लोकसभा चुनाव अंतिम पड़ाव पर, किसके पक्ष में है मतदाता?

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19 अप्रैल को होगा मतदान

भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर

जीत की संभावना तलाश रही कांग्रेस

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की अहम भूमिका होगा

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 17 अप्रैल 2024, मंडला लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले डिंडोरी जिले के शहपुरा और डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2024 के प्रथम चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा। मतदान के लिए मात्र दो दिन शेष है और मतदाता मौन दिखाई दे रहा है। किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में लोगों का उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है। पूरे क्षेत्र में आर और पार जैसी भी कोई चर्चा नहीं है न ही नई सरकार को चुनने के लिए लोग विशेष उत्साह में दिख रहे है। शुरू होती गर्मी, खेतों में चल रही कटाई में व्यस्त किसान और मजदूर साथ ही चैत नौरात्रि की अष्टमी पूजा और जवारे विसर्जन में व्यस्त आम लोगों की चुनाव को लेकर चुप्पी, चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा रही है।

2024 में कौन मारेगा बाजी??

2024 के चुनाव में इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते जो 6 बार इस सीट से जीत दर्ज करा चुके है व 8वी बार चुनाव मैदान में है और कांग्रेस प्रत्याशी ओमकार सिंह मरकाम जो चार बार डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज करा चुके है तथा इस लोकसभा सीट से 1 बार हार भी चुके है के बीच है। इस चुनाव में भाजपा 400 पार, मोदी गारंटी को लेकर पूरे देश में जोर शोर से प्रचार कर रही है और सरकार बनाने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है वही इस बार मंडला से लगातार 6 बार जीत दर्ज कराने वाले भाजपा नेता फग्गन सिंह का पूरे क्षेत्र में विरोध देखा जा रहा है या यू कहे की केंद्रीय मंत्री रहने और पार्टी का बड़ा आदिवासी चेहरा होते हुए भी उनकी कोई बड़ी उपलब्धि क्षेत्र में नही रही जिससे आमजनता में उनको लेकर उत्साह कम होता जा रहा है। फिलहाल 2023 के विधानसभा चुनाव में उनके अपने गृह क्षेत्र निवास विधानसभा से चुनाव हार जाने से भी, उनकी साख को भारी धक्का लगा है और इसके चलते विरोधी दल अब उन्हे घेरने में सहजता महसूस कर रहा है। हालाकि पूरे क्षेत्र में भाजपा संगठन और पार्टी कार्यकर्ता जोरशोर से पार्टी का प्रचार कर रहे है पर पहले जैसा माहौल बना पाना कठिन हो रहा है। जिले के कद्दावर भाजपा नेता माने जाने वाले कुलस्ते का जनाधार इस चुनाव में गिरता हुआ दिखाई दे रहा है वही भाजपा संगठन में पूर्व के चुनावों जैसी एकजुटता और जोश की कमी नजर आ रही है। वही कांग्रेस प्रत्याशी का डिंडोरी जिले का स्थानीय होना भी कही न कही भाजपा के लिए परेशानी खड़ा कर रहा है और ओमकार मरकाम को व्यक्तिगत संपर्कों का थोड़ा सा फायदा जरूर मिल सकता है, वही बड़ी संख्या में कांग्रेसियों के भाजपा में जाने का खमियाजा भी संभव है। किंतु मरकाम अपनी रणनीति के चलते मंडला, सिवनी और नरसिंहपुर जिले में डेरा डाले हुए है और भाजपा से नाराज लोगों को भरोसा दिलाने की उनकी कोशिशें भी तेज है जिसका उन्हे लाभ मिल सकता है।

भाजपा द्वारा चुनाव के इस अंतिम दौर में बड़े स्तर पर विरोधियों और नाराज लोगों को साधने का प्रयास भी युद्ध स्तर पर गुपचुप ढंग से किया जा रहा है और डेमेज कंट्रोल के अंतिम प्रयास जारी है।इस काम के लिए पार्टी से अलग कुछ बाहरी लोगों का जमावड़ा जिला मुख्यालय में चर्चा का विषय रहा जिनके द्वारा किसी भी कीमत पर डेमेज कंट्रोल का प्रयास किए जाने की चर्चा है।
फग्गन सिंह कुलस्ते की इस घटती हुई लोकप्रियता और दबे स्वर में चल रहे विरोध को भापते हुए कांग्रेसी खेमा थोड़ा उत्साहित है और इसी कथित उत्साह के बूते कांग्रेस अपनी जीत का दावा कर रही है।

सांसद और विधायक की लोकप्रियता?

