जिला अस्पताल की डॉक्टर विहीन OPD, मरीज हलकान
धर्मेंद्र मानिकपुरी :
स्वास्थ विभाग बेअसर, मरीज मरीज परेशान
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 10 मई 2022, सुबह 9 बजे से खुलने वाली जिला अस्पताल की OPD में 11 बजे तक डाक्टर नदारत होने से मरीजों ने आक्रोश जताते हुए कार्यवाही की मांग की है। वहीं खाली पड़ी ओपीडी और इंतजार करते बेहाल मरीजों के वीडियो भी सोसल मीडिया पर कई लोगो द्वारा वायरल किए जा रहे है। जिला अस्पाल में इस तरह की अव्यवस्था कोई पहली बार नहीं दिखाई दे रही है बल्कि पिछले कुछ दिनों में इस तरह के कई मामले मीडिया द्वारा उजागर किए जा चुके है। फिर भी स्वास्थ विभाग बेअसर है और जिला प्रशासन के द्वारा कोई सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे है। लोगों की माने तो जिला अस्पताल में यह रोज की स्थिति है, डॉक्टर अपनी मर्जी से आते जाते है। नियम निर्देश और दूर दूर के ग्रामीण अंचलों से आने वाले बीमार और परेशान लोगों की समस्याओं से इन्हें कुछ लेना देना नहीं है।
सिर्फ बहानेबाजी
ओपीडी में परेशान मरीज जब आला अफसरों को जानकारी देते है तो उनके द्वारा कई तरफ की बाते बता दी जाती है। जैसे डॉक्टर मीटिंग में है, शिविर में गए है, पीएम कर रहे है या फिर राउंड पर है। जबकि अधिकतर स्थिति में ये डॉक्टर्स अपने घर पर या क्लीनिक पर व्यस्थ होते है। अस्पताल की इन अव्यवस्थाओ की शिकायतों पर भी इसी तरह की बहानेबाजी कर अस्पताल प्रशासन अपना बचाव करता है। जबकि ओपीडी जहा प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीज दूर दूर से आते है उसे गंभीरता से लेते हुए पहले वहां डॉक्टर्स की निर्धारित समय पर तैनात किया जाना आवश्यक है।
जानकारी देने वाला कोई नहीं :
करोड़ों रुपए के भवन, साधन और संसाधन से युक्त जिला चिकित्सालय में जहां सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी कार्यरत है। ये सारी व्यवस्थाए जिन मरीजों के लिए शासन ने की है उन मरीजों को इतने बड़े संस्थान में कोई जिम्मेदारी से जवाब देने वाला नियुक्त नहीं है कि कौन से डॉक्टर कब आयेगे, छुट्टी पर है या उनकी ड्यूटी कब है। स्वास्थ विभाग के कर्मचारीयों से पूछने पर यही जवाब मिलता है हमें नहीं पता। जिला अस्पताल में डॉक्टरों के संबंध में अधिकृत जानकारी की जिम्मेदारी न तो किसी को सौंपी गई है न ही अस्पताल परिसर ने ड्यूटी डाक्टरों के संबंध में कोई जानकारी अथवा सूचना अंकित की जाती है। ऐसे में अस्पताल पहुंचने वाले स्थानीय और ग्रामीण मरीज घंटो इंतजार करते रहते है। जिला अस्पाताल में डाक्टर न होने की जानकारी मरीजों को तब पता लगती है जब वे पैसे देकर पर्ची कटवा कर भीतर पहुंचते है। तब उनके पास डॉक्टर्स का घंटो इंतजार करने के अलावा कोई और विकल्प शेष नहीं बचता। जिले में स्वास्थ सुविधाओं और सेवाओं के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए शासन खर्च कर रही है। शासन की सभी स्वास्थ्य सेवाए उपलब्ध होने का दावा जिला अस्पताल द्वारा भी किया जाता है सीटी स्कैन, सोनोग्राफी, किमो, डायलिसिस, सर्जरी, आकस्मिक चिकित्सा आदि आदि पर जिला अस्पताल की हक़ीक़त यह है कि सामान्य बीमारियों का उपचार करवाने आने वाले मरीजों को ही यहां अक्सर डॉक्टर उपलब्ध नहीं मिलते तब इन बड़े बड़े दावो का अर्थ ही क्या है जब डॉक्टर ही अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहते है? सभी स्वास्थ सेवाएं और सुविधाएं मरीजों को डॉक्टरों के माध्यम से ही दी जाती है और जब डॉक्टर्स ही नहीं है तो इनका क्या लाभ?