नर्मदे हर से अभिवादन,नर्मदाजल से आचमन, फिर भी नमामि का आंचल मैला

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नीरज श्रीवास्तव
फ़ोटो धर्मेंद्र मानिकपुरी

नगर में आस्तित्व खोती अविरल धारा
प्रशासन की नाक के नीचे दुर्दशा


डिंडोरी, नगर में पावन पुण्य और मोक्षदायिनी नर्मदा की अविरल धारा में गंदगी का ग्रहण लगातार बढ़ रहा है।जबकि यहां के अधिकतर लोग नर्मदे हर से अभिवादन करते हैं, तटो पर सुबह से लेकर आधी रात तक नर्मदा जल का आचमन करने वालों का तांता लगा रहता है। इसके साथ ही नागरिक नर्मदा के खूबसूरत आंचल में समय बिताने को सुकूनभरा मानते हैं। बाबजूद इसके चिंताजनक तथ्य यह है डिंडोरी नगर में ही नर्मदा का जल सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रहा है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कुछ समय पहले की रिपोर्ट भी इसकी पैरवी करती है। जो साबित करती है कि नगर में नालों के माध्यम से गंदगी नर्मदा के आंचल को मैला कर रही है। रही सही कसर नर्मदा स्नान और पूजन करने वाले पूरी कर रहे हैं, जो शैम्पू, साबुन, तेेल के पाउच और अन्य पूजन सामग्री तटों पर ही छोड़ देते हैं। इस बीच चिंताजनक पहलू यह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े भी रोजाना हजारों लीटर सीवेज गंदगी नर्मदा के मुहानों पर समाहित होने की पुष्टि करते हैं। ऐसा नहीं है कि प्रशासन इससे अनजान हो, सरकारी तौर पर नर्मदा में गंदे नाले मिलने से रोकने के प्रशासनिक दावे लम्बे समय से किए जा रहे हैं। लेकिन असल में कोई प्रयास नजर नहीं आता। नगर परिषद बीते कई दशकों से दलील दे रहा है कि नालों का पानी सीधे नर्मदा में नहीं मिलने दिया जाएगा।  लेकिन बस्तियों से निकलने वाला सीवेज का हजारों लीटर पानी बिना ट्रीटमेंट के ही नर्मदा में मिल रहा है।नर्मदा में गंदे नालों के पानी को सीधे मिलने से रोकना सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी है। लेकिन इनकी अनदेखी के चलते वर्षों से नर्मदा मैली हो रही हैं।नर्मदा की स्वच्छता के लिए लम्बे समय से जमीनी स्तर पर काम करने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि अनदेखी हर तरफ से हो रही है। अफसरों की नाकामी चिंताजनक है। नाले तो नर्मदा को प्रदूषित कर ही रहे हैं, वहीं आम लोग भी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। लोग साबुन, शैम्पू से नर्मदा में नहाते हैं। प्रशासन को चाहिए कि तटों पर उन चीजों की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाए, जिससे नर्मदा जल को नुकसान पहुंचता है। लोगों को भी चाहिए नुकसानदायक सामग्री से दीपदान और पूजन नही करें। साफ तौर पर कहें तो आस्था पर लापरवाही भारी पड़ रही है।

जीवित इकाई का दर्जा देने में विफल रही सरकार

गौरतलब है कि 2017 में नर्मदा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा को जीवित इकाई देने की घोषणा की थी और प्रदेश BJP सरकार ने 3 मई 2017 को आमंत्रित विशेष सत्र के दौरान विधानसभा में इस बाबद तत्कालीन पर्यावरण मंत्री ने संकल्प पेश किया था, इसके पारित होने पर सरकार ने यह कहा था कि अगले सत्र में इसे कानूनी रूप देने के लिए विधेयक लाया जाएगा। लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार इस मामले में अब पीछे हटती नजर आ रही है।

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