जिले में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के अलावा कोई खास काम या विशेष उपलब्धि 6 बार के सांसद और 4 बार के विधायक के खाते में दर्ज नहीं है। जिसको लेकर मतदाताओं में अपने जनप्रतिनिधियों को लेकर बड़ी नाराजगी अब अवश्य दिखाई देने लगी है और मतदाता की मजबूरी “नाना मामा और काना मामा” के बीच किसी एक को चुनने की है। हालाकि चुनाव मैदान में 12 और प्रत्याशी भी है पर अधिकतर बड़े दलों के प्रत्याशियों द्वारा प्रायोजित और उनके ही संसाधनों पर निर्भर है जो कुछ हजार वोट तक सिमट जायेगे। चार बार से डिंडोरी विधानसभा जीतते आ रहे ओमकार मरकाम को डिंडोरी के बाहर की 7 विधानसभाओं में खुद को साबित करने की चुनौती है वही फग्गन सिंह कुलस्ते के लिए सभी आठ विधानसभा क्षेत्र अच्छे से परिचित है वे यहां से पहले 6 बार चुनाव जीत चुके है। इस लिहाज से देखा जाए तो मुकाबला बराबरी का नज़र नही आता है। वही पार्टी संगठन के मामले में भी कांग्रेस की स्थिति भाजपा से बहुत कमजोर है। किंतु कांग्रेस पार्टी जिस तरह से मरकाम को बड़ी जिम्मेदारियां देती आ रही है उससे आदिवासी अंचल में उनका प्रभाव जरूर बढ़ा है।

गोंडवाना पार्टी की भूमिका

लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रभाव है और इसे यहां तीसरी राजनैतिक शक्ति कहा जा सकता है। प्रदेश के जिन क्षेत्रों में गोगपा मजबूत है वहा कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ा है। इस बार के लोकसभा चुनाव में गोगपा प्रत्याशी को कमजोर माना जा रहा है जो भाजपा के लिए खतरा बढ़ा सकता है। 2023 के विधानसभा चुनाव में गोगपा ने इन आठ विधानसभा क्षेत्रों में 1.50 लाख के करीब मत प्राप्त किए थे, यदि लोकसभा चुनाव में पार्टी के वोट कम होते है तो ये वोट कांग्रेस की और जाने की अधिक संभावना मानी जाती है, जो कुलस्ते के लिए एक और झटका हो सकता है। हालाकि ये भी माना जा रहा है की गोगपा का जमीनी कार्यकर्ता और समर्थक इन दोनों ही पार्टियों की राजनैतिक साजिशों के खिलाफ है और हर हाल में गोगपा का साथ देगा। गोंडवाना पार्टी की स्थिति चुनाव परिणाम में एक निर्णायक भूमिका में जरूर रहेगी।

कुल मिलाकर चुनाव के इस अंतिम दौर में भी मतदाता खुल कर कोई संकेत नहीं दे रहा है, न ही पार्टियों और प्रत्याशियों की वास्तविक स्थिति का सटीक अनुमान लग पा रहा है। इस चुनाव में जहां पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री कुलस्ते की साख दांव पर लगी है वही कांग्रेस अरसे बाद इस सीट पर जीत की एक संभावना जरूर तलाश रही है। सूत्र बताते है की कांग्रेस पार्टी प्रदेश की इस सीट पर जीत का अनुमान लगा रही है। पार्टी के अनुमान का आधार प्रत्याशी का दावा है या कोई अन्य सूत्र यह तो पता नही है पर क्षेत्र में ऐसी कोई बहुत बड़ी संभावना या एकतरफा माहौल दिखाई नहीं दे रहा है। पर भाजपा के लिए यह चुनाव पूर्व की तरह आसान नहीं लग रहा है जिसका आभास आमतौर पर सभी को है। चुनाव का अंतिम निर्णय 19 अप्रैल के मतदान में आम जनता तय करेगी फिलहाल चुनाव किसके पक्ष में जायेगा यह कह पाना संभव नहीं है।

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