सेवानिवृत्ति के 5 माह बाद भी कार्यरत रहे पंचायत सचिव

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 25 अगस्त 2020, जिले में प्रशासनिक व्यवस्थाएं दम तोड़ चुकी है यदि ऐसा कहा जाए तो भी गलत नहीं होगा। मनमानी कार्यप्रणाली और अनदेखी के खुले उदाहरणों के बूते जिले में चलने वाले पंचायती राज की व्यवस्था आखिर कितना कारगर और जनहितकारी होगी, इस पर सवाल जरूर खड़े होते हैं। जब एैसे कारनामों की पोल खुलती दिखाई देती है तब जवाबदार उस पर लीपापोती करने और बड़े कारनामों पर उतर आते हैं यही वजह है कि आमजन को पंचायती राज व्यवस्था पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं रह गया है। अधिकारी बड़े से बड़े घोटाले, गड़बड़ियों और शिकायतों पर कार्यवाही करने को तैयार नहीं है। केवल कुर्सी की प्रतिष्ठा के दम पर इन्हें अधिकारी माना जा सकता है, वरना ये अपने अधिकारों और दायित्वों को तो पूरी तरह से तिलांजलि दे चुके हैं।

सेवानिवृत्ति के पांच माह तक कार्यरत रहे किवाड़ पंचायत में सचिव

ताजा मामला समनापुर जनपद पंचायत के किवाड़ पंचायत में पदस्थ सचिव अमरदास सोनवानी की सेवानिवृत्ति का है, जिनकी सेवा अवधि 30 मार्च 2020 को समाप्त होनी थी किंतु वह लगभग 5 माह बाद तक अपने पद पर कार्यरत रहे। इस संबंध में जानकारी लेने पर उनका कहना था कि उन्हें कुछ बुद्धिजीवियों से जानकारी मिली थी कि कोरोना काल के चलते उनका कार्यकाल एक वर्ष बढ़ गया है, इसलिए वे अपनी सेवाएं भी दे रहे थे और वेतन आहरण भी कर रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें दो दिन पूर्व जनपद पंचायत समनापुर से एक आदेश व्हाट्सएप के माध्यम से 1 अप्रैल 2020 की दिनांक का मिला है, जिसमें मुझे सेवानिवृत्त होने व ग्राम पंचायत के सचिव का प्रभार भारत सिंह राजपूत को सौपे जाने आदेशित किया गया है। चुकी आदेश मुझे 2 दिन पूर्व प्राप्त हुआ है जिसके कारण 1 अप्रैल को मेरा प्रभार देना संभव नहीं था।

 

क्या कहते है जनपद के अधिकारी

इस मामले में जब हमने श्री मुंशी लाल धुर्वे, सीईओ जनपद पंचायत समनापुर से चर्चा की तो उनका कहना था कि कोरोना काल में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की सेवा अवधि बढ़ा दी गई थी, जिसके चलते उक्त सचिव अब तक कार्यरत था। किन्तु इन्हीं साहब के हस्ताक्षर से 1 अप्रैल को जारी आदेश और आज उनका जवाब दोनों ही बातें पूरी तरह से विरोधाभाषी है, परन्तु ये दोनों ही निर्णय और जानकारी एक ही व्यक्ति द्वारा की जा रही है,और यदि उनकी एक बात सही माने तो दूसरी गलत साबित हो जाती है। हालाकि सचिव का कहना है की उसे आदेश दो दिन पूर्व मिला है। यहां उल्लेखनीय यह भी है कि 1 अप्रैल को पूरे देश के शासकीय कार्यालय लॉकडाउन के कारण बंद थे तब जारी आदेश की दिनांक अपने आप में अद्वितीय नमूने जरूर लगता है और फिर इस आदेश का सचिव के वॅटासाप पर जारी दिनांक के पांच माह पहुंचना भी बहुत ही विशेष बात है। पर किया कुछ नहीं जा सकता क्योंकि जिले में इस तरह के आश्चर्य होते रहते है चलते रहते है।

सेवानिवृत्ति की अवधि बढ़ाए जाने को लेकर जानकारों की जानकारी स्पष्ट नहीं है कुछ का कहना है कि तीन माह का कार्यकाल बढ़ाया गया था कुछ बताते है कि यदि कोई सेवानिवृत्त होने वाला व्यक्ति इस दौरान अपना कार्यकाल बढ़ाने का आवेदन करता तो उसे अनुमति दी जा सकती थी, किंतु इस मामले में सब कुछ अनुमानित ही चलता रहा और सीईओ जनपद पंचायत समनापुर द्वारा दी जा रही जानकारी और आदेश दोनों में किसे अंतिम निर्णय माना जाए दुविधाजनक है। सीईओ जनपद यह भी बताते हैं कि उक्त सचिव की सेवा पुस्तिका समनापुर जनपद कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने से कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया, जिसके कारण भी निर्णय नहीं लिया जा सका। जनपद पंचायत जैसी महत्वपूर्ण संस्था जिसमें स्थापना शाखा का अपना अलग महत्व है। कार्यालय/ विभाग में ज्वाइनिंग देने वाले कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका का ही नहीं होना बेहद अजीब सी बात है पर यह सच है इसकी पुष्टि जनपद के सीईओ ने स्वयं की है कि इस व्यक्ति की सेवा पुस्तिका अमरपुर जनपद पंचायत में है जहां यह पूर्व में पदस्थ था।

यह प्रकरण जनपदों में जारी भर्राशाही का अद्भुत नमूना है, जहा नियम, कायदे और कानून को ताक पर रखकर सब कुछ संभव है। इन संस्थाओं द्वारा लिए जाने वाले निर्णय शासन और प्रशासन की मंशानुरूप ही हो कोई जरूरी नहीं है, यह मामला तो कम से कम यही साबित करता है। इन स्थितियों में सुधार के प्रयास कब और कैसे होंगे यह शायद ही कोई बता पाए पर ऐसे गैर जिम्मेदाराना मामलों से प्रशासनिक व्यवस्थाओं, नियमों और शासन के प्रति लोगो का भरोसा और कमजोर होता जा रहा है।

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