिला मुख्यालय से मात्र 18 किलोमीटर की दूरी पर मुख्यमार्ग पर स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र खरगहना में मरम्मत का कार्य लगभग 6 माह पूर्व होने के बाद आज की स्थिति में बिल्डिंग की छत टपक रही है, दरवाजे खिड़की ठीक से बंद नहीं हो रहे, लाइट फिटिंग, नल फिटिंग का कार्य किए बिना ही केंद्र की पुट्टी और पुताई कर लगभग 6 माह पूर्व कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
केंद्र में कार्यरत अमला शायद विभाग के अधिकारियों के दबाव में खुलकर बयान देने को तैयार नहीं है। किंतु मरम्मत और रेनोवेशन के बाद भी बिल्डिंग की हालत वैसी की वैसी है। जिसको लेकर स्टाफ भी संतुष्ट नहीं है।
गौरतलब है कि भवनों की मरम्मत कार्य में छत की मरम्मत, नल फिटिंग, बिजली फिटिंग, खिड़की दरवाजों की मरम्मत आदि कार्यों के होने के बाद ही पुट्टी और रंग रोगन का कार्य कराया जाता है। किन्तु खरगहना के इस केंद्र में बाकी कार्य किए ही नहीं गए जिसका खुलासा वहां पदस्थ स्टाप कर रहा है। बताया जाता है कि जिले में 4 करोड रुपए की लागत से होने वाले इन सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों में रंग रोगन का कार्य महीनों पहले ही चुका है।
करंजिया और बजाग के भवनों की मरम्मत कार्य कर रहे ठेकेदार के अनुसार उसका लगभग 80% कार्य पूर्ण हो चुका है। किंतु इन 18 भवनों से एक में भी भवन की छत मरम्मत, लाइट फिटिंग के कार्य, पानी की आपूर्ति, मेडिकल डिस्पोजेबल टैंक निर्माण, खिड़की दरवाजों की मरम्मत जैसे महत्वपूर्ण कार्य नहीं किए गए है।ऐसी स्थिति में इस तरह करोड़ों रुपए खर्च करके उप स्वास्थ्य केंद्र की मरम्मत कराए जाने का शासन की राशि व्यय करने के अलावा कोई और औचित्य समझ से परे है।
उल्लेखनीय है कि जब मुख्यमार्ग पर जिला मुख्यालय के सबसे करीब स्थित इस केंद्र में मरम्मत के नाम पर टाइल्स और पुट्टी और पुताई का कार्य करा कर ठेकेदार को 75 से 80% भुगतान कर शासन को चूना लगाया जा रहा है। तब कबीर, चौरादादर, पंडरीपानी, थाडपथरा, जैसे दुरस्त वन ग्रामों के भवनों की स्थिति क्या होगी? इन भवनों की जांच होने पर की गई बड़े स्तर की गड़बड़ी का खुलासा संभव है।
जानकारी देने से बच रहे जिम्मेदार
NRHM के द्वारा जिले के 67 भवनों की मरम्मत कार्य हेतु जून 2020 में लगभग 4 करोड रुपए की लागत की निविदा निकाली गई थी। औसतन प्रति भवन की मरम्मत पर 6 लाख रुपए का खर्च किया जाना था। उक्त कार्यों को चलते हुए लगभग 1 साल हो चुका है। जिले में पदस्थ NRHM की सब इंजीनियर द्वारा इन इन भवनों की मरम्मत में अब तक किए गए खर्च, पूर्व व अपूर्ण भवनों की जानकारी, किए जा चुके भुगतान और एस्टीमेट की जानकारी देने को तैयार नहीं है। विभाग जानकारी देने से बचने का प्रयास करता नजर आ रहा है। RTI के तहत जानकारी देना भी उपयांत्री द्वारा अपने कार्य क्षेत्र में नहीं होने का हवाला दिया जा रहा है। चल रहे निर्माण कार्यों में गड़बड़ी और उठ रहे सवालों के जवाब देने से बचने के पीछे का कारण जो भी हो पर इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर और भी अधिक सवाल उठ रहे है। सूत्रों की माने तो इन कार्यों में 75 से 80% भुगतान ठेकेदारों को हो चुका है जबकि इन भवनों की स्थिति कुछ और बात रही है।
एनआरएचएम भोपाल द्वारा संचालित हो रहे है कार्य
गौरतलब है कि उक्त कार्यों की निविदा एनआरएचएम भोपाल द्वारा करवाई गई थी। भुगतान की प्रक्रिया भी भोपाल स्तर से ही की जाती है। जिला स्तर पर कार्यों की निगरानी और मूल्यांकन पदस्थ उपयंत्री द्वारा किया जाता है। इसके अतिरिक्त सीएचएमओ बीएमओ आदि का न तो इन कार्यों को पर कोई नियंत्रण है और न ही उन्हें कराए जा रहे कार्यो और भुगतान आदि की कोई जानकारी है। केवल एक उपयंत्री के भरोसे जिले भर के निर्माण कार्यों की सतत निगरानी और मूल्यांकन संभव नहीं है। एनआरएचएम के इन कार्यों में जम कर की गई भर्राशाही की चर्चाएं व्याप्त है। जनचर्चा है कि इन भवनों में दिखावे मात्र का कार्य करा कर मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए के भुगतान कर दिए गए जबकि अभी भी इन भवनों की स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं हुआ है और जरूरी कार्यों को भी पर्याप्त राशि होने के बाद भी नहीं करवाया गया है जो विभाग की लापरवाही और ठेकेदारों को मनमानी उजागर करती है।