जिले की राजनीति का power Center बदलेगा

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कांग्रेस राज का 14 माह बाद खात्मा तय

बदलेगी जिले की राजनीतिक फिजा

जनपथ टुडे, मार्च 10,2020, होली पर हो रहे राजनीतिक हुड़दंग का असर भोपाल और दिल्ली में तक देखा जा सकता है। 3 मार्च से चालू हाई वोल्टेज ड्रामा आज और भी विस्फोटक हो गया जब सिंधिया मोदी से मिलने जा चुके है और इतने बड़े राजनीतिक भूकंप के असर से जिले की राजनीतिक मैदान में भी वजीर प्यादे और प्यादे बजीर बने दिखे कल से तो बड़ी बात नहीं होगी।

 

ओमकार मरकाम:– कमलनाथ सरकार बनने के बाद जिले का पावर सेंटर बन चुके ओमकार मरकाम जिन्हें न केवल डिंडोरी बल्कि भोपाल तक छोटा राहुल कहा जाने लगा था और न केवल डिंडोरी बल्कि भोपाल या यू कहे कि मुख्यमंत्री तक पर भारी नज़र आने वाले मंत्री ओमकार मरकाम का स्तीफा
कल कमलनाथ मंत्रिमंडल के साथ हो गया था और वैधानिक तौर पर तो शक्ति विहीन हो चुके थे पर सरकार आज तक काबिज है और फिलहाल रसूख अभी उनका बाकी है, किन्तु आज जब सिंधिया – बीजेपी के साथ खुल कर सामने आ गए है तब अब पूरी तरह से तय हो गया है न तो कमलनाथ की सरकार बचेगी और न मंत्रिमंडल ऐसे भी जिले से फिलहाल मंत्री का ओहदा ख़तम ख़तम हो चुका है और डूबती हुई सरकार के कैबिनट मंत्री का अब बने रहना संभव ही नहीं बचा है।

भूपेंद्र मरावी :- शाहपुरा विधायक भूपेंद्र मरावी का नया नया राजनीतिक भविष्य और उनके बदलते क़दमों से नाराजगी भले ही बढ़ने लगी थी पर नाराज लोग कुछ करने की स्थिति में तो पांच साल तक थे नहीं, सो सब चल रहा था। पर आज लगभग खत्म होती कमलनाथ की सत्ता से विधायक विरोधियों की होली की खुशी जरूर सातवे आसमान पर है।

 

ओमप्रकाश धुर्वे :- पिछला चुनाव शाहपुरा से हार चुके है और दो बार बीजेपी सरकार में मंत्री रहे धुर्वे के बारे में उनकी पत्नी और जिला अध्यक्ष श्रीमती ज्योति धुर्वे ने पिछले दिनों बताया था कि वे राज्यसभा सांसद के लिए दावेदारी कर रहे है। धुर्वे राज्यसभा जाने में सफल होगे या नहीं अब प्रदेश और जिले की राजनीति में यह अधिक महत्वपूर्ण नहीं रहा बल्कि जिले की राजनीतिक जमीन पर ओमप्रकाश धुर्वे का रसुक जरूर बीजेपी की सरकार बनने के बाद काबिज हो जाना तय है।

हालाकि प्रदेश की उठलपुथल में जिले के मजबूत माने जाने वाले कोई भी नेता नज़र नहीं आए चाहे ओमप्रकाश धुर्वे हो या फिर ओमकार सिंह मरकाम इनको इस बड़ी राजनीतिक उथलपुथल में किसी सक्रिय भूमिका में नहीं देखा गया।

पर आने वाले दिनों में जब सरकार का गिरना लगभग तय है रसूख की जमीन भी बदलेगी और अब ओमकार सिंह मरकाम की जगह ओमप्रकाश धुर्वे, और नरेंद्र राजपूत दिखाएंगे अपना जलवा इससे इंकार की सभवना आज की राजनीतिक परिस्थितियों के बाद नहीं दिखती है।

 

 दिग्गी फूफा की भूमिका में रहे, वापस हुई बारात

कुल मिलकर सारे तमाशे और कल रात हुआ कमलनाथ सरकार के  दहन में फूफा की भूमिका दिग्गी राजा ने ही निभाई है उनके राजनीतिक अहम और चाणक्य बने रहने की असीम चाहत का अंजाम हुआ कि कमलनाथ जैसे सुलझे हुए नेता को धूल चाटनी पड़ गई।

जिले की राजनीति में आज के राजनीतिक घटनाक्रम का असर केवल बीजेपी पर नहीं बल्कि कोंग्रेस पर भी दिखाई दे रहा है।बीजेपी कार्यालय में फटाके कब फुटेगे ये अभी नहीं पता पर कोंग्रेस के भीतर एक बड़ा तबका ऐसा जरूर है जिसके मन में आज लड्डू फुट रहे है।

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